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जेकेएलएफ के सह संस्थापक के भाई सहित 35 कैदियों को मिल रहा है हस्तशिल्प कौशल का प्रशिक्षण

जम्मू कश्मीर के भद्रवाह जेल में हस्तशिल्प कौशल का प्रशिक्षण ले रहे जहूर अहमद भट का मानना है कि शिल्पकला उसकी रिहाई के बाद आजीविका कमाने में मददगार साबित होगी। भट सहित 35अन्य कैदी हस्तशिल्प कौशल का प्रशिक्षण ले रहे हैं।
जहूर अहमद भट, जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के सह-संस्थापक मकबूल भट का भाई है। मकबूल को 11 फरवरी, 1984 को दिल्ली के तिहाड़ जेल में फांसी दी गई थी और उसके छोटे भाई जहूर को सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत भद्रवाह जेल में रखा गया है।
जहूर को 2015 में गिरफ्तार किया गया था और उसे पहले कुपवाड़ा की जेल में रखा गया था।
पीएसए एक प्रशासनिक कानून है जो कुछ मामलों में बिना किसी आरोप या मुकदमे के दो साल तक व्यक्ति को हिरासत में रखने की अनुमति देता है।

भद्रवाह जेल के अधीक्षक मुश्ताक मल्ला ने बताया कि 35 कैदियों को बेकार पड़े सामान से कागज के थैले,फूलदान और अन्य सामान हाथ से बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि अधिकांश कैदी पीएसए के तहत कैद हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘यह निर्णय मुख्य रूप से पर्यावरण को प्लास्टिक की थैलियों के हानिकारक प्रभाव से बचाने के लिए लिया गया था। पहले चरण में, कैदियों द्वारा बलाए कागज के थैलों का इस्तेमाल जेलों में किया जा रहा है। इसके अलावा उनके द्वारा बनाए फूलदान और अन्य हस्तशिल्प वस्तुएं भी आगंतुकों को उपहार के रूप में दी जा रही हैं। हमें उम्मीद है कि हम इन्हें बाद में बाजार में बेचेंगे।’’
उन्होंने कहा कि कैदियों को विभिन्न कौशल में प्रशिक्षित करने की पहल उन्हें आत्मनिर्भर बनाने और तनाव से उबरने में मदद करने के लिए है।
मल्ला ने कहा, ‘‘ कैदियों में असली सुधार यह है कि जब वे जेल से बाहर आएं तो परिवार पर निर्भर होने के बजाय अपनी जीविका कमा सकें।’’

कैदियों का कहना है कि इससे न केवल उनका आत्मविश्वास बढ़ा है बल्कि इससे उनका तनाव भी कम हुआ है। उन्हें उम्मीद है कि लोग उनके प्रयास की सराहना करेंगे और इन वस्तुओं को खरीदेंगे।
जहूर अहमद भट ने कहा कि वह जेल अधिकारियों का आभारी हैं जिन्होंने उन्हें अपना भविष्य बनाने का मौका दिया।
भट ने कहा, ‘‘मैं पीएसए के तहत यहां हूं और जेल अधिकारियों को उस पहल के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने हमें कौशल विकास का अवसर प्रदान करने के साथ-साथ नकारात्मक विचारों और तनाव से उबरने में मदद की। हमारी रिहाई पर, हमें नौकरी की तलाश नहीं करनी होगी और हम अपनी आजीविका कमाने में सक्षम होंगे।’’
एक अन्य कैदी मुकेश सिंह ने कहा कि वह पिछले चार वर्षों से जेल में है और परिवार और दोस्तों से अलग होने के बाद अवसाद से पीड़ित था लेकिन हस्तशिल्प कला के प्रशिक्षण के बाद वह बेहतर महसूस कर रहा है।

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