तुर्किये में राष्ट्रपति चुनाव सोमवार को दूसरे दौरे में बढ़ता प्रतीत हुआ क्योंकि राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी से आगे तो निकल गए हैं, लेकिन जरूरी बहुमत हासिल नहीं कर पाये हैं।
देश में हो रहे चुनाव पर पूरी दुनिया की नजर है कि रणनीतिक रूप से स्थित यह ‘नाटो’ देश राष्ट्रपति की मजबूत पकड़ में रहता है या यह उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी किमल किलिकडारोग्लू द्वारा परिकल्पित अधिक लोकतांत्रिक रास्ते पर आगे बढ़ता है।
देश पर एर्दोआन ने 20 वर्षों तक शासन किया है। सर्वेक्षणों में यह बात सामने आयी है कि आर्थिक उथल-पुथल, महंगाई, फरवरी में आये भूकंप के बाद सरकार की प्रतिक्रिया की आलोचना के बीच उनका कार्यकाल समाप्त हो सकता है।
देश में आये भूकंप में 50,000 से अधिक लोग मारे गए थे।
सुप्रीम इलेक्टोरल बोर्ड के प्रमुख अहमत येनर ने पत्रकारों को बताया कि 99.4 प्रतिशत घरेलू मतों और 84 प्रतिशत विदेशी मतों की गिनती के साथ, एर्दोआन को49.4 प्रतिशत मत मिले हैं जबकि किलिकडारोग्लू को 45 प्रतिशत मत मिले हैं। वहीं तीसरे उम्मीदवार, राष्ट्रवादी नेता सिनान ओगन को 5.2 प्रतिशत मत प्राप्त हुए हैं।
तुर्किये के राष्ट्रपति एर्दोआन ने सोमवार सुबह कहा कि वह देश का राष्ट्रपति चुनाव अब भी जीत सकते हैं लेकिन अगर चुनाव 28 मई को दूसरे दौर में जाता है तो वह देश के फैसले का सम्मान करेंगे।
दूसरे दौर का चुनाव में उनके पक्ष में जा सकता है क्योंकि उनके गठबंधन के संसद में बहुमत बरकरार रखने की संभावना है।
रविवार के मतदान के ‘ओपिनियन पोल’ में छह-पार्टी वाले विपक्षी गठबंधन के संयुक्त उम्मीदवार किलिकडारोग्लू को एर्दोआन पर मामूली बढ़त दी थी। किलिकडारोग्लू दूसरे दौर में जीत को लेकर आशान्वित दिखे। 74 वर्षीय किलिकडारोग्लू ने कहा, ‘‘हम निश्चित रूप से दूसरे दौर में जीत दर्ज करेंगे … और लोकतंत्र लाएंगे।’’ उन्होंने कहा कि एर्दोआन ने उस राष्ट्र का विश्वास खो दिया है जो अब बदलाव की मांग कर रहा है।
करीब दो दशक से सत्ता में बने रहने वाले एर्दोआन को रविवार को हुए चुनाव में कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ा। यह चुनाव मुख्यत: अर्थव्यवस्था, नागरिक अधिकार और फरवरी में आए भूकंप जैसे घरेलू मुद्दों पर केंद्रित रहा।
अगर किसी उम्मीदवार को 50 प्रतिशत से अधिक वोट नहीं मिलते हैं तो पहले दौर के शीर्ष दो उम्मीदवारों के बीच 28 मई को निर्णायक मुकाबला होगा।