प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर अपनी राय जाहिर कर राजनीतिक फिजाओं में तूफान ला दिया। भोपाल में अपनी पार्टी के बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने तर्क दिया कि भारत को यूसीसी की आवश्यकता है क्योंकि देश “अलग-अलग समुदायों के लिए अलग कानून” की दोहरी प्रणाली के साथ नहीं चल सकता है। भारत में समान नागरिक संहिता का कार्यान्वयन एक बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है क्योंकि कई अल्पसंख्यक समुदाय अक्सर ऐसे किसी भी कदम का विरोध करते रहे हैं। लेकिन भारतीय राजनीति में यूसीसी को लेकर बहस हमेशा मौजूद रही है।
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समान नागरिक संहिता का पालन करने वाले देश
अमेरिका, पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया, तुर्की, इंडोनेशिया, फ्रांस, मिस्र और आयरलैंड जैसे देशों में समान नागरिक संहिता का पालन किया जाता है। इन सभी देशों में सभी धर्मों के लिए व्यक्तिगत कानूनों का एक सेट है और किसी विशेष धर्म या समुदाय के लिए कोई अलग कानून नहीं है। वहीं इस्लामिक देशों में शरिया कानून को मानते हैं।
फ्रांस की सिविल संहिता: दुनिया में सबसे प्रसिद्ध नागरिक संहिताों में से एक फ्रांस की है। नेपोलियन प्रथम द्वारा 1804 में फ्रांस में इसे लागू किया गया था। इसे नेपोलियन कोड भी कहते हैं। इसमें 300 सौ से अधिक स्थानीय नागरिक कानून संहिताओं को प्रतिस्थापित कर दिया गया। फ्रांस की संहिता में विशेषाधिकार और समानता, रीति रिवाजों और कानूनी आवश्यकताओं के बीच संतुलन से जुड़ी बाते हैं। संपत्ति, उत्तराधिकार, वसीयत, अनुबंध आदि जैसे विशाल क्षेत्र इसमें समाहित हैं।
संयुक्त राज्य अमेरिका में समान नागरिक संहिता लागू हैं। जहां भारत की तरह ही विविधता हैं। अमेरिका में कानून की कई परते हैं जो राष्ट्र, राज्य और काउंटी या एजेंसियों व शहरों पर अलग-अलग लागू होती है। राज्य अपने स्वयं के सर्वोच्च न्यायालयों के साथ स्वतंत्र कानूनी संस्थाएं हैं, जो अपनी प्रथाओं और कानूनी सम्मेलनों का पालन करते हैं।
पाकिस्तान और बांग्लादेश: पड़ोसी देश पाकिस्तान और बांग्लादेश भी इस लिस्ट में शामिल हैं। इन दोनों देशों में सभी धर्म और संप्रदाय के लोगों पर शरिया पर आधारित एक समान कानून लागू होता है।
कई इस्लामिक देशों में शरिया कानून: दुनिया के ज्यादातर इस्लामिक देशों में शरिया पर आधारित एक समान कानून है, जो वहां रहने वाले सभी धर्म के लोगों को समान रूप से लागू होता है। हालांकि, आधुनिक समय में इस तरह के कानून को संशोधित किया गया है या यूरोपीय मॉडल से प्रभावित होकर नियमों को संशोधित कर दिया गया है। सऊदी अरब, तुर्की, पाकिस्तान, मिस्र, मलेशिया, नाइजीरिया आदि देश इनमें शामिल हैं।
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भारत के किन राज्यों में ये लागू है या फिर कानून की लाने की तैयारी है
समान नागरिक संहिता के मामले में गोवा उपवाद है। गोवा में यूसीसी पहले से ही लागू है। संविधान में गोवा को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया है। वहीं गोवा को पुर्तगाली सिविल कोड लागू करने का अधिकार भी मिला हुआ है। इसके अलावा उत्तराखंड ने एक कमद आगे बढ़ाते हुए समान नागरिक संहिता की रूपरेखा तैयार कर लिया है। सभी तबकों और वर्गों जैसे एलजीबीटी, आदिवासी, महिलाएं, दिव्यांग, विशेषज्ञ डॉक्टर्स, जेनेटिक एक्सपर्ट्स सभी से विवाह की उम्र, कम उम्र में संतान की उत्तपति जैसे कई संवेदनशील मुद्दों पर भी चर्चा की है और उसे रिपोर्ट में शामिल किया है।
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