भारतीय मुक्केबाज मोहम्मद हुसामुद्दीन (57 किलो) , निशांत देव (71 किलो) और दीपक भोरिया (51 किलो) को शुक्रवार को विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक मिले और भारत ने टूर्नामेंट में अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया।
हुसामुद्दीन बदकिस्मत रहे जिन्होंने घुटने की चोट के कारण सेमीफाइनल मुकाबले से नाम वापिस ले लिया।
निजामाबाद के 29 वर्ष के हुसामुद्दीन को बुल्गारिया के जे डियाज इबानेज के खिलाफ क्वार्टर फाइनल मैच के दौरान घुटने में चोट लगी थी।
निशांत का सेमीफाइनल मुकाबला रिव्यू तक पहुंचा और निर्णायकों ने 2022 एशियाई चैम्पियन और 2018 एशियाई खेलों के रजत पदक विजेता कजाखस्तान के असलानबेक शिमबेरगेनोव के पक्ष में फैसला दिया।
भोरिया को दो बार के कांस्य पदक विजेता फ्रांस के बिलाल बेनामा ने रोमांचक मुकाबले में बंटे हुए फैसले पर 4 . 3 से हराया। भोरिया को 2019 विश्व चैम्पियनशिप कांस्य पदक विजेता अमित पंघाल पर तरजीह देकर टीम में चुना गया था।
इससे पहले भारतीय मुक्केबाजी महासंघ ने एक बयान में कहा ,‘‘ हुसामुद्दीन को चोट के कारण विरोधी को वॉकओवर देना पड़ा। उसे कांस्य पदक से ही संतोष करना होगा। उसे क्वार्टर फाइनल मुकाबले के दौरान चोट लगी थी और उसे आगे नहीं खेलने की सलाह मिली थी।’’
हुसामुद्दीन पहली बार विश्व चैम्पियनशिप खेल रहे थे। उन्हें सेमीफाइनल में क्यूबा के सेडेल होर्टा से खेलना था।
भारत को तीनों पदक ओलंपिक वर्गों में मिले हैं जो एशियाई खेलों की तैयारियां को पुख्ता करेंगे। एशियाई खेल पेरिस ओलंपिक का पहला क्वालीफायर भी है।
भारत ने इससे पहले सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2019 में किया था जब पंघाल को रजत और मनीष कौशिक को कांस्य पदक मिला था।
विश्व चैम्पियनशिप में इससे पहले भारत के लिये विजेंदर सिंह (कांस्य, 2009), विकास कृष्णन (कांस्य 2011), शिवा थापा (कांस्य , 2015), गौरव बिधूड़ी (कांस्य 2017), पंघाल (रजत 2019), कौशिक (कांस्य 2019) और आकाश कुमार (कांस्य 2021) ने पदक जीते हैं।