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सेंगोल को लेकर BJP का दावा है फर्जी? मठ प्रमुख ने अपने इंटरव्यू में ऐसा क्या कह दिया

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने 9 जून को तमिलनाडु स्थित एक धार्मिक संस्था के प्रमुख के हवाले से एक साक्षात्कार का हवाला देते हुए कहा कि भाजपा का ‘सेंगोल’ अंग्रेजों से पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक के रूप में मिलने का दावा उजागर हो गया है। रमेश ने तिरुवदुथुराई अधीनम के प्रधान पुजारी का हवाला दिया। एक इंटर्व्यू में उन्होंने कहा कि नेहरू को ‘सेगोंल’ सौंपने के समय न तो लॉर्ड माउंटबेटन और न ही सी राजगोपालाचारी मौजूद थे।

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28 मई को नए संसद भवन के उद्घाटन और लोकसभा में ‘सेंगोल’ की स्थापना से पहले भाजपा ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस ने पवित्र ‘सेंगोल’ को सोने की छड़ी ‘कहकर हिंदू परंपराओं के प्रति उपेक्षा प्रदर्शित की है। भारत के पहले प्रधानमंत्री नेहरू ने इसे एक संग्रहालय में रख दिया। भाजपा नेता अमित मालवीय ने 26 मई को कहा था कि भारत की स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर नेहरू के पास पवित्र ‘सेगोंल” का निहित होना, अंग्रेजों से भारत में सत्ता हस्तांतरण का सटीक क्षण था। रमेश ने कहा  कि माउंटबेटन, राजगोपालाचारी और नेहरू द्वारा ‘सेंगोल’ को अंग्रेजों द्वारा भारत में सत्ता के हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में वर्णित करने का कोई दस्तावेजी साक्ष्य नहीं है। राजगोपालाचारी भारत में जन्मे पहले गवर्नर-जनरल थे जिन्होंने माउंटबेटन का स्थान लिया।

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एक ट्वीट में कांग्रेस नेता ने कहा कि भाजपा की फेक फैक्ट्री का पर्दाफाश किसी और ने नहीं, बल्कि द हिंदू में थिरुवदुथुराई अधीनम के श्रद्धेय प्रमुख स्वामीगल ने खुद किया है। कोई माउंटबेटन, कोई राजाजी, 14 अगस्त, 1947 को सत्ता आधिकारिक हस्तांतरण में हिस्सा नहीं थे। लेकिन हां, राजसी सेंगोल नेहरू को वास्तव में प्रस्तुत किया गया था जैसा कि मैं हमेशा से कहता रहा हूं। उन्होंने 29 अगस्त, 1947 के एक विज्ञापन का हवाला देते हुए कहा कि आज के राजा और उनके ढोल बजाने वालों के झूठ पर कुछ और तथ्य हैं। नेहरू को औपचारिक राजदंड की प्रस्तुति पर 14 अगस्त, 1947 को अपने आवास पर रात 10 बजे की गई। उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट रूप से तिरुवदुथुराई अधिनियमम की ही एक पहल थी। उन्होंने कहा कि फोटो में प्रसिद्ध नागास्वरम गुणी टीएन राजारत्नम पिल्लई अंकित हैं।

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