संयुक्त राष्ट्र परमाणु निगरानी संस्था यूनाइटेड नेशन्स की एटॉमिक एनर्जी एजेंसी का कहना है कि रूस ने यूक्रेन के ज़ापोरिज्ज्या परमाणु ऊर्जा संयंत्र में माइंस बिछा रखी है। कीव 17 महीने के युद्ध के बाद क्रेमलिन की मजबूत सेनाओं के खिलाफ जवाबी कार्रवाई कर रहा है और जिसके बाद रूस की तरफ से ये बड़ी कार्रवाई की बात कही जा रही है। अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के महानिदेशक राफेल मारियानो ग्रॉसी ने एक बयान में कहा कि साइट पर ऐसे विस्फोटकों का होना आईएईए सुरक्षा मानकों और परमाणु सुरक्षा मार्गदर्शन के साथ असंगत है। ये माइन्स प्लांट के बफर जोन में इंटरनल और एक्सटर्नल बैरियर्स के बीच में मौजूद हैं।
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बयान में कहा गया है कि हालाँकि, साइट की आंतरिक और बाहरी परिधि बाधाओं के बीच स्थित खदानों का कोई भी विस्फोट साइट की परमाणु सुरक्षा और सुरक्षा प्रणालियों को प्रभावित नहीं करना चाहिए। IAEA ने संभावित परमाणु आपदा की आशंकाओं के बीच, ज़ापोरिज्ज्या के बारे में बार-बार चिंता व्यक्त की है, जो दुनिया की 10 सबसे बड़ी सुविधाओं में से एक है। यूक्रेन की सैन्य खुफिया ने पिछले महीने बिना सबूत दिए कहा था कि रूस देश के दक्षिण-पूर्व में परमाणु ऊर्जा संयंत्र में बड़े पैमाने पर उकसावे की योजना बना रहा है और छत पर संदिग्ध विस्फोटक रखे हैं। बदले में रूस ने सबूत पेश किए बिना आरोप लगाया है कि यूक्रेन रेडियोधर्मी सामग्रियों से जुड़े झूठे झंडे वाले हमले की योजना बना रहा था।
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क्या था चेर्नोबिल परमाणु आपदा
1982-83 के दौर में चर्नोविल का पॉवर प्लांट का काम लगभग पूरा हो चुका था। उधर अमेरिका की अर्थव्यवस्था भी काफी तेजी से आगे बढ़ रही थी। प्रिप्यत के डिफेंस के लिए सोविसत के नेता इतने ज्यादा चिंतित थे कि वहां एक ओवर द हाराइजन रडार सिस्टम भी विकसित कर दिया। ये एक बेलस्टिक मिसाइल अर्ली वॉर्निग सिस्टम था। मतलब, कल को प्रिप्यत पर कोई हमला होता है तो इसकी जानकारी पहले ही सोविसत सेना को मिल जाए। इसके पीछे की वजह थी चेर्नोबिल के पॉवर प्लांट को सुरक्षित रखना। क्योंकि इससे काफी तबाही मच सकती थी। लेकिन आगे की राह बेहद कठिन होने वाली थी। चेर्नोबिल न्यूक्लियर पॉवर प्लांट में कुल चार यूनिट थे। पहला 1977 में जबकि दूसरा 1978, तीसरा 1981 जबकि चौथा 1983 में तैयार हुआ।