20 विपक्षी सांसदों की एक टीम जमीनी स्थिति का आकलन करने और केंद्र सरकार और संसद को समाधान की सिफारिश करने के लिए 29 और 30 जुलाई को संकटग्रस्त मणिपुर का दौरा करेगी। कांग्रेस नेता सैयद नसीर हुसैन ने शुक्रवार को कहा कि विपक्ष को लग रहा है कि इंटरनेट बंद होने के कारण सूचनाएं दबाई जा रही हैं। उन्होंने कहा कि कल भारत गठबंधन का एक प्रतिनिधिमंडल (मणिपुर में) पहाड़ी क्षेत्र और घाटी क्षेत्र में हिंसा प्रभावित राहत शिविरों में जाएगा। हम एक संदेश लेकर जा रहे हैं कि हम उनके साथ खड़े हैं और हम अपनी क्षमता से सब कुछ करेंगे क्षेत्र में शांति बहाल करें। परसों सुबह 10 बजे इंडिया गठबंधन के सांसद राज्यपाल से भी मिलेंगे।
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जो 20 सांसद मणिपुर का दौरा करेंगे उनके नाम भी सामने आ गए हैं। कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी और गौरव गोगोई, जेडीयू के ललन सिंह, डीएमके के कनिमोझी करुणानिधि, आप के सुशील गुप्ता, टीएमसी की सुष्मिता देव, जेएमएम की महुआ माजी और एनसीपी के मोहम्मद फैजल प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हैं। दौरे से पहले, लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने मणिपुर में हिंसा की सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश से जांच कराने की मांग की। राजद के मनोज झा, समाजवादी पार्टी के जावेद अली खान, एनसीपी के पीपी मोहम्मद फैसल, जदयू के अनिल प्रसाद हेगडे, शिवसेना के अरविंद सावंत, आरएलडी के जयंत चौधरी, सीपीआईएम के एए रहीम, सीपीआई के संदोष कुमार पी भी इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल हैं।
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इससे पहले आज के राघव चड्ढा ने कहा कि इंडिया (विपक्षी गठबंधन) गुट के प्रतिनिधि मणिपुर में एक प्रतिनिधिमंडल भेज रहे हैं। इस यात्रा का उद्देश्य राज्य के लोगों के साथ एकजुटता से खड़ा होना है। तृणमूल कांग्रेस की सुष्मिता देव ने कहा कि विपक्षी प्रतिनिधिमंडल यह संदेश देना चाहता है कि ‘‘हम मणिपुर के लोगों के साथ हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम चिंतित हैं, हम चाहते हैं कि राज्य में शांति लौटे… सरकार विफल रही है, इसलिए हम वहां जाना चाहते हैं और देखना चाहते हैं कि क्या समाधान निकाला जा सकता है।’’ द्रमुक के नेता टी आर बालू ने कहा कि विपक्षी प्रतिनिधिमंडल शनिवार को सुबह मणिपुर के लिए रवाना होगा और पता लगाएगा कि वहां क्या गलत हुआ, किस हद तक जान-माल का नुकसान हुआ है।