कोरिया में परिवार संचालित कंपनी समूहों ने दशकों तक जिस विशेषाधिकार का आनंद उठाया है, अब शायद उसकी समाप्ति हो सकती है।
सैमसंग के उत्तराधिकारी और पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी ली जे-यंग को धोखाधड़ी, गबन और कोरिया के तत्कालीन राष्ट्रपति को रिश्वत देने के आरोप में पांच साल जेल की सजा सुनाई गयी थी, लेकिन उन्हें अगस्त 2022 में सजा के बीच में ही राष्ट्रपति की ओर से विशेष माफी दे दी गयी।
ली को तत्कालीन राष्ट्रपति पार्क गियुन-हे के एक मित्र की बेटी के लिए आठ लाख डॉलर का घोड़ा खरीदने के वास्ते कंपनी के कोष में गबन समेत अन्य अपराधों के लिए 2018 में जेल की सजा सुनाई गयी थी।
सरकार ने यह दावा करके उन्हें माफी देने के फैसले को उचित ठहराया था कि कोरिया की सबसे प्रतिष्ठित कंपनी को कामकाज बढ़ाने के लिए उनकी जरूरत है। ली को जेल से रिहाई के कुछ ही समय बाद कंपनी की जिम्मेदारी दे दी गयी।
सैमसंग, ह्युंदै और एलजी समूह जैसी इन परिवार संचालित कंपनियों ने 1961 से 1997 के बीच कोरिया की बढ़ती अर्थव्यवस्था में योगदान दिया और कोरिया की घरेलू अर्थव्यवस्था में लंबे समय तक अधिपत्य रखा।
हालांकि इस तरह के समूहों (चैबल) के प्रति जनता का नजरिया साफ नहीं है। उनकी आर्थिक सफलता पर तो लोगों को गर्व होता है, लेकिन उनके प्रति व्यापक नफरत भी है।
मध्यम वर्ग जहां अपने उच्च शिक्षित बच्चों को इन ‘चैबल’ में भेजना चाहता है, वहीं ये शिक्षित लोग इन्हें भ्रष्ट और सामाजिक न्याय को अवरुद्ध करने वाली इकाइयों के तौर पर देखते हैं। पारिवारिक स्वामित्व वाले कई घराने इस तरह का बर्ताव करते हैं, मानो वे कानून से ऊपर हैं। सरकार के संदर्भ में भी इसी तरह की अस्पष्टता है।
पिछले दो दशक में सरकारों ने चैबल या इन समूहों के प्रभुत्व को सीमित करने का प्रयास भी किया है।
धनवान परिवारों को केंद्रित करते हुए कोरिया में दुनिया का सबसे भारी संपदा कर लगाया जाता है जो 65 प्रतिशत तक है।
कोरिया कॉर्पोरेट गवर्नेंस इंप्रूवमेंट (केसीजीआई) फंड और नेशनल पेंशन सर्विस जैसी संस्थाएं चैबल कंपनियों के शेयर संभाल रही हैं।
वे कम हिस्सेदारी वाले शेयरधारकों के हितों को बचाने और परिवार के स्वामित्व वाले समूहों के उनके हित वाले फैसलों का विरोध करने में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं।
सरकारें व्यापक रूप से सफल कारोबारी समूहों का बचाव करती हैं और उनकी सफलता में योगदान देती हैं, वहीं कोरिया के बड़े उद्योग समूहों के परिजनों के लिए जेल की सजा को कम करना भी आम बात है।
पारिवारिक कंपनियों का स्वामित्व कोरिया जैसे मध्यम आकार की औद्योगिक अर्थव्यवस्थाओं के लिए तनाव पैदा करने वाला होता है।
घरेलू स्तर पर चैबल का खतरनाक प्रभाव नजर आता है।
कोरिया पिछले 30 साल से अधिक समय से भारी सब्सिडी वाली निर्यातोन्मुखी विकास रणनीति को अपनाता है। यहां 1990 के दशक का बीच का समय चैबल की आर्थिक सफलता के लिए सबसे महत्वपूर्ण समय रहा।
लेकिन 1997 के एशियाई वित्तीय संकट ने इनकी स्थिति को नजरअंदाज किया। 1997 में शीर्ष 30 कंपनियों में से 10 दिवालिया हो गयीं और 2003 तक बंद हो गयीं। इनमें चौथे स्थान पर रहने वाली देइवू कंपनी भी थी।
इसके अलावा, विनिर्माण उद्योग में चीन से मिल रही प्रतिस्पर्धा ने भी शेष बचीं चैबल कंपनियों पर लगाम कस रखी है।
ऐसी कई कंपनियों का भविष्य अनिश्चिततापूर्ण हो गया है।
हालांकि सैमसंग अभी मजबूत बनी हुई है।
कोरिया में गूगल जैसी प्रौद्योगिकी और मीडिया कंपनियों नावेर तथा काकाओ के संस्थापकों ने पहले ही वंशवादी इरादे होने की धारणा को खारिज करते हुए पेशेवर प्रबंधन को अपनाने की प्रतिबद्धता जताई है।
हालांकि विरासत वाले उद्योगों में कम लागत वाली अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा, सक्रिय सरकारी निवेशकों, अधिक उत्तराधिकार और संपदा कर तथा ऐसी कंपनियों के सदस्यों का अनैतिक व्यवहार और साथ ही तीसरी पीढ़ी के परिवार के सदस्यों के अनिश्चित रूप से उत्तराधिकार मिलने जैसे कुछ कारक हैं जो कोरिया के चैबल युग के अंत की ओर बढ़ने का इशारा करते हैं।