मणिपुर में हालात लगातार चिंताजनक बने हुए हैं तो असम में उग्रवाद लगभग समाप्त हो चला है। मणिपुर के बारे में अमेरिकी राजदूत के एक बयान पर राजनीति भी गर्मायी और साथ ही इस सप्ताह राज्य में हिंसा के बीच स्कूल खुलने से जनजीवन जल्द ही सामान्य होने के आसार भी बढ़े। इसके अलावा, इस सप्ताह भाजपा ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में अपने संगठन की एक बड़ी बैठक कर लोकसभा चुनावों की तैयारियों की शुरुआत की तो त्रिपुरा विधानसभा में भारी हंगामे और टिपरा मोथा के अध्यक्ष के ऐलान ने सबको चौंका दिया। मिजोरम में चुनावी तैयारियों ने जोर पकड़ा तो पूर्वोत्तर के कई क्षेत्रों में भारी बारिश ने आम जनजीवन को प्रभावित किया। आइये डालते हैं एक नजर पूर्वोत्तर क्षेत्र से आई बड़ी खबरों पर और सबसे पहले बात करते हैं असम की।
असम
केंद्र और असम सरकार के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले आठ आदिवासी विद्रोही संगठनों के कुल 1182 सदस्यों ने बृहस्पतिवार को औपचारिक रूप से मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा के समक्ष अपने हथियार सौंप दिये। तीन अलग हुए गुटों सहित संगठनों के प्रतिनिधियों ने यहां गृह विभाग द्वारा आयोजित एक समारोह में अपने हथियार जमा कराए। सदस्यों ने 304 हथियार और 1460 राउंड कारतूस सौंपे। इनमें सात एके-सीरीज राइफल, 20 राइफल .303, चार एसएलआर, चार कार्बाइन, एक इंसास राइफल, एक एलएमजी, 124 पिस्तौल, 30 सेमी ऑटोमेटिक राइफल, 20 ग्रेनेड, 10 इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी), दो किलोग्राम आरडीएक्स और 2.5 किलोग्राम टीएनटी शामिल हैं। गृह विभाग ने आत्मसमर्पण स्थल पर 200 हथियारों को प्रदर्शित भी किया। मुख्यमंत्री ने संगठनों को सबोधित करते हुए कहा कि अब वह सभी हिंसा का रास्ता छोड़कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शांति और प्रगति के मिशन में शामिल हो गए हैं। इससे राज्य के आदिवासी इलाकों में उग्रवाद समाप्त हो गया है। उन्होंने कहा कि संगठनों के सदस्यों के पुनर्वास के लिए कई उपाय किए गए हैं। हथियार डालने वाले सभी 1182 सदस्यों को सावधि जमा के रूप में चार लाख रुपये दिए जाएंगे और अगले तीन वर्षों के लिए उन्हें प्रतिमाह 6,000 रुपये का भुगतान किया जाएगा। इसके अलावा शांति समझौते के तहत केंद्र और राज्य सरकार दोनों आदिवासी समुदाय के विकास के लिए 500-500 करोड़ रुपये प्रदान करेंगी। हथियार जमा कराने वाले संगठनों में ऑल आदिवासी नेशनल लिबरेशन आर्मी (एएएनएलए), एएएनएलए (एफजी), बिरसा कमांडो फोर्स (बीसीएफ), बीसीएफ (बीटी), संथाल टाइगर फोर्स, आदिवासी कोबरा मिलिटेंट ऑफ असम (एसीएमए), एसीएमए (एफसी) और आदिवासी पीपुल्स आर्मी (एपीए) शामिल हैं। एसीएमए के 453, बीसीएफ के 340, एसटीएफ के 140, एएएनएलए के 125 और एपीए के 124 कैडरों ने हथियार जमा कराए। आठ आदिवासी संगठनों ने 24 जनवरी 2012 को आत्मसमर्पण कर दिया था और बाद में चार अक्टूबर 2016 को सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस (एसओओ) पर हस्ताक्षर किए थे। एसओओ पर हस्ताक्षर के बाद से संगठनों के सदस्यों और दोनों सरकारों के बीच कई दौर की बातचीत हुई। बाद में 15 सितंबर 2022 को त्रिपक्षीय आदिवासी शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। समझौते की शर्त-3 के अनुसार, असम सरकार ने 16 सदस्यीय आदिवासी कल्याण और विकास परिषद का गठन किया था जिसका अध्यक्ष आशिम हासदा, उपाध्यक्ष सुभाष तिर्की, मुख्य कार्यकारी सदस्य (सीईएम) दुर्गा हासदा और डिप्टी सीईएम पीटर डांग को बनाया गया था। मुख्यमंत्री की मौजूदगी में बृहस्पतिवार को परिषद के सदस्यों का शपथ ग्रहण समारोह भी आयोजित किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा, समझौते में आदिवासियों की आकांक्षा को प्रतिबिंबित करने के लिए परिषद की स्थापना की परिकल्पना की गई थी और आज शपथ ग्रहण समारोह के साथ हमने अपना वादा पूरा किया है। शर्मा ने परिषद के संगठन के सदस्यों से आदिवासी समाज के उत्थान के लिए सरकार के साथ काम करने का आग्रह किया।
इसके अलावा, असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने बृहस्पतिवार को उल्फा (स्वतंत्र) के प्रमुख परेश बरूआ से शांति वार्ता के लिए आगे आने की अपनी अपील दोहराते हुए कहा कि अब तक ऐसा नहीं करने वाला यह ‘एकमात्र’ उग्रवादी संगठन है। शर्मा ने कहा कि उन्हें यकीन है कि उल्फा शांतिवार्ता के लिए शीघ्र ही कदम उठायेगा। मुख्यमंत्री ने आठ आदिवासी उग्रवादी संगठनों द्वारा हथियार सौंपने के समारोह में अपने संबोधन में कहा, ”उल्फा (आई) को छोड़कर सभी उग्रवादी संगठन शांति वार्ता के लिए आगे आये हैं तथा उन्होंने विभिन्न विवादों का निपटान किया है।’’
इसके अलावा, असम के हैलाकांडी जिले में दो नाबालिग लड़कियों से कथित तौर पर बलात्कार किया गया, जिनमें से एक ने दम तोड़ दिया है। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि इस अपराध के सिलसिले में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है और तीसरे संदिग्ध आरोपी को पकड़ने के लिए तलाशी अभियान शुरू कर दिया गया है। अलगापुर पुलिस थाने के प्रभारी मृणाल दास ने कहा कि दोनों लड़कियों का कुछ लोगों ने अपहरण कर लिया था और उन्हें जिले के मोहनपुर में घने जंगल में ले जाया गया, जहां उनसे कथित रूप से बलात्कार किया गया। दोनों लड़कियां स्कूल जाती हैं और बार्नी ब्रीज़ चाय बागान इलाके की रहने वाली बताई जा रही हैं। उन्होंने बताया कि पीड़ित लड़कियों में से एक के पिता की शिकायत के बाद पुलिस ने उनकी तलाश शुरू की और दोनों को गंभीर हालत में पाया। उन्होंने बताया कि बाद में उन्हें सिलचर मेडिकल कॉलेज अस्पताल रेफर किया गया, जिनमें से एक की बुधवार को मौत हो गई। अलगापुर पुलिस थाने के प्रभारी मृणाल दास के मुताबिक इस घटना के बाद पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया और उन पर यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम, 2012 की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
इसके अलावा, भारतीय जनता पार्टी के पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत के 12 राज्यों के वरिष्ठ नेताओं ने 2024 के आगामी लोकसभा चुनाव के संबंध में रणनीति बनाने के लिए बृहस्पतिवार को एक बैठक की। बैठक में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव बीएल संतोष, केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा, पार्टी के सांसदों तथा विधायकों और राज्य इकाई के अध्यक्ष सहित अन्य लोगों ने हिस्सा लिया। भाजपा की असम इकाई के अध्यक्ष भाबेश कालिता ने बताया कि दिन भर चलने वाली बैठक में जिन प्रमुख मुद्दों पर चर्चा हुई, उनमें संगठन को मजबूत करना और चुनावी रणनीति शामिल हैं।
