महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी पर कब्जे की लड़ाई आज पूरी तरह सड़कों पर आ गयी क्योंकि चाचा शरद पवार और भतीजे अजित पवार ने अपनी अपनी ताकत दिखाने के अलावा पार्टी पर मालिकाना हक के लिए निर्वाचन आयोग के समक्ष दावा भी ठोंक दिया। कुछ समय पहले तक अजित पवार चाचा शरद पवार से अपील कर रहे थे कि उन्हें पार्टी में कोई पद दे दें लेकिन पुत्री मोह में फँसे चाचा शरद पवार ने एक नहीं सुनी। इससे खफा होकर भतीजे अजित ने चाचा से पूरी पार्टी ही छीन ली क्योंकि आज उनके समर्थक विधायकों और पार्टी पदाधिकारियों ने अजित दादा पवार को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया। इसी के साथ ही अजित पवार खेमे ने भारतीय निर्वाचन आयोग को भी पार्टी के इस निर्णय की जानकारी भेज दी है। देखा जाये तो भतीजे अजित पवार ने महाराष्ट्र की राजनीति में जो धमाका किया है उससे उन परिवारवादी राजनीतिक दलों को भी चेत जाना चाहिए जो अपने नाते रिश्तेदारों को हल्के में लेने की भूल करते हैं। हो सकता है कि महाराष्ट्र के घटनाक्रम के बाद परिवार आधारित राजनीतिक दलों में अध्यक्ष या मुख्यमंत्री के भाई, भतीजे, मामा, फूफा, मौसी, बुआ या चाचा-चाची को अब और ज्यादा महत्वपूर्ण पद मिलें।
एक तरफ जोश दूसरी तरफ उदासी
हम आपको बता दें कि महाराष्ट्र में आज राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के दोनों प्रतिद्वंद्वी गुटों ने समानान्तर रूप से पार्टी के विधायकों, विधान परिषद सदस्यों, सांसदों और पदाधिकारियों की बैठक बुलाई थी। महाराष्ट्र विधानसभा में एनसीपी के कुल 53 विधायक हैं लेकिन इनमें से मात्र 13 विधायक ही शरद पवार की ओर से बुलायी गयी बैठक में पहुँचे और 35 से ज्यादा विधायक अजित पवार की बैठक में पहुँचे जबकि कुछ विधायकों ने अभी तटस्थ रुख अपना रखा है। संभवतः वह एनसीपी पर मालिकाना हक साफ होने के बाद अपने रुख का खुलासा करें। आज दोनों बैठकों की तस्वीरों पर गौर करेंगे तो एक बात और साफतौर पर उभर कर आयेगी कि अजित पवार खेमा आत्मविश्वास से भरा हुआ है जबकि शरद पवार खेमे में उदासी की चादर बिछी दिखी।
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भरे बैठे थे अजित पवार
इसके अलावा, अजित पवार ने आज बैठक में जिस तरह से चाचा शरद पवार के खिलाफ मोर्चा खोला, उससे यह भी प्रदर्शित होता है कि उनके मन में गुस्सा काफी समय से भरा हुआ था। अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए उन्होंने मराठी में दिये गये भाषण में कहा कि शरद पवार ने मुझे सबके सामने खलनायक के रूप में दिखाया। हालांकि मेरे मन में अभी भी उनके (शरद पवार) लिए सम्मान है। अजित पवार ने कहा कि आप मुझे बताएं, IAS अधिकारी 60 साल की उम्र में रिटायर हो जाते हैं… राजनीति में भी भाजपा नेता 75 साल की उम्र में रिटायर हो जाते हैं। आप लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी का उदाहरण देख सकते हैं… इससे नई पीढ़ी को आगे बढ़ने का मौका मिलता है। उन्होंने कहा कि आप (शरद पवार) हमें अपना आशीर्वाद दें…क्योंकि आप 83 वर्ष के हैं। उन्होंने शरद पवार से पूछा कि क्या आप रुकने वाले नहीं हैं? हमें अपना आशीर्वाद दें और हम प्रार्थना करेंगे कि आपकी उम्र लंबी हो। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने साथ ही कहा कि 2004 के विधानसभा चुनाव में NCP के पास कांग्रेस से ज्यादा विधायक थे अगर हमने उस समय कांग्रेस को मुख्यमंत्री पद नहीं दिया होता, तो आज तक महाराष्ट्र में केवल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का ही मुख्यमंत्री होता। अजित पवार ने यह भी कहा कि जन कल्याण के लिए अपनी कुछ योजनाएं लागू करने के लिए वह महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं।
प्रफुल्ल पटेल ने दिखाया आईना
वहीं, एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने इस अवसर पर कहा कि जब हम शिवसेना की विचारधारा को स्वीकार कर सकते हैं तो फिर बीजेपी के साथ जाने में क्या आपत्ति है? उन्होंने कहा कि हम एक स्वतंत्र इकाई के रूप में इस गठबंधन में शामिल हुए हैं। प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में महबूबा मुफ्ती और फारूक अब्दुल्ला बीजेपी के साथ चले गए और अब वे संयुक्त विपक्ष का हिस्सा हैं। उन्होंने कहा कि मैं शरद पवार के साथ पटना में संयुक्त विपक्ष की बैठक में गया था और वहां का दृश्य देखकर मुझे हंसने का मन हुआ। वहां 17 विपक्षी दल थे, उनमें से 7 के लोकसभा में केवल 1 सांसद है और एक पार्टी ऐसी है जिसके पास 0 सांसद हैं। ऐसे में उनका दावा है कि वे बदलाव लाएंगे। उन्होंने कहा कि हमने यह फैसला (एनडीए में शामिल होने का) देश और अपनी पार्टी के लिए लिया है, व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं।
