चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी (आप) को राष्ट्रीय पार्टी के रूप में मान्यता दी। आयोग ने कहा कि आम आदमी पार्टी को चार राज्यों दिल्ली, गोवा, पंजाब और गुजरात में उसके चुनावी प्रदर्शन के आधार पर राष्ट्रीय पार्टी के रूप में नामित किया गया है। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसपी) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) की राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा वापस ले लिया। ऐसे में सवाल क वरिष्ठ उठना लाजिमी है कि आखिर किन मानकों पर राजनीतिक दलों को परखा जाता है और राष्ट्रीय दल होने के मायने कितने अलग हैं।
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राष्ट्रीय पार्टी बनने के मानदंड
चुनाव चिह्न (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 के अनुसार, एक राजनीतिक दल को राष्ट्रीय दल के रूप में मान्यता दी जा सकती है, यदि वह निम्नलिखित तीन शर्तों में से किसी एक को पूरा करता है।
यदि पार्टी आम चुनाव में कम से कम तीन अलग-अलग राज्यों से लोकसभा (संसद के निचले सदन) में कम से कम 2% सीटें जीतती है।
यदि पार्टी लोकसभा या विधान सभा के आम चुनाव में किन्हीं चार या अधिक राज्यों में डाले गए कुल वैध मतों का कम से कम 6% प्राप्त करती है।
यदि पार्टी को कम से कम चार राज्यों में राज्य पार्टी के रूप में मान्यता प्राप्त है।
क्या कहते हैं नियम
चुनाव आयोग की शर्तों को पूरा करने के बाद मान्यता प्राप्त दल को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलता है। चुनाव आयोग ने राष्ट्रीय दल के लिए कुछ शर्तें तय की हैं, जिनमें से एक शर्त भी पूरी होने पर राष्ट्रीय दल का दर्जा मिल जाता है। अगर किसी दल को 4 राज्यों में क्षेत्रीय दल का दर्जा मिला हो तो उसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल जाता है। एक राजनीतिक पार्टी अगर तीन अलग-अलग राज्यों को मिलाकर लोकसभा की 2 फीसदी सीटें जीतती है या कम से कम 11 सीटें जीते। 11 सीटें तीन अलग-अलग राज्यों से होनी चाहिए। ऐसी स्थिति में राष्ट्रीय दल का दर्जा मिल सकता है।
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फैसले से विपक्षी एकता को लगेगा झटका?
अगले साल देश में लोकसभा चुनाव हैं। ऐसे में देश में राष्ट्रीय दल कितने हैं और कौन-कौन हैं,यह काफी अहम हो सकता है। खासकर तब जबकि विपक्ष बीजेपी के पीएम उम्मीदवार के खिलाफ एकजुट होकर एक चेहरा पेश करना चाह रहे हैं। सभी मान्यता प्राप्त दलों को सस्ती जमीन, टैक्स छूट के अलावा सरकार के स्तर पर बहुत सारी सुविधाएं मिलती हैं। राष्ट्रीय दल को दिल्ली में पार्टी के नाम पर ऑफिस भी आवंटित होता है।