इसके अलावा, असम के कार्बी आंगलोंग जिले में छह करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की हेरोइन जब्त की गई और इस सिलसिले में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने बताया कि एक गुप्त सूचना के आधार पर राज्य पुलिस और सीआरपीएफ के एक संयुक्त दल ने बुधवार देर रात नगालैंड सीमा के पास खटखटी पुलिस थाना क्षेत्र के लाहोरिजान में एक मकान में छापा मारा। पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार सैकिया ने बताया कि सुरक्षा बलों पर कथित तौर पर हमला किया गया और उन पर पत्थर फेंके गए। इसके बाद पुलिस ने गोलीबारी की जिसमें शाहिद हुसैन नाम का एक आरोपी घायल हो गया। उसे इलाज के लिए दीफू के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उन्होंने बताया कि मकान से साबुन के कुल 94 डिब्बे जब्त किए गए जिनमें 1.17 किलोग्राम हेरोइन थी। पुलिस ने बताया कि हुसैन को एक अन्य व्यक्ति के साथ गिरफ्तार कर लिया गया है। वह मादक पदार्थ के एक अन्य मामले में जमानत पर था। पुलिस के अनुसार, करीमगंज जिले के नीलमबाजार पुलिस थाना क्षेत्र में दो अलग-अलग अभियानों में एक किलोग्राम वजन वाली 10,000 याबा गोलियां और 12.5 किलोग्राम गांजा जब्त किया गया है।
इसके अलावा, असम कैबिनेट ने फैसला किया कि वे 2025 या 2027 में राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी के लिए भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) से आग्रह करेंगे। पर्यटन मंत्री जयंत मल्ला बरुआ ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि आईओए से आग्रह करने का फैसला किया गया है कि इन दोनों में से किसी एक सत्र के राष्ट्रीय खेल असम में कराए जाएं। मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा की अध्यक्षता में कैबिनेट की यह बैठक हुई।
इसके अलावा, असम पुलिस ने भ्रष्टाचार, यौन उत्पीड़न और अन्य गंभीर आरोपों को लेकर चार जवानों को बर्खास्त कर दिया है। पुलिस महानिदेशक जीपी सिंह ने ताजा घटना के साथ पिछले दिनों की गई बर्खास्तगी की जानकारी ट्विटर पर साझा की। उन्होंने लिखा है, ‘‘सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय ने 28 सितंबर, 2022 को एनके (यूबी) मियाचंद अली को ट्रैप मामले में गिरफ्तार किया था। विभागीय जांच के बाद उन्हें 17 अप्रैल, 2023 को बर्खास्त कर दिया गया।’’ उन्होंने सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय द्वारा पिछले वर्ष की गई गिरफ्तारी का पुराना ट्वीट भी साझा किया। डीजीपी ने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘भ्रष्टाचार के मामले में कांस्टेबल सरस्वती हंसु को 16 मई, 2023 को बर्खास्त कर दिया गया है। इसी मामले में उप निरीक्षक बद्री बरुआती के खिलाफ कार्रवाई पर लगी रोक हटाने के लिए उच्च न्यायालय में आवेदन किया था, ताकि उचित कार्रवाई की जा सके।’’ उन्होंने कछार में नियुक्ति के दौरान रिश्वत लेने के आरोपी उप निरीक्षक निपू कलिता को 27 जून को बर्खास्त करने की जानकारी भी साझा की। सिंह ने 29 जून को आदेश जारी कर हिरासत के दौरान नाबालिग की आपत्तिजनक तस्वीर लेने और यौन उत्पीड़न के आरोप में निरीक्षक को बर्खास्त कर दिया गया है। इसका जिक्र करते हुए उन्होंने ट्विटर पर जानकारी भी दी और सभी पुलिस जवानों को कड़ा संदेश भी दिया। ट्वीट में शीर्ष पुलिस अधिकारी ने कहा, “जो पुलिसकर्मी कर्तव्य का निर्वहन नहीं करेगा, उन्हें इसी तरह के परिणाम भुगतने होंगे।”
इसके अलावा, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा है कि संविधान निर्माताओं की परिकल्पना के अनुरूप समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लागू करने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 44 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि राष्ट्र देशभर में अपने नागरिकों के लिए यूसीसी लागू करने का प्रयास करेगा। धनखड़ ने कहा, ‘‘यह संविधान के निर्माताओं की सोच थी। इसे लागू करने का समय आ गया है। इसे लटकाने या और विलंब करने का कोई औचित्य नहीं हो सकता।’’ उपराष्ट्रपति भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), गुवाहाटी के 25वें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। उपराष्ट्रपति और उनकी पत्नी सुदेश धनखड़ ने आईआईटीजी परिसर में रुद्राक्ष और ब्रह्मकमल का पौधा लगाया। उन्होंने कहा कि राजनेता जैसी चाहें वैसी राजनीति करें, लेकिन एक सीमा के तहत साझा समझ और राष्ट्र तथा राष्ट्रवाद के प्रति सम्मान होना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश आज उस चरण में पहुंच चुका है जब इसके विकास का प्रभाव वैश्विक स्तर पर महसूस किया जा रहा है और इसलिए यह हमारा प्राथमिक कर्तव्य है कि भारतीय होने पर गर्व करें। उन्होंने कहा कि दुनिया का हर छठा व्यक्ति भारतीय है और देश का मानव संसाधन पूरे विश्व को प्रभावित कर रहा है। उपराष्ट्रपति ने विद्यार्थियों से अनुरोध किया कि वह ‘आर्थिक राष्ट्रवाद’ के प्रति प्रतिबद्ध रहें और आर्थिक लाभ के लिए इसके साथ समझौता नहीं करें। उन्होंने कहा, ‘‘मैं वैश्विक व्यापार तंत्र में विश्वास करता हूं, लेकिन हमारी अर्थव्यवस्था को विदेशी शक्तियों द्वारा नुकसान नहीं पहुंचाया जाना चाहिए। युवाओं को एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र बनाना चाहिए, जहां आर्थिक राष्ट्रवाद का विकास हो।’’
इसके अलावा, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और उनकी पत्नी सुदेश धनखड़ ने प्रसिद्ध कामाख्या मंदिर में पूजा-अर्चना भी की। आईआईटी गुवाहाटी के 25वें दीक्षांत समारोह में भाग लेने के लिए असम के एक दिवसीय दौरे पर आए धनखड़ का लोकोप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर असम के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया और मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने स्वागत किया। गुवाहाटी पहुंचने के तुरंत बाद, धनखड़ और उनकी पत्नी देवी की पूजा करने के लिए नीलाचल पहाड़ियों के ऊपर स्थित कामाख्या मंदिर गए। मंदिर में राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया, पर्यटन मंत्री जयंत मल्ला बरुआ, पुजारियों और मंदिर के अधिकारियों ने दोनों का स्वागत किया। उपराष्ट्रपति और उनकी पत्नी ने गर्भगृह में पूजा के लिए जाने से पहले मंदिर के सौभाग्य कुंड (तालाब) में प्रार्थना की और मंदिर की परिक्रमा भी की।
इसके अलावा, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) गुवाहाटी एक अग्रणी शिक्षण मंच पर डेटा विज्ञान और कृत्रिम मेधा (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) पर एक ऑनलाइन स्नातक पाठ्यक्रम शुरू कर रहा है। एक विज्ञप्ति में यह जानकारी दी गई है। बयान में कहा गया है कि शिक्षण मंच ‘कोर्सेरा’ पर ऑनलाइन डिग्री पाठ्यक्रम शिक्षार्थियों को तेजी से उभरते डेटा साइंस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) क्षेत्र में कॅरियर बनाने के लिए तैयार करेगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 में युवाओं की रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए तेजी से उभरते मशीन लर्निंग, एआई और डेटा विश्लेषण जैसे अत्याधुनिक क्षेत्रों में पेशेवरों को प्रशिक्षण देने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। ‘वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम’ की ‘फ्यूचर ऑफ जॉब्स’ रिपोर्ट 2023 के अनुसार, एआई और मशीन लर्निंग विशेषज्ञों, डेटा विश्लेषकों और डेटा वैज्ञानिकों सहित तकनीकी नौकरियों में 2028 तक 30 प्रतिशत से अधिक वृद्धि होने की उम्मीद है। विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस मांग को पूरा करने और एनईपी 2020 की सिफारिशों को लागू करने के लिए, आईआईटी गुवाहाटी संपूर्ण ऑनलाइन डिग्री पाठ्यक्रम शुरू कर रहा है।
