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हल्द्वानी में जबरन दुकानें बंद कराए जाने के खिलाफ अल्पसंख्यकों ने किया प्रदर्शन

हल्द्वानी बाहरी इलाके में मुखानी क्षेत्र के कमलुवागांजा में पिछले एक सप्ताह से एक समुदाय विशेष की दुकानें जबरन बंद कराए जाने के खिलाफ अल्पसंख्यक समाज के लोगों ने बृहस्पतिवार को यहां बुद्धा पार्क में प्रदर्शन किया।इस दौरान, प्रदर्शनकारियों ने पुलिस अधीक्षक को संबोधित एक ज्ञापन भी सौंपा जिसमें आरोप लगाया गया है कि पहले तो अल्पसंख्यकों की दुकानें जबरन बंद करा दी गईं और अब उन्हें दुकानें खाली कर गांव छोड़ने या परिणाम भुगतने की धमकी दी जा रही है जिससे अल्पसंख्यक समुदाय में दहशत का माहौल है।
ज्ञापन में अल्पसंख्यकों को सुरक्षा देने तथा पुलिस हिरासत में मौजूद नफीस नाम के व्यक्ति को निर्दोष बताते हुए उसे रिहा करने की मांग भी की गयी है।

प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि जानवर के साथ अप्राकृतिक कृत्य करने के आरोप में गिरफ्तार नफीस को स्थानीय लोगों ने 14 जून को पहले पीटा और उसके बाद उसके बाल काटकर उसका वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित कर दिया।इसघटना से कमलुवागांजा में तनाव बढ़ गया जहां लोगों ने कथित रूप से एक समुदाय विशेष की कुछ दुकानों को निशाना बनाते हुए उनमें तोड़फोड़ की और उन्हें जबरन बंद करा दिया।
हल्द्वानी और नैनीताल के पुलिस अधिकारियों ने बताया कि तोड़फोड़ की घटना के लिए जिम्मेदार 50 से 60 अज्ञात लोगों के खिलाफ भारतीय दंड विधान की विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
हल्द्वानी के नगर पुलिस अधीक्षक हरबंस सिंह ने संपर्क किए जाने पर बताया कि 14 जून को हुई घटना के तत्काल बाद क्षेत्र में अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की गयी।
ज्ञापन में कहा गया है कि नफीस दरअसल किसी ग्रामीण से अपनी बकाया धनराशि लेने गया था लेकिन सत्ताधारी दल से वरदहस्त प्राप्त लोगों ने उसे मारा-पीटा और फिर उसके बाल काट दिए।


अल्पसंख्यकों समाज के सदस्यों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने नफीस को आरोपों की छानबीन किए बिना ही केवल लोगों के कहने पर गिरफ्तार कर लिया।
ज्ञापन में कहा गया है कि देश के संविधान का अनुच्छेद 19 देश के नागरिकों को किसी भी क्षेत्र में रहने, बसने एवं व्यापार करने का अधिकार देता है परंतु कमलुवागांजा में संवैधानिक मूल्यों का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है।
ज्ञापन में नसीम को तत्काल रिहा करने, अराजकता फैलाने वालों के विरुद्ध कार्रवाई करने की मांग करते हुए कहा गया है कि ऐसा न होने पर अल्पसंख्यक समाज के लोग दो जुलाई को एक बार फिर बुद्धा पार्क में धरना प्रदर्शन एवं सम्मेलन करने के लिए बाध्य होंगे और इसकी पूर्ण जिम्मेदारी पुलिस प्रशासन की होगी।

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