Breaking News
-
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता प्रज्ञा ठाकुर के वकील ने 3 अक्टूबर को मुंबई की…
-
झारखंड विधानसभा चुनाव में राज्य में बांग्लादेश से होने वाले घुसपैठ को भाजपा बड़ा मुद्दा…
-
तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों का हवाला…
-
नई दिल्ली। केंद्रीय राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने कहा है कि यह बहुत ही हास्यास्पद…
-
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) को सरकार के खिलाफ विरोध…
-
ईरान इजरायल जंग के बीच भारतीय नौसेना को लेकर बहुत बड़ी खबर सामने आई है।…
-
हरियाणा में चुनाव प्रचार खत्म हो गया है। 5 अक्टूबर को 90 सीटों पर वोट…
-
यूनाइटेड किंगडम डिएगो गार्सिया में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण यूके-यूएस सैन्य अड्डे के भविष्य को…
-
कई वर्षों से जेवर विधानसभा क्षेत्र की खेरली हाफिजपुर नहर पर पुल बनाए जाने की…
-
कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने दावा किया है कि हिंदुत्व विचारक विनायक…
टमाटर की कीमतों में भारी बढ़ोतरी के बाद, आपकी रसोई की थाली के लिए एक और समस्या आ गई है। इस बार खाने का स्वाद बढ़ाने वाला अहम मसाला ‘जीरा’ रिकॉर्ड हाई रेट पर पहुंच गया है। जीरा भारतीय किचन का अहम हिस्सा है, जो खाने में अलग जान डाल देता है। मगर अब ये आम जनता की थाली से गायब होने वाला है।
दरअसल भारतीय व्यंजनों में स्वाद जोड़ने वाला ये मसाला अब आम जनता की जेब पर डांका डालने को तैयार है। इसकी कीमतों में बीते आठ महीनों में 300% से अधिक की वृद्धि देखी गई है। जीरे की बढ़ती कीमतों के लिए व्यापारियों ने दो प्रमुख कारण बताए हैं। व्यापारियों का कहना है कि वर्ष 2022-23 में गुजरात में जीरे की फसल थोड़ी कम बोई गई थी, इस कारण भी जीरे की कीमत में इजाफा हुआ है। गौरतलब है कि गुजरात जीरे का मुख्य आपूर्तिकर्ता है। इसके अलावा दूसरा कारण है कि मार्च में अप्रत्याशित बारिश से भी उत्पादन प्रभावित हुआ।
बता दें कि इन दो कारणों से बीते कुछ महीनों में जीरे के दाम आसमान छूने लगे है। अगर लखनऊ की बात करें तो यहां खुदरा बाजारों में 1 किलो जीरे की कीमत 250 रुपये से बढ़कर 850 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है। यानी कीमतें सीधे तीन गुणा से अधिक बढ़ गई है। जीरे के बढ़ते दाम को लेकर थोक विक्रेताओं का कहना है कि मानसून के मौसम के कारण कीमतें 1,000 रुपये प्रति किलोग्राम तक जाने की उम्मीद है, जो जीरे की खेती के लिए अनुकूल नहीं है। बता दें कि गुजरात के उंझा और राजस्थान के कुछ जिलों से उत्तर प्रदेश में जीरा सप्लाई होता है।
उत्तर प्रदेश में जीरा का स्टॉक रखने वाले एक व्यक्ति ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि बीते तीन महीनों से फसल में काफी कमी आई है। फसल कम होने के कारण जीरे की मांग तो बढ़ी है मगर इसकी सप्लाई और पूर्ति नहीं हो पा रही है। यही कारण है कि इसका दाम बढ़ रहा है।
इस बात में कोई दो राय नहीं है कि भारत के घरों के किचन में आमतौर पर हर रोज ही जीरे का उपयोग खाने को बनाने के लिए तड़का लगाने में किया जाता है। मगर इसकी कई खूबियां है जो इसके अब भी खाना बनाने के लिए अहम वस्तु के तौर पर बनाता है। वहीं जीरा का दाम बढ़ने से अब रेस्टोरेंट में भी कई डिशेज बनाने में काफी मुश्किल हो रही है, जैसे जीरा आलू हो या जीरा राइस। अगर आने वाले दिनों में ये डिश मेन्यू से गायब हो जाएं तो हैरान करने वाली बात नहीं होगी।