इसके अलावा, प्रख्यात गायिका सुदक्षिणा सरमा (89) का गुवाहाटी में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। सुदक्षिणा सरमा, असम के महान गायक दिवंगत भूपेन हजारिका की छोटी बहन थीं। उनके परिवार में उनकी एक बेटी है जबकि उनके पति गायक दिलीप सरमा और दो पुत्रों का पहले ही निधन हो चुका है। गोहाटी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (जीएमसीएच) के अधीक्षक डॉ. अभिजीत शर्मा ने बताया कि सुदक्षिणा सरमा को न्यूमोनिया और बिस्तर पर लंबे समय तक रहने के कारण होने वाले घावों की समस्या (शैय्या व्रण) के चलते 23 जून को गहन देखभाल इकाई (आईसीयू) में भर्ती किया गया था। उन्होंने बताया कि गायिका की सेहत सुधर रही थी जिसके बाद उन्हें अस्पताल के एक कमरे में भेजा गया लेकिन उनकी तबियत अचानक बिगड़ गई और सोमवार सुबह आठ बजकर 25 मिनट पर उनका निधन हो गया। अधिकारी ने कहा कि प्रसिद्ध गायिका ने अपनी आंखें और देह मेडिकल अनुसंधान के लिए दान में देने की घोषणा पहले ही कर दी थी। उनके पार्थिव शरीर को परिवार और शुभचिंतकों के अंतिम दर्शन के लिए आवास पर ले जाया जाएगा। उन्होंने बताया कि शरीर को जीएमसीएच को देने की औपचारिकताएं दिन में पूरी कर ली जाएंगी। मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने सुदक्षिणा के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि वह राज्य के सांस्कृतिक जगत का चमकता सितारा थीं। उन्होंने कहा, ‘उन्होंने अपनी यादगार प्रस्तुतियों से संगीत की दुनिया को समृद्ध किया था और उनका निधन राज्य के सांस्कृतिक और सामाजिक क्षेत्र के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है।’ असम के प्रसिद्ध हजारिका परिवार में चौथी संतान के रूप में जन्मी सुदक्षिणा सरमा ने छोटी उम्र से ही अपने बड़े भाई भूपेन हजारिका के साथ गाना शुरू कर दिया था। नौ वर्ष की आयु में सुदक्षिणा ने असम के विख्यात कलाकार बिश्नु रावा के नेतृत्व में कलकत्ता (अब कोलकाता) में ग्रामोफोन रिकॉर्ड्स के लिए चार गाने गाए थे। उन्होंने राज्य में वर्ष 1946 में महात्मा गांधी के अंतिम दौरे में ‘ई जॉय रघुर नंदन’ गाया था। महात्मा गांधी ने उन्हें आशीर्वाद देते हुए, गायन कभी न छोड़ने के लिए कहा था। प्रख्यात गायिका ने ‘मनीराम दीवान’, ‘चिकमिक बिजुली’, ‘परघाट’, ‘अबूज बेडोना’ और ‘हेपा’ सहित कई असमिया फिल्मों में पार्श्व गायन के लिए अपनी आवाज दी थी। उन्होंने असम के गीतों के अलावा राज्य की संगीत विरासत की विभिन्न शैलियों के लिए भी अपनी आवाज दी, जिनमें ‘बोरगीत’, ‘कामरूपी’, ‘गोलपारिया’, ‘बोनगीत’, ‘बियानम’ और ‘बिहुनम’ शामिल हैं। उन्होंने कोलकाता में मशहूर गायक दिलीप सरमा से शादी की थी। यह दंपत्ति रवीन्द्र संगीत में अपनी दक्षता के लिए जाना जाता था और उन्होंने अपना जीवन लोक, शास्त्रीय, और आधुनिक संगीत के विभिन्न रूपों को समर्पित कर दिया था। इस दंपत्ति को वर्ष 2002 में संयुक्त रूप से संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उनके दोनों पुत्र रितुपर्णा और ऋषिराज भी प्रसिद्ध गायक थे। ऋषिराज का निधन इसी वर्ष मई में हुआ।
इसके अलावा, असम के गोलाघाट जिले की 20 साल की उमा छेत्री ने भारतीय क्रिकेट में जगह बनाकर इतिहास रच दिया। वह भारत की सीनियर क्रिकेट टीम में पूर्वोत्तर क्षेत्र के इस राज्य की पहली खिलाड़ी है। उमा इस महीने बांग्लादेश के दौरे पर जाने वाली भारतीय टीम का हिस्सा है। राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने उनकी इस उपलब्धि पर बधाई देते हुए ट्विटर पर लिखा, ”असम में क्रिकेट एक शानदार नये अध्याय में प्रवेश कर गया है क्योंकि हम गर्व से भारतीय महिला राष्ट्रीय क्रिकेट टीम में अपना पहला प्रतिनिधित्व देख रहे हैं। उमा छेत्री को उनकी इस उपलब्धि, हमारे राज्य से नीली जर्सी पहनने वाली पहली खिलाड़ी बनने के लिए बधाई।’’ उन्होंने कहा, ”हम बांग्लादेश के आगामी दौरे पर उमा और भारतीय टीम का समर्थन करेंगे। हम मैदान पर उनकी शानदार सफलता की कामना करते हैं।’’ राज्य के बोकाखाट के कंदुलिमारी गांव की निवासी उमा के भाई विजय छेत्री ने कहा कि हमें यह खबर देर रात मिली। हमने आज सुबह उससे बात की है। हम सब खुश है और उस पर काफी गौरवान्वित हैं।’’ उमा पांच भाई-बहन में सबसे छोटी और इकलौती बहन है। उमा ने जब पहली बार प्लास्टिक का बल्ला उठाया था तभी से क्रिकेट से उन्हें लगाव हो गया था। विजय ने कहा, ”जब उसने पहली बार प्लास्टिक का बल्ला पकड़ा था तभी से इस खेल के प्रति उसका रूझान बढ़ गया। जब वह पांचवीं या छठी कक्षा में थी, तब से उसने बोकाखाट स्टेडियम में पेशेवर तरीके से अभ्यास और प्रशिक्षण शुरू कर दिया था। उनकी मां ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं है लेकिन उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि उनकी बेटी को वह सारी सुविधाएं मिले जो उनके लिए संभव नहीं हो सका था। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि उमा सिर्फ इस लिए पीछे ना छूटे क्योंकि वह लड़की है। उमा की मां ने कहा, ‘‘एक महिला के रूप में मुझे कुछ बाधाओं का सामना करना पड़ा था। मैं यह नहीं चाहती थी कि वह सिर्फ लड़की होने के कारण वह अपने सपने को पूरा न कर सके।” उमा का संबंध एक साधारण परिवार से है। उनके परिवार के सदस्य खेती और दैनिक वेतन भोगी कामों से जुड़े है। वित्तीय समस्याओं ने भी उमा को अपने सपने को पूरा करने से नहीं रोका। गोलाघाट जिला खेल संघ के कोषाध्यक्ष अजय शर्मा ने उमा को उसके शुरुआती वर्षों से बोकाखाट स्टेडियम में अभ्यास करते देखा है। उन्होंने कहा, ‘‘साल 2011-12 के आसपास, हमने पहली बार बोकाखाट हिंदी उच्च विद्यालय की एक लड़की को देखा था, यह स्कूल स्टेडियम के बगल में स्थित है। वह स्कूल के बाद यहां लड़कों के साथ क्रिकेट खेलती थी।’’ उन्होंने बताया, ”वह जब नियमित रूप से यहां आने लगी तो हमारे कोच ने उससे संपर्क किया। उसकी प्रतिभा से प्रभावित होकर उसकी पेशेवर कोचिंग शुरू की गई।’’ असम क्रिकेट संघ (एसीए) के पूर्व संयुक्त सचिव रहे शर्मा ने कहा, ”उमा के पहले कोच राजा रहमान और मेहबूब आलम थे और वह अब भी नियमित रूप से आलम के देख-रेख में अभ्यास करती हैं। एसीए ने भी आगे बढ़ने में उसकी मदद की।” उमा भी एसीए गुवाहाटी में है। वह इस सप्ताह के अंत में मुंबई में भारतीय टीम से जुड़ेंगी और फिर बांग्लादेश के मीरपुर के लिए रवाना होंगी। भारतीय टीम बांग्लादेश में नौ जुलाई से शेर-ए-बांग्ला राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम में तीन टी20 अंतरराष्ट्रीय और इतने ही एकदिवसीय मैचों की श्रृंखला खेलेगी। टीम में छेत्री के अलावा यास्तिका भाटिया एक अन्य विकेटकीपर है। अनुभवी विकेटकीपर ऋचा घोष को टीम में जगह नहीं दी गयी।
मणिपुर
मणिपुर में हिंसा का दौर जारी रहने के बीच भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी के एक बयान पर विवाद खड़ा हो गया है। दरअसल उन्होंने कहा है कि अगर मणिपुर में जारी संकट को हल करने के लिए कहा गया तो हम हर तरह की मदद देने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा है कि भले यह भारत का आंतरिक मामला है और हमें कोई रणनीतिक चिंता नहीं है लेकिन हिंसा को देखते हुए मानवीय चिंताएं जरूर हैं। उन्होंने कहा है कि पूर्वोत्तर शांति के बिना समृद्ध नहीं हो सकता। अमेरिकी राजदूत के इस बयान की आलोचना करते हुए कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा है कि किसी राजदूत के लिए भारत के आंतरिक मामलों के बारे में इस तरह का बयान देना बहुत आश्चर्यजनक है।
