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बंगाल में पंचायत चुनाव से पहले हिंसा वास्तविकता, कल्पना नहीं : राज्यपाल

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी.वी.आनंद बोस ने सोमवार को कहा कि ग्रामीण इलाकों में पंचायत चुनाव से पहले हो रही हिंसा की घटनाएं ‘‘वास्तविकता हैं, न कि कल्पना’’ और वह इन्हें रोकने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि राजभवन में ‘पीस रूम’ की स्थापना का प्राथमिक उद्देश्य यह है कि बंगाल का आम आदमी शांति से रह सके और बिना भय अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सके।
बोस ने कहा, ‘‘कई घटनाएं हुई हैं, जिन्हें हम रोकने की कोशिश कर रहे हैं। हम से अभिप्राय सभी हितधारकों के मिलकर कार्य करने से है, जिसमें राज्य सरकार, राज्य निर्वाचन आयोग (एसईसी), सभी राजनीतिक दल, मीडिया और खामोश रहने वाला बहुमत शामिल है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यहां (पश्चिम बंगाल में) हिंसा वास्तविकता है, कल्पना नहीं। हमें इसे रोकना होगा, जिसपर मैं ध्यान केंद्रित कर रहा हूं।’’

राज्यपाल राजभवन में ‘पीस रूम’ स्थापित करने की जरूरत को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे। उन्होंने दक्षिण 24 परगना के भांगर और कैनिंग के हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा करने के बाद ‘पीस रूम’ की स्थापना की थी।
बोस ने कहा, ‘‘कुछ उपद्रवी तत्वों ने राज्य के कुछ स्थानों पर ‘वार रूम’ स्थापित किया है…हम स्थापित करना चाहते हैं कि आम आदमी शांति से रह सके और बिना किसी भय के मतदान कर सके। इसलिए सरकार और आम आदमी के बीच कड़ी का निर्माण करने के लिए ‘पीस रूम’ की स्थापना कीहै।’’
बोस ने कहा कि ‘पीस रूम’ में आ रही शिकायतें आरोप नहीं हैं, बल्कि तथ्य हैं क्योंकि ये अधिकतर हमले या हिंसा के पीड़ितों से आ रही हैं।उन्होंने कहा, ‘‘हम प्राप्त शिकायतों का विश्लेषण कर रहे हैं और उन्हें सक्षम प्राधिकार को भेज रहे हैं…अंतत: इसका उद्देश्य पश्चिम बंगाल के चुनावी परिदृश्य से इस अस्वस्थ परिपाटी (हिंसा) को उखाड़ फेंकना है।’’

राजभवन द्वारा शनिवार को जारी बयान में कहा गया कि ‘‘लोगों द्वारा बंगाल में चुनाव पूर्व आपराधिक धमकी के बारे में कई ज्ञापन मिले थे’’ जिसको ध्यान में रखते हुए ‘पीस रूम’ की स्थापना की गई है।
राज्यपाल ने दार्जिलिंग के सांसद राजू बिस्ता द्वारा जान से मारने की धमकी दिए जाने की शिकायत करने पर राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से तत्काल बढ़ाई गई उनकी सुरक्षा का भी उल्लेख किया।
अगले महीने की आठ तारीख को होने वाले पंचायत चुनाव के लिए केंद्रीय बलों की तैनाती के सवाल पर बोस ने कहा कि चूंकि मामला उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है, बेहतर होगा कि फैसले का इंतजार किया जाए।

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