शॉर्ट-सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग द्वारा अडानी समूह के खिलाफ लगाए गए आरोपों की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) द्वारा जांच का विरोध करने से यू-टर्न लेते हुए एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने मंगलवार को कहा कि वह विपक्षी एकता के लिए जेपीसी का विरोध नहीं करेंगे। पवार ने मराठी समाचार चैनल एबीपी माझा से कहा कि विपक्षी दलों के हमारे मित्र अगर जेपीसी जांच पर जोर देते हैं तो विपक्षी एकता के लिए हम इसका विरोध नहीं करेंगे। हम उनके विचार से सहमत नहीं होंगे, लेकिन यह सुनिश्चित करने के लिए कि हमारा रुख विपक्षी एकता को नुकसान नहीं पहुंचाता, हम इस पर (जेपीसी जांच) जोर नहीं देंगे।
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राकांपा प्रमुख ने शुक्रवार को यह कहने के बाद विपक्षी दलों में खलबली मचा दी कि वह इस मुद्दे पर जेपीसी जांच के खिलाफ हैं और अडानी को निशाना बनाया जा रहा है। पवार ने यह कहते हुए अपना रुख नरम कर लिया कि भाजपा समिति में बहुमत का आनंद लेगी जबकि विपक्ष अल्पमत में होगा। उन्होंने अपने ताजा बयान में कहा कि जेपीसी की ताकत संसद में राजनीतिक दलों की ताकत पर आधारित होगी। भाजपा के 200 से अधिक सांसद हैं और 21 सदस्यीय जेपीसी में अधिकतम सदस्य होंगे। विपक्ष में 5-6 सदस्य होंगे। क्या इतनी छोटी संख्या प्रभावी भूमिका निभा पाएगी? लेकिन फिर भी, यदि विपक्षी दल जेपीसी जांच पर जोर देते हैं, तो मुझे इसमें कोई आपत्ति नहीं होगी।
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इससे पहले शरद पवार ने कहा था कि गौतम अडानी को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है। जेपीसी की मांग करना सही नहीं है। एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार के बयान के बाद सवाल उठे थे कि क्या महाविकास अघाड़ी में मतभेद हैं। पवार के बयान पर संजय राउत ने साफ कहा कि कोई मतभेद नहीं हैं। संजय राउत ने कहा कि अडानी मामले पर चाहे तृणमूल कांग्रेस हो या एनसीपी की अपनी-अपनी अलग राय हो लेकिन इससे विपक्ष की एकजुटता में कोई दरार नहीं आएगी। ठाकरे समूह के सांसद संजय राउत ने कहा कि इस देश में उद्योग बढ़ने चाहिए, उद्योगपति रहने चाहिए। उस दौरान टाटा-बिड़ला और बजाज जैसे कई उद्योगपतियों ने देश का निर्माण किया। उद्योगपतियों के बिना देश की अर्थव्यवस्था मजबूत नहीं होगी।