मणिपुर से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य में हिंसा का दौर जारी है और शुक्रवार को बिष्णुपुर जिले में अज्ञात व्यक्ति ने एक किशोर की गोली मार कर हत्या कर दी। अधिकारियों के अनुसार बंदूकधारी ने फोऊबाकछाओ इलाके में अंधाधुंध गोलीबारी की और इस दौरान बचने की कोशिश कर रहे एक किशोर को गोली लग गई। घटना से गुस्साए लोग जिनमें अधिकतर महिलाएं शामिल हैं, मोइरांग में सड़कों पर उतर आए। अधिकारियों ने बताया कि दो सशस्त्र गुटों के बीच गोलीबारी की पहली घटना बृहस्पतिवार देर रात 1.30 बजे फोऊबाकछाओ के पास चुरंदपुर जिले में अवांग लेइकेई और कांगवा में हुई। अधिकारियों ने बताया कि कुछ घंटे शांति रहने के बाद सुबह साढ़े ग्यारह बजे रूक रूक का गोलीबारी शुरू हुई। कुछ पुलिस अधिकारी स्थिति का जायजा लेने घटनास्थल गए हैं। इसके अलावा, गुरुवार को इंफाल पश्चिमी जिले में एक विद्यालय के बाहर एक महिला की गोली मारकर हत्या कर दी गई जबकि कांगपोकपी जिले में रुक-रुक गोलीबारी की आवाज सुनी गई। लाम्फेल थानाक्षेत्र के क्वाकीथेल मायाई कोइबी में एक महिला की हत्या कर दी गयी। एक दिन पहले ही राज्य में पहली से आठवीं तक की कक्षाएं शुरू हुई थीं जो दो महीने से हिंसा के कारण बंद थीं। अधिकारियों ने बताया कि महिला विद्यालय के पास किसी कार्य के लिए गई थी लेकिन विद्यालय से उसका कोई लेना-देना नहीं था। मणिपुर के कांगपोकपी जिले के एक गांव में बृहस्पतिवार को सुबह रुक-रुक कर गोलीबारी की आवाजें सुनी गईं। उससे कुछ घंटे पहले स्वचालित हथियारों से कुछ लोगों ने गांववालों पर हमला कर दिया था लेकिन सुरक्षा बलों ने झड़प को टाल दिया। सूत्रों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह घटना बुधवार दोपहर तीन बजकर करीब 40 मिनट पर फेलेंग गांव के पास हुई। सूत्रों ने बताया कि आसपास के इलाकों से सशस्त्र समूह क्षेत्र में एकत्र हो गए थे जिससे तनाव बढ़ गया था। उन्होंने कहा कि करीब 1,000 से 1,500 महिलाओं ने सड़कों को बाधित कर दिया था ताकि इलाके में अतिरिक्त सुरक्षाबल न पहुंच पाएं। लेकिन इलाके में असम राइफल्स के जवानों की तैनाती से स्थिति नियंत्रण में आ गई। चुराचांदपुर में बड़ी संख्या में कुकी समुदाय के लोगों ने बुधवार को प्रदर्शन किया। उन्होंने सार्वजनिक मैदान से तुईबोंग शांति मैदान तक रैली निकाली। सूत्रों ने बताया कि रैली में करीब 4,000 लोग शामिल हुए और अधिकतर ने ‘योद्धा’ की पोशाक पहनी हुई थी। रैली बुधवार शाम सात बजे संपन्न हुई जिसमें किसी भी अप्रिय घटना की खबर नहीं मिली है। इंफाल पश्चिम जिले में एक महिला की हत्या के बाद एक जनजातीय संगठन ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है। इंडिजिनियस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) नामक संगठन ने इस महिला की पहचान मानसिक रूप से बीमार डोन्नगैहचिंग नामक महिला के रूप में की है जो स्थानीय लोगों से मिली भीख पर गुजर-बसर करती थी। आईटीएलएफ ने एक बयान में कहा, ”हम एक बार फिर केंद्र सरकार से इस अक्षम सरकार को सत्ता से बाहर करने तथा तत्काल राष्ट्रपति शासन लगाने की अपील करते हैं।’’ मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता रैली’ निकालने के बाद राज्य में तीन मई को जातीय हिंसा भड़की थी जिसमें अबतक 100 से अधिक लोग जान गंवा चुके हैं और 3,000 से अधिक लोग घायल हो गए। राज्य में हिंसा पर नियंत्रण पाने और हालात सामान्य करने के लिए मणिपुर पुलिस के साथ करीब 40,000 केंद्रीय सुरक्षा जवानों को तैनात किया गया है। मणिपुर की आबादी में मेइती समुदाय के लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। आबादी में जनजातीय नागा और कुकी का 40 प्रतिशत हिस्सा है और ये पहाड़ी जिलों में रहते हैं।
इसके अलावा, अशांत मणिपुर के इंफाल पश्चिम जिले के कौब्रू की तलहटी में धान की खेती की प्रक्रिया बृहस्पतिवार को कड़ी सुरक्षा के बीच शुरू हुई। सुरक्षा बलों ने राज्य में मेइती और कुकी समुदायों के किसानों को सुरक्षा प्रदान की है। किसान धान की खेती के लिए किसान अपनी जमीन जोतते नजर आये। अधिकारियों ने बताया कि बुआई के मौसम के दौरान किसानों की सुरक्षा के लिए मुख्य रूप से सेना और असम राइफल्स के जवानों को कांगपोकपी और पश्चिमी इंफाल जिलों में तैनात किया गया है। अधिकारियों ने बताया कि कांगपोकपी और पश्चिमी इम्फाल क्षेत्र प्रसिद्ध ‘काले चावल’ के लिए जाने जाते हैं, इन क्षेत्रों में सुरक्षा बलों के जवानों की मौजूदगी का उद्देश्य धान की खेती में लगे मेइती और कुकी किसानों के लिए एक सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित कराना, उन्हें जातीय हिंसा से बचाना है। अशांत क्षेत्रों में किसानों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने के लिए, राज्य सरकार ने बड़ी संख्या में मंत्रियों, विधायकों, नेताओं और नौकरशाहों के वीआईपी सुरक्षा घेरे को कम कर दिया है। खेती कर रहे किसानों की सुरक्षा के लिए लगभग 2,000 सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया जाएगा। मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने एकीकृत कमान की एक बैठक की अध्यक्षता करने के बाद, घोषणा की कि कृषि उद्देश्यों के लिए सुरक्षा प्रदान करने के लिए कांगपोकपी, चुराचांदपुर, इंफाल पूर्व और इंफाल पश्चिम और काकचिंग जिलों में अतिरिक्त सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया जाएगा। राज्य में जातीय हिंसा के कृषि पर प्रतिकूल प्रभाव के कारण केंद्रीय बलों को लगाने का निर्णय लिया गया। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी कि यदि स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो पूर्वोत्तर राज्य में खाद्य उत्पादन प्रभावित होगा। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, किसान लगभग 5,127 हेक्टेयर कृषि भूमि पर खेती नहीं कर पाये जिसके परिणामस्वरूप 28 जून तक 15,437.23 मीट्रिक टन का नुकसान हुआ। उन्होंने कहा कि अगर इस मानसून मौसम में धान की खेती नहीं हो पाई तो जुलाई के अंत तक नुकसान और बढ़ जाएगा। मणिपुर में लगभग 200,000 से 300,000 किसान 195,000 हेक्टेयर कृषि भूमि पर धान की खेती करते हैं। किसानों को चिंता है कि अगर इस महीने के अंत तक सभी क्षेत्रों में व्यापक पैमाने पर खेती नहीं की गई तो स्थानीय रूप से उगाए जाने वाले ‘काले चावल’ की कमी के कारण अगले साल कीमतें बढ़ सकती हैं। इंफाल के बाहरी इलाकों में कुछ किसान पास की पहाड़ियों से उग्रवादियों द्वारा निशाना बनाए जाने के भय के बावजूद अपने खेतों की देखभाल कर रहे हैं, वहीं कई लोग अपनी सुरक्षा चिंताओं के कारण इस मौसम के दौरान खेती करने से बच रहे हैं। मेइती समुदाय के लोग घाटी में रहते हैं, जबकि कुकी समुदाय के लोग पहाड़ियों में रहते हैं।
