आम आदमी पार्टी (आप) के नेता राघव चड्ढा को नई दिल्ली में टाइप VIII सरकारी बंगला आवंटित किया गया था। लेकिन अब राज्यसभा सदस्य होने के बावजूद बंगला खाली करने के लिए कहा गया है। आप सांसद राघव चड्ढा को टाइप VIII सरकारी बंगला आवंटित किया गया था, जबकि उन्होंने राज्यसभा में पहली बार सांसद के रूप में टाइप V बंगले के लिए अर्हता प्राप्त की थी। चड्ढा से बंगला खाली कराने की कोशिशों के बीच आप नेता ने राज्यसभा सचिवालय के खिलाफ अदालत जाने का फैसला किया। वहीं अदालत से चड्ढा को फौरी राहत भी मिल गई है। आप सांसद राघव चड्ढा को अंतरिम राहत देते हुए दिल्ली की एक अदालत ने राज्यसभा सचिवालय को निर्देश दिया है कि आवेदन के लंबित होने तक लुटियंस दिल्ली में टाइप-7 बंगले का निस्तारण न किया जाए।
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कैसे अलॉट होता है बंगला
भारत सरकार की सम्पदाओं का प्रशासन और प्रबंधन करना संपदा निदेशालय के जिम्मे है। जिसमें देश भर में सरकारी आवासीय आवास और अन्य संपत्तियां शामिल हैं। केंद्र सरकार के बंगलों का आवंटन सामान्य पूल आवासीय आवास (जीपीआरए) अधिनियम के तहत किया जाता है। जीपीआरए दिल्ली में और दिल्ली के बाहर 39 स्थानों पर डीओई के प्रशासनिक नियंत्रण में केंद्र सरकार के आवासीय आवास को कवर करता है। केंद्र सरकार के कर्मचारी जीपीआरए पूल के तहत आवास के लिए आवेदन करने के पात्र हैं,और आवंटन आवेदक के वेतनमान, कार्यालय या स्थिति के अनुसार किया जाता है। केंद्रीय मंत्रियों की सेवा के लिए आवास डीओई द्वारा आवंटित किया जाता है। टाइप VII या टाइप VIII बंगला आवंटित करने की जिम्मेदारी हाउस कमेटी की होती है।
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क्या है राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा का केस
राज्यसभा सचिवालय की ओर से राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा को सबसे पहले नई दिल्ली में एक टाइप-VII बंगला आवंटित किया गया था। जो कि आमतौर पर पूर्व केंद्रीय मंत्रियों, राज्यपालों या मुख्यमंत्रियों को दिए जाते हैं। इसके बाद राज्यसभा सचिवालय हाउस कमेटी ने राघव चड्ढा की सांसद कैटेगरी के अनुसार उनको टाइप- VI श्रेणी का दूसरा नया बंगला आवंटिक किया था, जिसमें रेनोवेशन कराने के बाद से वो अपने परिवार के साथ रह रहे थे। लेकिन अब उनके सरकारी आवास का आवंटन टाइप IV का पात्र होने की वजह से एक बार फिर से रद्द कर दिया गया। जिसके खिलाफ राघव चड्ढा कोर्ट पहुंच गए।
मंत्री या सांसद को किस टाइप का बंगला होता है अलॉट
टाइप-8 बंगले: यह सबसे बड़े बंगले माने जाते है। ये एक 3 एकड़ में फैले हुए है। इन बंगलों में 8 कमरे हैं। इनमें 5 बेडरूम एक बड़ा हॉल, 1 डाइनिंग रूम और एक स्टडी रूम है। कैंपस में बैठने के लिए अलग से हॉल और लॉन हैं। ये बंगले कैबिनेट मिनिस्टर, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस, पूर्व प्रधानमंत्री, पूर्व राष्ट्रपति, पूर्व उपराष्ट्रपति या उनकी जीवित पत्नियों को अलॉट किए जाते हैं। ये बंगले नई दिल्ली के जनपथ रोड, मोतीलाल नेहरू मार्ग, तुगलक रोड, सफदरजंग रोड, अकबर रोड, कृष्णमेनन मार्ग और त्यागराज मार्ग पर हैं।
टाइप-7 बंगले: ये बंगले एक एकड़ से लेकर सवा एकड़ तक में फैले हैं। इनमें 4 बेडरूम होते हैं। ये बंगले राज्य मंत्रियों, हाई कोर्ट के जस्टिस, कम से कम पांच बार के सांसदों को अलॉट किया जाता है। ऐसे बंगले अशोका रोड, लोदी स्टेट, कुशक रोड, तुगलक रोड और कैर्निंग लेन में है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी तुगलक लेन के टाइप 7 बंगले में ही रहते हैं।
टाइप-6 और 5 बंगले: ये बंगले एक बार या उससे अधिक जीतकर आने वाले सांसदों और पहली बार जीतकर आने वाले सांसदों को मिल सकते हैं। ये 1 एकड़ से कम के बंगले हैं। टाइप-5 बंगले चार कैटगरी में होते हैं। पहली कैटेगरी में ए में एक बेडरूम और एक ड्राइिंग रूम होते हैं। जबकि दूसरी कैटगरी यानी बी में दो बेडरूम और एक ड्राइिंग रूम, सी में 3 बेडरूम और एक ड्राइिंग रूम और डी कैटेगरी में 4 बेडरूम और 1 ड्राइिंग रूम होता है।