छगन भुजबल की हुँकार
वहीं, महाराष्ट्र सरकार में मंत्री छगन भुजबल ने कहा कि उचित विचार-विमर्श के बाद ही उन लोगों ने राज्य में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार में शामिल होने का निर्णय लिया। भुजबल ने संवाददाताओं से कहा, ”हमने महाराष्ट्र सरकार में शामिल होने का फैसला काफी सोच-विचार के बाद लिया है। यदि राकांपा प्रमुख शरद पवार का राजनीति में 57-58 साल का लंबा कॅरियर है, तो मैंने भी उसी क्षेत्र में 56 वर्ष बिताए हैं। हमने ऐसे फैसला नहीं लिया कि एक दिन सुबह उठे और सरकार में शामिल हो गये।’’ छगन भुजबल ने कहा, ”हमने शरद पवार को ‘गुरु दक्षिणा’ दी है। हमने उनके भतीजे को राज्य का उपमुख्यमंत्री बनाया। हम पूरी पार्टी को सत्ता में लाए हैं।’’
हार मानने को तैयार नहीं शरद पवार
दूसरी ओर, शरद पवार ने अपने भतीजे अजित पवार द्वारा बुलाई गई बैठक से जुड़े मंच पर खुद की तस्वीर लगे होने पर आपत्ति जताते हुए कहा कि जो लोग उनकी तस्वीर का इस्तेमाल कर रहे हैं वो जानते हैं कि उनके पास कुछ और नहीं है। उन्होंने चव्हाण सेंटर में राकांपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। उनकी इस बैठक में पार्टी के करीब एक दर्जन विधायक पहुंचे थे। पवार ने भाजपा के साथ जाने को लेकर अपने भतीजे अजित पवार की आलोचना की और इस बात का उल्लेख किया कि उनकी पार्टी से जुड़े इस घटनाक्रम से कुछ दिनों पहले ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राकांपा को भ्रष्ट पार्टी बताया था। अजित पवार गुट द्वारा राकांपा के चुनाव चिन्ह पर दावा करने के लिए निर्वाचन आयोग का रुख किए जाने पर शरद पवार ने कहा कि वह किसी को भी पार्टी का चुनाव चिन्ह छीनने नहीं देंगे। उनका कहना था, ‘‘कुछ दिनों पहले उन्होंने (अजित पवार) मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का यह कहते हुए उपहास उड़ाया था कि इतने वर्षों में ऐसा मुख्यमंत्री नहीं देखा था। लेकिन अब वे शिंदे के साथ चले गए हैं।’’ पवार ने 1999 में राकांपा के गठन के समय जनता के साथ अपने जुड़ाव को याद करते हुए कहा, ‘‘आज हम भले ही सत्ता में न हों, लेकिन लोगों के दिल में हैं।’’ उन्होंने कहा कि जिन विधायकों ने अलग होने का फैसला किया, उन्होंने हमें विश्वास में नहीं लिया। शरद पवार ने कहा कि अजित पवार गुट ने किसी भी प्रक्रिया का पालन नहीं किया है। शरद पवार ने कहा कि पार्टी का चुनाव चिह्न हमारे पास है, वह कहीं नहीं जायेगा। जो लोग और पार्टी कार्यकर्ता हमें सत्ता में लाए, वे हमारे साथ हैं।
इस दौरान शरद पवार की बेटी और एनसीपी की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले ने कहा कि हमारा अपमान करें, लेकिन हमारे पिता (शरद पवार) का नहीं। यह लड़ाई भाजपा की सरकार के ख़िलाफ़ है। उन्होंने कहा कि भाजपा देश की सबसे भ्रष्ट पार्टी है। सुले ने कहा कि मूल NCP शरद पवार के साथ है और मूल प्रतीक हम हैं।
निर्वाचन आयोग के दरवाजे तक पहुँची लड़ाई
इस बीच, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की गुटीय लड़ाई निर्वाचन आयोग के दरवाजे तक पहुंच गयी है और अजित पवार के नेतृत्व वाले समूह ने उनके समर्थन में विधायकों और सांसदों के 40 से अधिक हलफनामे दाखिल किये हैं। निर्वाचन आयोग के सूत्रों ने बताया कि शरद पवार खेमे ने आयोग के समक्ष एक याचिका दायर कर अनुरोध किया है कि गुटीय लड़ाई के संबंध में कोई भी निर्देश पारित करने से पहले उनकी बात सुनी जाए। निर्वाचन आयोग आगामी दिनों में याचिकाओं पर कार्रवाई कर सकता है और दोनों पक्षों से उसके समक्ष प्रस्तुत संबंधित दस्तावेजों का आदान-प्रदान करने के लिए कह सकता है। हम आपको याद दिला दें कि शरद पवार द्वारा 1999 में स्थापित राकांपा में रविवार को विभाजन हो गया और अजित पवार 40 से अधिक विधायकों के समर्थन का दावा करते हुए महाराष्ट्र में शिवसेना-भारतीय जनता पार्टी गठबंधन सरकार में शामिल हो गए। शरद पवार ने भी असली राकांपा होने का दावा किया और पटेल तथा लोकसभा सदस्य सुनील तटकरे को पार्टी से निष्कासित कर दिया। इसने महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को भी पत्र लिखकर रविवार को मंत्री पद की शपथ लेने वाले नौ विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की है। उधर, महाराष्ट्र विधानमंडल के पूर्व प्रधान सचिव अनंत कलसे ने कहा है कि अजित पवार को अयोग्यता से बचने के लिए कम से कम 36 विधायकों के समर्थन की आवश्यकता है।