इसके अलावा, मणिपुर के थौबल जिले में भीड़ ने इंडियन रिजर्व बटालियन (आईआरबी) के एक जवान के मकान में आग लगा दी जिसने शस्त्रागार से हथियार लूटने के दंगाइयों के प्रयासों को विफल कर दिया था। अधिकारियों ने बताया कि यह घटना मंगलवार रात को सामाराम में हुई। इससे पहले 700-800 लोगों की भीड़ ने चार किलोमीटर दूर वांगबल में आईआरबी के शिविर से हथियार लूटने की कोशिश की थी, जिसके परिणामस्वरूप सुरक्षा बलों के साथ हुई झड़प में 27 वर्षीय एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। मृतक की पहचान रोनाल्डो के रूप में की गई है। सुरक्षा अधिकारियों ने बताया कि जवान ने अपना कर्तव्य बखूबी निभाया और दंगाइयों को पुलिस हथियार भंडार लूटने नहीं दिया। उन्होंने बताया कि जवान शस्त्रागार की सुरक्षा करने वाली आईआरबी इकाई का हिस्सा था। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि राज्य पुलिस और केंद्रीय बलों की एक संयुक्त टीम ने बुधवार को कांगपोकपी, इंफाल पश्चिम और चुराचांदपुर जिलों में चार बंकरों को नष्ट कर दिया। पुलिस ने एक बयान में बताया कि इंफाल पश्चिम और कांगपोकपी जिलों की सीमा पर लुआंगशांगोल/फैलेंग क्षेत्र में दिन में अज्ञात बंदूकधारियों के समूहों के बीच गोलीबारी की सूचना मिली थी। सुरक्षा बलों ने स्थिति को नियंत्रित किया। अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षा बलों ने मंगलवार को स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की और पहले आंसू गैस के गोलों एवं रबड़ की गोलियों का इस्तेमाल किया, लेकिन हथियारबंद भीड़ ने गोलीबारी शुरू कर दी जिसके बाद जवाबी कार्रवाई की गई। उन्होंने बताया कि भीड़ ने शिविर तक आने वाली सड़कों को भी कई स्थानों पर बाधित कर दिया था, ताकि अतिरिक्त बलों को पहुंचने से रोका जा सके, लेकिन बल शिविर तक पहुंच गए। अधिकारियों ने बताया कि भीड़ ने शिविर आ रहे असम राइफल्स के एक दल पर भी हमला किया। उन्होंने बताया कि भीड़ ने असम राइफल्स के कर्मियों पर गोलीबारी की और उनके वाहन को आग लगा दी। गोलीबारी में एक जवान घायल हो गया। उन्होंने बताया कि जवान के पैर में गोली लगी है। अधिकारियों ने बताया कि झड़प में रोनाल्डो नाम के व्यक्ति की मौत हो गई। उन्होंने बताया कि उसे पहले थौबल जिला अस्पताल ले जाया गया और बाद में उसकी नाजुक स्थिति को देखते हुए उसे इंफाल स्थित अस्पताल भेज दिया गया, लेकिन इंफाल ले जाते समय रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। उन्होंने बताया कि झड़प में 10 अन्य लोग भी घायल हुए हैं, जिनमें से गंभीर रूप से छह घायलों को इंफाल में एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
इसके अलावा, मणिपुर में जातीय हिंसा के कारण दो महीने के बाद बुधवार को पहली से आठवीं तक की कक्षाओं के 4,521 विद्यार्थी स्कूल पहुंचे। एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, इस जातीय हिंसा के कारण जो विद्यार्थी विस्थापन के शिकार हुए हैं, उन्हें नजदीकी विद्यालय में नि:शुल्क दाखिले की अनुमति दी गयी है। साथ ही, नौवीं से बारहवीं तक के उन विद्यार्थियों के लिए विद्यालय बदलने के नियमों में ढील दी गयी है जो हिंसा से प्रभावित हुए हैं। मणिपुर सरकार के शिक्षा विभाग (स्कूल) के अंतर्गत आने वाले विद्यालयों ने विद्यार्थियों के हितों को ध्यान में रखते हुए बुधवार को पहली से आठवीं तक के लिए सामान्य कक्षाएं बहाल कर दी हैं। विज्ञप्ति के अनुसार, 4,617 विद्यालयों में से 96 खोले नहीं जा सके, क्योंकि उनका उपयोग राहत उपायों एवं अन्य उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है। विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘‘बच्चों के माता-पिता एवं अभिभावक लंबे ग्रीष्मावकाश के बाद विद्यालयों के खुलने से प्रसन्न हैं। कक्षाएं बहाल होने के पहले दिन निरीक्षण के दौरान विद्यार्थियों ने अपनी प्रसन्नता प्रकट की।’’ उसमें कहा गया है, ‘‘विद्यालयों ने कानून व्यवस्था की वर्तमान स्थिति के कारण ग्रीष्मावकाश चार मई, 2023 से बढ़ाकर चार जुलाई, 2023 कर दिया था।’’
इसके अलावा, उच्चतम न्यायालय ने जातीय हिंसा से प्रभावित मणिपुर में इंटरनेट सेवाएं बार-बार बंद किए जाने के खिलाफ दायर राज्य के दो निवासियों की याचिका पर सुनवाई करने से बृहस्पतिवार को इंकार कर दिया। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि मणिपुर उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ पहले ही इस मामले की सुनवाई कर रही है। पीठ ने कहा कि इस मामले में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है और उसे यह समीक्षा करने का निर्देश दिया गया है कि क्या राज्य में इंटरनेट सेवाएं बहाल की जा सकती हैं। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील शादान फरासत ने कहा कि यह मामला मणिपुर में इंटरनेट सेवाओं को प्रतिबंधित किए जाने से जुड़ा है। पीठ ने कहा, ‘‘अनुच्छेद 226 के तहत एक याचिका उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है। इस तथ्य के बीच फरासत ने इस चरण पर लंबित मामले को वापस लेने और उसमें हस्तक्षेप करने या उच्च न्यायालय के समक्ष एक स्वतंत्र याचिका दायर करने की अनुमति मांगी है। हम सभी अधिकारों और वाद को खुला रखते हुए उन्हें ऐसा करने की अनुमति देते हैं।’’ शीर्ष अदालत चोंगथम विक्टर सिंह और मायेंगबाम जेम्स की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में कहा गया है कि इंटरनेट बंद किए जाने का कदम भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संवैधानिक अधिकार और संवैधानिक रूप से संरक्षित इंटरनेट के माध्यम का उपयोग करके किसी भी व्यापार या व्यवसाय को करने के अधिकार में हस्तक्षेप करता है और इस तरह यह ‘‘पूरी तरह से असंगत’’ है।
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इसके अलावा, मणिपुर सरकार ने बड़ी संख्या में मंत्रियों, विधायकों, राजनीतिज्ञों और नौकरशाहों की वीआईपी सुरक्षा में कटौती की है और मुक्त हुए इन 2,000 सुरक्षाकर्मियों को अब राज्य के संकटग्रस्त क्षेत्रों में खेती में लगे किसानों की सुरक्षा के लिए तैनात किया जाएगा। यह घटनाक्रम मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के उस बयान के दो दिन बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि खेती का काम शुरू करने वाले किसानों को सुरक्षा प्रदान करने का निर्णय लिया गया है। एक सूत्र ने कहा, “कई मंत्रियों, विधायकों, अन्य राजनीतिज्ञों, लोक सेवकों, पूर्व नौकरशाहों की सुरक्षा कम कर दी गई है, जिससे लगभग 2,000 सुरक्षाकर्मियों को मुक्त किया गया है, जिन्हें मणिपुर में संकटग्रस्त क्षेत्रों में खेती में लगे किसानों की सुरक्षा के लिए तैनात किया जाएगा।” सोमवार को एकीकृत कमान की बैठक की अध्यक्षता करने के बाद एन. बिरेन सिंह ने कहा था कि कृषि संबंधी गतिविधियां शुरू करने वाले किसानों को सुरक्षा प्रदान करने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा था, “कृषि कार्य के लिए सरकार ने पांच जिलों में अधिक सुरक्षाकर्मी देने का निर्णय लिया है। कांगपोकपी, चुराचांदपुर, इंफाल पूर्व, इंफाल पश्चिम और काकचिंग जिलों में लगभग 2,000 अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी तैनात किए जाएंगे।” ऐसी आशंकाएं रही हैं कि सुरक्षा चिंताओं के कारण किसान उन क्षेत्रों में अपनी कृषि गतिविधियां नहीं कर पाएंगे जहां इंफाल घाटी और पहाड़ी क्षेत्र मिलते हैं।
