संयुक्त राष्ट्र की एक समिति ने वैश्विक स्तर पर प्लास्टिक प्रदूषण के खात्मे के मकसद से एक ऐतिहासिक संधि तैयार करने के लिए सोमवार को फ्रांस की राजधानी पेरिस में बैठक की। हालांकि, बैठक में संधि के स्वरूप को लेकर पूर्ण रूप से सहमति कायम नहीं हो पाई।
‘द इंटर गवर्नमेंटल नेगोशिएटिंग कमेटी फॉर प्लास्टिक’ को समुद्री पर्यावरण सहित अन्य क्षेत्रों में प्लास्टिक प्रदूषण के खात्मे के लिए पहली अंतरराष्ट्रीय एवं कानूनी रूप से बाध्यकारी संधि तैयार करने का जिम्मा सौंपा गया है। समिति ने 2024 के अंत तक संधि पर वार्ता पूरी करने के लिए होने वाली पांच बैठकों में से सोमवार को दूसरी बैठक की।
छह महीने पहले उरुग्वे में आयोजित पहली बैठक में कुछ देशों ने वैश्विक जनादेश पर जोर दिया था, तो कुछ ने राष्ट्रीय समाधान की वकालत की था और कुछ ने दोनों ही विचारों का समर्थन किया था।
विशेषज्ञों का कहना है कि चूंकि, संधि पर वार्ता को पूरा करने के लिए काफी कम समय बचा है, इसलिए दूसरी बैठक में जरूरी है कि इसके प्रारूप के उद्देश्यों और दायरे पर उचित फैसले लिए जाएं, मसलन कि यह संधि किस तरह के प्लास्टिक पर केंद्रित होगी। हालांकि, उन्होंने कहा कि इस बारे में बोलना जितना आसान है, करना उतना ही मुश्किल।
पेरिस स्थित संयुक्त राष्ट्र की सांस्कृतिक एजेंसी यूनेस्को में आयोजित इस बैठक में लगभग 200 देशों की सरकारों के प्रतिनिधियों और पर्यवेक्षकों सहित 2,000 से ज्यादा प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।
इस बैठक में जिन प्रमुख मुद्दों पर विचार किया गया, उनमें प्रत्येक निर्णय पर हर देश के लिए मतदान की प्रणाली तय करना शामिल है, जिस पर पहले ही काफी बहस होने के कारण पूर्ण सत्र में देरी हुई है। इस सत्र को शुक्रवार को समाप्त होना है।
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम ने अप्रैल में कहा था कि मानव जाति हर साल 43 करोड़ टन से अधिक प्लास्टिक पैदा करती है, जिसमें से दो-तिहाई उत्पाद लघु इस्तेमाल अवधि वाले होते हैं। ये उत्पाद कचरे के रूप में समुद्र में पहुंचकर मानव खाद्य शृंखला में प्रवेश कर जाते हैं।
आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन के मुताबिक, 2060 तक वैश्विक स्तर पर उत्पादित प्लास्टिक कचरा लगभग तिगुना हो जाएगा, जिनमें से आधा लैंडफिल साइटों में जाएगा और 20 फीसदी से भी कम रिसाइकिल (पुर्नचक्रण) किया जाएगा।
संधि मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर ध्यान केंद्रित करेगी, जैसा कि नॉर्वे और रवांडा के नेतृत्व वाले देशों के स्व-नामित ‘उच्च महत्वाकांक्षा गठबंधन’ द्वारा वांछित है। इसके तहत, प्लास्टिक के उत्पादन की सीमा निर्धारित की जा सकती है और प्लास्टिक में इस्तेमाल होने वाले कुछ रसायनों पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है।
यह गठबंधन 2040 तक प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय एवं कानूनी रूप से बाध्यकारी संधि कायम करने के लिए प्रतिबद्ध है। उसका कहना है कि यह संधि जैव विविधता को बहाल करने और जलवायु परिवर्तन पर लगाम लगाने में मदद करने के साथ ही मानव स्वास्थ्य एवं पर्यावरण की रक्षा करने के लिए अहम है।