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‘शायद इसीलिए कहते है कि राजनीति गंदी है’, 103 दिन बाद मनीष सिसोदिया से मिलकर बोलीं पत्नी सीमा

दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की पत्नी सीमा सिसोदिया, जिनका अपने आवास पर इलाज चल रहा है, ने 103 साल बाद अपने पति से मिलने पर एक खुला और भावनात्मक पत्र लिखा है। गौरतलब है कि सीमा मल्टीपल स्केलेरोसिस से पीड़ित हैं और उन्हें पिछले महीने भी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। पत्र में उन्होंने कहा है कि कैसे मनीष की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए युगल के बेडरूम के प्रवेश द्वार पर पुलिस अधिकारियों को तैनात किया गया था। उन्होंने कहा, “शायद इसीलिये कहती थी राजनीति गंदी है!”
 

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सीमा सिसोदिया ने अपने पत्र में लिखा कि आज 103 दिन बाद मनीष से मुलाक़ात हुई। 7 घंटे के लिए। वह भी इस तरह की पुलिस बेडरूम के दरवाजे पर बैठी आपको लगातार देख रही है और आपकी हर बात सुन रही थी। शायद इसीलिए कहते है कि राजनीति गंदी है। उन्होंने कहा कि जब ये लोग पार्टी बना रहे थे तो उस वक़्त बहुत से शुभचिंतकों से सुनने को मिला था की पत्रकारिता और आंदोलन तक तो ठीक है पर राजनीति के चक्कर में मत पड़ो। यहाँ पहले से बैठे लोग काम करने नहीं देंगे और फैमिली को परेशान करेंगे वो अलग। लेकिन मनीष की ज़िद थी। अरविंद जी और अन्य लोगों के साथ पार्टी बनाई और काम करके भी दिखाया। इन लोगों की राजनीति ने बड़े बड़े लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी की बात करने पर मजबूर किया।
 

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आज वही ज़िद फिर से मनीष के चेहरे पर और बातों में दिखाई दी। जो आदमी पिछले 103 दिन से एक दटी बिछाकर फर्श पर सो रहा है, मच्छर, चींटे कीड़े, गर्मी इस सब की परवाह किए बगैर आज भी उसकी आखों में एक ही सपना है -शिक्षा के जरिए देख को खड़ा करना है, अरविंद केजरीवाल के साथ मिलकर ईमानदार राजनीति करके दिखानी है। भले ही कितनी मुसीबतें आएँ, कितनी साज़िशें हो। उन्होंने कहा कि पिछले तीन महीने में दुनिया का शिक्षा का इतिहास पढ़ डाला है। किस देश के किस नेता ने शिक्षा पर ज़िद करके काम किया और फिर वो देश आज कहाँ से कहाँ पहुँच गए है। जापान, चीन, सिंगापुर, इजराइल, अमेरिका भारत की शिक्षा में क्या अच्छा हुआ क्या कमी रह गई। आज की हमारी मुलाक़ात में मेटी तबियत के साथ साथ ये भी बातें की।
मुझे फ़क्र है कि मेरा पति आज भी अपनी उसी ज़िद ओट तेवर में है। अरविंद और मनीष के ख़िलाफ़ साज़िश करके वे लोग खुश होंगे कि अरविंद के सिपाही को जेल में डाल दिया है। पट में देख रही हूँ कि तिहाड़ जेल की एक कोठटी में 2047 के शिक्षित और समृद्ध भारत का सपना मज़बूती से चुना जा रहा है। झूठ और साज़िशों के सामने ईमानदारी और शिक्षा की राजनीति का सपना जीतेगा। 

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