इसके अलावा, मणिपुर में जारी जातीय हिंसा का कृषि पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है, क्योंकि कई किसान सुरक्षा संबंधी खतरों के मद्देनजर खेती नहीं कर पा रहे और यदि हालात में सुधार नहीं हुआ तो पूर्वोत्तर राज्य में खाद्य सामग्री का उत्पादन प्रभावित होगा। कृषि विभाग के निदेशक एन गोजेंद्रो ने कहा कि कम से कम 5,127 हेक्टेयर कृषि भूमि ऐसी है, जिस पर किसान खेती नहीं कर पा रहे, जिसके कारण 28 जून तक 15,437.23 टन फसल का नुकसान पहले ही हो चुका है। उन्होंने कहा, ‘‘अगर किसान इस मानसून में धान की रोपाई नहीं कर पाए तो जुलाई के अंत तक नुकसान बढ़ जाएगा। विभाग ने हालांकि ऐसे खाद और बीज तैयार कर लिए हैं जिनसे पैदावार एवं कटाई में कम समय लगता है और जिनके लिए पानी की भी कम आवश्यकता होती है।’’ राज्य में करीब दो से तीन लाख किसान 1.95 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि पर धान की खेती कर रहे हैं। अधिकारी ने बताया कि कि थौबल जिले में राज्य में प्रति हेक्टेयर सबसे अधिक उपज है। इंफाल के बाहरी इलाकों में कुछ किसान निकटवर्ती पहाड़ियों से उग्रवादियों द्वारा गोली मारे जाने के डर के बावजूद अपने खेतों में जा रहे हैं, लेकिन कई किसान ऐसे हैं, जो अपनी जान को खतरा होने के भय से खेती करने से बच रहे हैं। बिष्णुपुर जिले के मोइदांगपोकपी क्षेत्र के एक किसान थोकचोम मिलन (40) ने कहा, ‘‘पहाड़ियों की चोटियों पर उग्रवादियों के बंकरों से किसानों पर गोलीबारी किए जाने की घटनाओं के कारण इंफाल घाटी के दायरे में आने वाले क्षेत्र में धान की खेती पर बहुत प्रतिकूल असर पड़ा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हममें से कुछ लोग मन में डर के साथ खेतों में जाते हैं लेकिन हमें खेती करनी ही होगी, अन्यथा हमें सालभर भूखे रहना पड़ेगा।’’ किसान ने कहा कि इस साल कम उत्पादन के कारण अगले साल ‘मैतेई चावल’ की कमी हो जाएगी और कीमत बढ़ जाएगी। इसी जिले के एक अन्य किसान सबित कुमार ने कहा, ‘‘चावल की देसी किस्म की रोपाई और निराई जून और जुलाई में की जाती है, जबकि कटाई पांच महीने बाद नवंबर के अंत में की जाती है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस साल बारिश की कमी ने हमारी परेशानियां और बढ़ा दी हैं। पिछले साल मई के अंत में भारी बारिश के कारण धान के खेतों में पानी भर गया था, जबकि इस साल कम बारिश हुई है। चिलचिलाती धूप से जमीन सूख जाती है, जिससे खेती करना मुश्किल हो गया है।’’ ‘मैतेई चावल’ की खेती के लिए बहुत अधिक पानी की आवश्यकता होती है। राज्य के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने पहले कहा था कि किसानों को खेती के दौरान सुरक्षा प्रदान करने के लिए संवेदनशील क्षेत्रों में राज्य के 2,000 बलों को तैनात किया गया है।
इसके अलावा, मणिपुर के पिछले दो महीने से हिंसा प्रभावित रहने के कारण राज्य में आर्थिक गतिविधियां लगभग ठहर-सी गई हैं, जिसका सीधा प्रभाव कारोबारी समुदाय पर पड़ा है। राज्य में कई उद्यमियों ने सोमवार को कहा कि तीन मई को शुरू हुई हिंसा के बाद से कारोबारी समुदाय के अलावा, समाज के सभी वर्ग प्रभावित हुए हैं और उनकी आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई हैं। पूर्वोत्तर के बाहर बहुराष्ट्रीय कंपनियों में लंबे समय तक सेवा देने के बाद मणिपुर लौटे प्रमुख कारोबारी अब अपने गृह राज्य में समय और पैसा लगाने के फैसले पर अफसोस कर रहे हैं। आईटी कंपनी एड्डल सोल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक याइकहोम्बा निंगथेमचा ने कहा, ‘‘अत्यधिक प्रभाव पड़ा है। लगभग हर कोई प्रभावित हुआ है। तीन मई से पहले, जीवन सामान्य था। पिछले कुछ वर्षों में हम प्रगति के पथ पर थे। कारोबार फल-फूल रहे थे, कोविड-19 के प्रभाव से उबरने के बाद लोग रोजमर्रा के जीवन में आगे बढ़ रहे थे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसके बाद यह (जातीय झड़पें) हुईं। अब हमारा जीवन बदल गया, और लोगों के कारोबार करने का तरीका बदल गया है। असल में, इसने हमें कुछ साल पीछे कर दिया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘सभी सामान्य लेनदेन रुकने के अलावा, इंटरनेट पर निर्भर कारोबार थम गया है। हमें अपने ऋण की अदायगी के लिए इंटरनेट की जरूरत है। उपभोक्ता हमें भुगतान नहीं कर पा रहे हैं। हम समय पर जीएसटी (माल एवं सेवा कर) का भुगतान नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि इंटरनेट सेवाएं निलंबित हैं।’’ निंगथेमचा पिछले 15 वर्षों से बेंगलुरु में एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में कार्यरत थे और वह अपना कारोबार शुरू करने के लिए 2018 में अपने गृहनगर लौटे थे। इंफाल वेस्ट जिला स्थित संगैथेल गांव के रहने वाले एवं शेयर कारोबारी एन संदीप मेइती ने कहा कि कारोबार पूरी तरह से ठप हो गये हैं। उन्होंने कहा, ‘‘परिवहन नहीं है, इंटरनेट नहीं है। इंटरनेट के बगैर हम पैसे कैसे भेज सकते हैं? परिवहन के बगैर, बुनियादी ढांचा विकास का कोई कार्य नहीं हो सकता। इसका मतलब है कि प्रगति नहीं हो रही है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जो लोग अस्पतालों में भर्ती हैं, उन तक पैसे नहीं पहुंच पा रहे। उनका उपचार प्रभावित हो रहा है। यहां यह बहुत पीड़ादायक स्थिति है। मैं किसी एक समुदाय के बारे में बात नहीं कर रहा। मैं मेइती समुदाय से आता हूं, लेकिन हिंसा मणिपुर में प्रत्येक समुदाय को प्रभावित कर रही है।’’ पूर्वोत्तर के इस राज्य में मेइती और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा में अब तक 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
इसके अलावा, मणिपुर में कुकी समूहों के दो अग्रणी संगठनों ने कहा है कि उन्होंने महत्वपूर्ण राष्ट्रीय राजमार्ग-दो पर कांगपोकपी जिले में दो महीने से जारी नाकेबंदी हटा ली है। यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट (यूपीएफ) और कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन (केएनओ) ने एक संयुक्त बयान जारी करते हुए कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा ‘‘शांति और सद्भाव बहाल करने का आह्वान किए जाने के बाद तत्काल प्रभाव से नाकेबंदी हटा ली गई है। ये दोनों संगठन पूर्व उग्रवादी समूहों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिन्होंने अपनी गतिविधियां निलंबित रखने के लिए सरकार के साथ समझौते किए हैं। संगठनों ने कहा कि गृह मंत्री ने राज्य में ‘‘शांति और सद्भाव बहाल करने के लिए गहरी चिंता’’ दिखाई है। हालांकि, कुकी नागरिक समाज समूह ‘कमेटी ऑन ट्राइबल यूनिटी’ (सीओटीयू) ने अभी तक आधिकारिक तौर पर आंदोलन वापस नहीं लिया है। सीओटीयू ने ही दो महीने पहले राष्ट्रीय राजमार्ग-2 को अवरुद्ध करने की घोषणा की थी। मणिपुर में दो राष्ट्रीय राजमार्ग हैं- एनएच-दो (इम्फाल-दीमापुर) और एनएच-37 (इम्फाल-जिरीबाम)। तीन मई को मणिपुर में हिंसा भड़कने के बाद से एनएच-दो को कुकी संगठनों ने अवरुद्ध कर दिया था और मई के अंत में शाह की यात्रा के बाद इसे अस्थायी रूप से खोल दिया गया था। घटनाक्रम से जुड़े करीबी सूत्रों ने बताया कि नाकेबंदी हटाने का निर्णय असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा के साथ यूपीएफ, केएनओ और अन्य कुकी समूहों की हाल में गुवाहाटी में हुई बैठक के बाद लिया गया है। संयुक्त बयान में कहा गया, ‘‘यह निर्णय नागरिक समाज संगठनों, ग्राम प्रधानों और महिला नेताओं के साथ कई मौकों पर व्यापक विचार-विमर्श के बाद लिया गया।’’
मेघालय
मेघालय से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि मेघालय भाजपा के उपाध्यक्ष बर्नार्ड एम मराक ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि राज्य और पूर्वोत्तर के अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासी समुदायों को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि ये क्षेत्र संविधान के विशेष प्रावधानों के तहत संरक्षित हैं। उन्होंने दावा किया कि भाजपा पूर्वोत्तर क्षेत्र का उत्थान करना चाहती है, जो पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा लगातार लंबे समय से उपेक्षित रहा है। मराक ने कहा, “यूसीसी मुख्य रूप से सामान्य क्षेत्रों के लिए है और इसे संविधान के विशेष प्रावधानों के तहत संरक्षित अनुसूचित क्षेत्रों में लागू नहीं किया जाएगा और वे इससे प्रभावित नहीं होंगे।” उन्होंने कहा, “हमारा (भाजपा का) इरादा आदिवासी क्षेत्रों में घुसपैठ करना या आदिवासियों की सुंदर संस्कृति, परंपरा और प्रथाओं को कमजोर करना नहीं है। भाजपा उन चीजों को बहाल करना चाहती है जो अतीत में इन राज्यों में शासन करने वाले राजनीतिक दलों ने आदिवासियों से दूर कर दी है और छीन ली है।” समान नागरिक संहिता में विवाह, तलाक और विरासत पर कानूनों का एक सामान्य सेट शामिल है जो धर्म, जनजाति या अन्य स्थानीय रीति-रिवाजों के बावजूद सभी भारतीय नागरिकों पर लागू होगा।
इसके अलावा, मेघालय के पश्चिम गारो पर्वतीय जिले में असम के रहने वाले एक व्यक्ति की मवेशी चुराने के संदेह में पीट-पीटकर हत्या कर दी गयी। पुलिस ने बताया कि यह घटना सेलसेल्ला के बकलाग्रे गांव में हुई। जिला पुलिस अधीक्षक विवेकानंद सिंह ने बताया कि मृतक की पहचान पुरांदियारा गांव के आयनल हक के रूप में की गयी है। बकलाग्रे गांव में ग्रामीणों ने उस वक्त उसकी बुरी तरह पिटाई कर दी जब वह दो गायों के साथ भागने की कोशिश कर रहा था। उन्होंने बताया कि हक को पकड़ लिया गया और उसकी बुरी तरह पिटाई की गयी। उन्होंने बताया कि जब तक पुलिस दल घटनास्थल पर पहुंचा तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। हक को पहले भी गिरफ्तार किया गया था और तुरा पुलिस थाने में उसके खिलाफ कई मामले दर्ज हैं।
इसके अलावा, मेघालय में एक संगठन ने मंगलवार को राज्य और असम के बीच अंतरराज्यीय सीमा मुद्दों को हल करने के लिए बातचीत के बीच वेस्ट जयंतिया हिल्स के मुकरोह क्षेत्र के निवासियों के बीच पारंपरिक हथियार वितरित करने का दावा किया, जिसके बाद पुलिस ने इसके नेता के खिलाफ मामला दर्ज किया। हिनीवट्रेप नेशनल यूथ मूवमेंट (एचएनवाईएम) के नेता लुइस दोहतडांग ने तलब किए जाने पर पुलिस को बताया कि संगठन ने कार्बी उग्रवादियों से रक्षा के लिए विवादित ब्लॉक एक क्षेत्र में मुकरोह के लोगों के बीच धनुष और तीर वितरित किए हैं। दोहतडांग ने बाद में संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने पिछले साल (2022) असम-मेघालय की विवादित सीमा के पास के गांवों में लोगों को कार्बी उग्रवादियों के हमले से बचाने के लिए 100 धनुष और 1000 तीर वितरित किए।’’ उन्होंने कहा कि धनुष और तीर खासी जनजाति के पारंपरिक हथियार हैं और इसके लोगों के सभी घरों में सुरक्षा के उपाय के रूप में ये स्वदेशी हथियार हैं। दोहतडांग के दावे के बाद मेघालय पुलिस ने स्वत: संज्ञान लेते हुए एक मामला दर्ज किया और उस पर सांप्रदायिक हिंसा पैदा करने के प्रयास समेत भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया। दोहतडांग का बयान भी दर्ज किया गया। मेघालय और असम छह क्षेत्रों में अपने विवाद को सुलझाने के अग्रिम चरण में हैं, जिनमें वेस्ट खासी हिल्स जिले के लैंगपिह क्षेत्र के गांव, री-भोई जिले के ब्लॉक दो और जयंतिया हिल्स क्षेत्र का ब्लॉक एक शामिल हैं।
त्रिपुरा
त्रिपुरा से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य विधानसभा की कार्यवाही में ‘‘बाधा डालने’’ को लेकर शुक्रवार को पांच विधायकों को निलंबित कर दिया गया, जिसके विरोध में विपक्षी दलों ने सदन से बहिर्गमन किया। एक अधिकारी ने बताया कि विधानसभा अध्यक्ष विश्वबंधु सेन ने सदन में ‘‘व्यवधान पैदा’’ करने पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के विधायक नयन सरकार, कांग्रेस के सुदीप रॉय बर्मन और टिपरा मोथा के तीन विधायकों को दिन भर के लिए निलंबित कर दिया। टिपरा मोथा के निलंबित विधायकों में बृस्वकेतु देबबर्मा, नंदिता रियांग और रंजीत देबार्मा शमिल हैं। विधानसभा के अध्यक्ष के इस फैसले के विरोध में विपक्षी सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया ।
इसके अलावा, त्रिपुरा के उनाकोटी जिले में 28 जून को हुए रथ हादसे में गंभीर रूप से घायल 40-वर्षीया एक महिला की यहां जीबी पंत अस्पताल में मौत हो गई और इसके साथ ही इस घटना में मृतकों की संख्या बढ़कर आठ हो गई है। हम आपको बता दें कि उनाकोटी जिले के कुमारघाट में भगवान जगन्नाथ का रथ एक हाई टेंशन तार के संपर्क में आ गया था, जिसकी चपेट में आकर दो बच्चों सहित सात लोगों की मौत हो गई थी और 16 लोग घायल हुए थे। सहायक महानिरीक्षक (कानून-व्यवस्था) ज्योतिष्मान दास चौधरी ने कहा कि इस घटना में रत्ना रानी धर गंभीर रूप से घायल हुई थी, जिनकी मंगलवार को जीबी पंत अस्पताल में मौत हो गई। कुमारघाट के उप-मंडलीय पुलिस अधिकारी (एसडीपीओ) श्यामल देब ने बताया, ‘हमने पहले ही उनाकोटी जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष प्राथमिकी रिपोर्ट दाखिल कर दी है, जिसमें कहा गया है कि आयोजकों द्वारा पुलिस के निर्देशों का पालन न करने के कारण यह घातक दुर्घटना हुई।’ उन्होंने कहा कि एक विस्तृत जांच शुरू की जा चुकी है। हालांकि अभी तक इस संबंध में कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। मुख्यमंत्री माणिक साहा ने घटना की जिला मजिस्ट्रेट-स्तरीय जांच की घोषणा की थी। माणिक साहा ने घटना वाले दिन घटनास्थल का दौरा किया था। पूर्व मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने भी घटनास्थल का दौरा कर पीड़ितों से मुलाकात की थी। उन्होंने उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश द्वारा न्यायिक जांच की भी मांग की थी।
इसके अलावा, टिपरा मोथा के अध्यक्ष प्रद्योत देबबर्मा ने कहा कि वह त्रिपुरा के मूल निवासियों के लिए कुछ करने के बाद राजनीति छोड़ देंगे। फेसबुक पर एक लाइव सत्र में समर्थकों से बात करते हुए देबबर्मा ने कहा कि टिपरा मोथा में केवल उन्हीं नेताओं को प्राथमिकता दी जाएगी, जो पार्टी के बजाय समुदाय का ख्याल रखेंगे। उन्होंने कहा, “मैं अब राजनीति नहीं करना चाहता, मैं लोगों को कुछ देना चाहता हूं। मैंने लोगों को कुछ देने और राजनीति एवं सार्वजनिक जीवन से संन्यास लेने का फैसला किया है। सांसद, प्रधानमंत्री, मंत्री बनने या नयी पार्टी बनाने से कुछ हासिल नहीं होगा। हम दिल्ली में अपने लोगों के लिए एक सुर में बोलेंगे, तभी कुछ हासिल होगा।” उन्होंने कहा, “मैं जानता हूं कि टिपरासा में सबसे बड़ी समस्या अहंकार और ईर्ष्या की है। हम एक-दूसरे की सफलता से ईर्ष्या करते हैं, हम एक-दूसरे के साथ खड़े नहीं हो सकते। यही हमारी स्थिति का कारण है। मैं आपसे अपील करता हूं, कृपया दो-तीन महीने के लिए अपने आप को भूल जाएं और हमारे आंदोलन को मजबूत करने के वास्ते एक साथ आएं।”
इसके अलावा, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने कहा है कि राज्य के सभी सरकारी विभागों और अर्ध-सरकारी निकायों में नौकरियों के लिए आवेदन करने के वास्ते ‘त्रिपुरा का स्थायी निवासी प्रमाणपत्र’ (पीआरटीसी) अनिवार्य होगा। उन्होंने कहा कि राज्य मंत्रिमंडल ने सरकारी नौकरियों में त्रिपुरा के लोगों को अधिक अवसर प्रदान करने के लिए पीआरटीसी को अनिवार्य बनाने का फैसला लिया है और यह पहले से लागू अन्य आवश्यकताओं के अतिरिक्त होगा। साहा ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा, ‘‘त्रिपुरा के युवाओं को रोजगार मुहैया कराने के राज्य सरकार के प्रयासों के तहत मंत्रिमंडल ने निर्णय लिया है कि सरकारी और अर्ध- सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन करते समय पीआरटीसी की आवश्यकता होगी।’’ उन्होंने लिखा, “राज्य के लोगों को अधिक अवसर प्रदान करने के लिए यह कदम उठाया गया है। ध्यान दिया जाए कि दस्तावेज संबंधी यह आवश्यकता पहले से लागू अन्य आवश्यकताओं के अतिरिक्त होगी।’’
नगालैंड
नगालैंड से आई खबर की बात करें तो आपको बता दें कि पूर्वोत्तर राज्यों के नगा आदिवासियों के शीर्ष संगठन ‘नगा होहो’ ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार के नौ वर्ष पूरे होने का जश्न मनाने के साथ नगा समूहों के साथ शांति वार्ता में सफलता हासिल की जाती तो यह ‘‘सबसे उपयुक्त’’ होता। उसने जातीय हिंसा से प्रभावित मणिपुर में शांति बहाल करने की मांग की और पूर्वोत्तर में समान नागरिक संहिता लागू न करने की अपील की। अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर और नगालैंड की नगा जनजातियों के संगठन ‘नगा होहो’ के महासचिव के. इलु नदांग ने कहा, ‘‘जब हम मोदी सरकार के नौ वर्ष पूरे होने का जश्न मना रहे हैं तो कितना अच्छा होता कि इस जश्न के साथ नगा राजनीतिक मुद्दे का समाधान भी जुड़ जाता।’’ उन्होंने एक कार्यक्रम में पत्रकारों से कहा कि लोग इस राजनीतिक समाधान की उम्मीद कर रहे थे लेकिन ‘‘ऐसा लगता है कि यह (कोशिश) उनकी उम्मीदों पर खरी नहीं उतर रही है।’’ समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के मुद्दे पर उन्होंने कहा, ‘‘यूसीसी नगा लोगों या आदिवासियों के लिए संभवत: उपयुक्त नहीं होगी..बल्कि यह और नुकसान पहुंचा सकती है।’’ नदांग ने लोगों से मणिपुर में शांति बहाल करने में मदद करने के लिए आगे आने का भी अनुरोध किया।
अरुणाचल प्रदेश
अरुणाचल प्रदेश से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) के.टी परनाइक ने राज्य की स्वदेशी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और इसका प्रचार करने की लोगों से अपील की है। राज्यपाल ने लोअर सुबानसिरी जिले के ज़ीरो में अपतानी समुदाय के ‘ड्री फेस्टिवल’ की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि स्वदेशी उत्सव हमेशा राज्य में शांति, सौहार्द और समृद्धि को बढ़ावा देते हैं। उन्होंने कहा कि यह वक्त समुदाय के सदस्यों के साथ प्रेम और स्नेह, एकता और सौहार्द को बढ़ाने का है। राज्यपाल ने सांस्कृतिक कार्यक्रम में महिलाओं और बच्चों के भाग लेने की सराहना की। ‘ड्रि फेस्टिवल’ अरुणाचल प्रदेश का एक लोकप्रिय फसल उत्सव है।
इसके अलावा, आम आदमी पार्टी (आप) ने अरुणाचल प्रदेश में सभी 60 विधानसभा सीट और अगले साल आम चुनाव में दो लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है। ‘आप’ की प्रदेश इकाई के महासचिव टोको निकम ने पत्रकारों को बताया कि पार्टी अगर 2024 में सत्ता में आती है तो वह नि:शुल्क जल, बिजली, 10 लाख रुपये तक की चिकित्सा सुविधाएं और विश्वस्तरीय शिक्षा मुहैया कराएगी। निकम ने कहा कि सत्ता में आने के बाद ‘आप’ 2014 के विवादित अरुणाचल प्रदेश गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून (एपीयूएपीए) और 1978 के अरुणाचल प्रदेश धर्म स्वतंत्रता कानून को निरस्त करेगी। अरुणाचल प्रदेश में इस साल राजधानी ईटानगर में 72 घंटे के बंद के संबंध में एपीयूएपीए के तहत 40 लोगों पर मामला दर्ज किया गया था जिसके बाद पूर्वोत्तर राज्य में प्रदर्शन शुरू हो गए थे। कई संगठनों ने राज्य सरकार से इस कानून को निरस्त करने की मांग की। अरुणाचल प्रदेश धर्म स्वतंत्रता कानून, 1978 के तहत धर्म परिवर्तन को लेकर कड़े नियम हैं। निकम ने कहा कि पार्टी भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए अरुणाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग (एपीपीएससी) को भंग करेगी। निकम ने कहा, ‘‘आप एपीपीएससी पेपर लीक मामले में व्हिसलब्लोअर ज्ञामर पडांग के सम्मान में ‘स्टैच्यू ऑफ ऑनस्टी’ स्थापित करेगी।’’ उन्होंने कहा कि पार्टी की युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने के वास्ते अरुणाचल प्रदेश सशस्त्र पुलिस की तीसरी और चौथी बटालियन बनाने की भी योजना है। इन वादों के कारण आने वाले वित्तीय खर्च के बारे में पूछे जाने पर निकम ने कहा कि पार्टी केंद्र सरकार द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाली निधि और राज्य कर के एक हिस्से का विवेकपूर्ण इस्तेमाल कर नीतियां बनाएगी।
मिजोरम
मिजोरम से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि मिजोरम प्रदेश कांग्रेस कमेटी (एमपीसीसी) ने कहा है कि वह समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लागू करने के किसी भी कदम का कड़ा विरोध करेगी और उसने राज्य के लोगों से सामूहिक रूप से इसका विरोध करने की अपील भी की। इससे पहले, सत्तारूढ़ मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) और राज्य के प्रमुख गिरजाघरों के नेताओं के समूह मिजोरम कोहरान ह्रुएट्यूट कमेटी (एमकेएचसी) ने देश में यूसीसी के कार्यान्वयन पर आपत्ति जताते हुए भारत के विधि आयोग को एक पत्र भी लिखा है। कांग्रेस की मिजोरम इकाई के मुख्य प्रवक्ता और पूर्व राज्यसभा सदस्य रोनाल्ड सापा तलाऊ ने आइजोल में संवाददाताओं से कहा कि नयी दिल्ली में मौजूद एमपीसीसी के अध्यक्ष लालसावता यूसीसी पर आपत्ति जताते हुए भारत के विधि आयोग को एक पत्र सौंपेंगे। उन्होंने कहा कि यूसीसी को कानून बनाने के कदम का राज्य के सभी लोगों को विरोध करना चाहिए। रोनाल्ड सापा तलाऊ ने कहा, ‘‘यह जरूरी है कि हमारी सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान की रक्षा और सुरक्षा के लिए सभी लोग सामूहिक रूप से इसका विरोध करें।’’ मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथांगा ने मंगलवार को भारत के विधि आयोग को पत्र लिखकर कहा कि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) सामान्य रूप से जातीय अल्पसंख्यकों और विशेष रूप से मिजोरम के लोगों के हितों के खिलाफ हैं।
इसके अलावा, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मिजोरम के पार्टी नेताओं के साथ इस सप्ताह एक बैठक की, जिसमें संगठन एवं चुनाव तैयारियों को लेकर चर्चा की गई। मिजोरम में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होना है। बैठक में कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, पार्टी के प्रदेश प्रभारी भक्त चरण दास, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष लाल स्वता और कुछ अन्य नेता मौजूद थे। इस बैठक के बाद खरगे ने कहा कि मिजोरम के लोग बदलाव चाहते हैं। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘मिजोरम के लोग बदलाव चाहते हैं। प्रदेश में स्थिरता और प्रगति करने का कांग्रेस का रिकॉर्ड रहा है। कांग्रेस एक बार फिर से मिजोरम में विकास एवं कल्याण के नए युग को आगे बढ़ाने के लिए तैयार है। हम इस दिशा में हर संभव प्रयास करेंगे।’’