नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि प्राचीन विरासत भोजपत्र से बनी कलाकृतियां ना सिर्फ परंपरा और संस्कृति को संजोने का माध्यम बन रही हैं बल्कि उत्तराखंड की महिलाओं की आर्थिक तरक्की के द्वार भी खोल रही हैं।
आकशावाणी के मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की ताजा कड़ी में उत्तराखंड के चमोली जिले की नीति-माणा घाटी की महिलाओं से भोजपत्र के संबंध में मिले पत्रों की चर्चा करते हुए कहा कि वहां की महिलाओं ने उन्हें पिछले वर्ष अक्टूबर में भोजपत्र पर बनाई गई एक अनूठी कलाकृति भेंट की थी।
उन्होंने कहा, ‘‘यह उपहार पाकर मैं भी बहुत अभिभूत हो गया। आखिर, हमारे यहां प्राचीन काल से हमारे शास्त्र और ग्रंथ, इन्हीं भोजपत्रों पर सहेजे जाते रहे हैं। महाभारत भी तो इसी भोजपत्र पर लिखा गया था।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड की महिलाएं इस भोजपत्र से बेहद ही सुंदर-सुंदर कलाकृतियां और स्मृति चिन्ह बना रही हैं।
उन्होंने कहा कि इसके बाद उन्होंने पर्यटकों से अपील की थी कि वे उत्तराखंड के स्थनीय उत्पादों को जरूर खरीदें।
मोदी ने प्रसन्नता व्यक्त की कि भोजपत्र उत्पादों को तीर्थ यात्री और पर्यटक बहुत पसंद कर रहे हैं। उन्होंने इस बात पर भी खुशी जाहिर की कि राज्य सरकार भोजपत्र उत्पाद तैयार करने के लिए महिलाओं को प्रशिक्षण दे रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘जिन क्षेत्रों को कभी देश का आखिरी छोर माना गया था, उन्हें अब, देश का प्रथम गांव मानकर विकास हो रहा है। ये प्रयास अपनी परंपरा और संस्कृति को संजोने के साथ आर्थिक तरक्की का भी जरिया बन रहा है।’’
बाद में अपने संबोधन के इस अंश को ट्वीट करते हुए मोदी ने लिखा, ‘‘भोजपत्र की प्राचीन विरासत देवभूमि उत्तराखंड की महिलाओं के जीवन में खुशहाली के नए-नए रंग भर रही है। यह बेहद संतोष की बात है कि भोजपत्र से बनी अनूठी कलाकृतियां ना सिर्फ हमारी परंपरा और संस्कृति को संजोने का माध्यम बन रही हैं, बल्कि इससे आर्थिक तरक्की के नए द्वार भी खुल रहे हैं।’’
प्रधानमंत्री ने ‘मन की बात’ की इस कड़ी नशीले पदार्थों की समस्या के समाधान के लिए लोगों के प्रयासों की सराहना की।
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में संगीत कार्यक्रमों और बाइक रैलियों के जरिए नशीले पदार्थों के विरूद्ध लोगों को जागरूक बनाने के प्रयास किये जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने चंडीगढ़ की चर्चा भी की जहां नशीले पदार्थों के विरुद्ध जागरूकता के लिए ‘वादा’ नाम से क्लब चलाये जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि पंजाब में ऐसे कई खेल समूह बनाये गये हैं जहां फिटनेस पर जोर दिया जा रहा है और नशा मुक्ति अभियान चलाये जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने इन अभियानों में युवाओं की भागीदारी को बहुत उत्साहवर्धक बताया।
उन्होंने कहा कि नशा-मुक्त भारत अभियान की शुरुआत 15 अगस्त 2020 को की गई थी और इसका उद्देश्य भावी पीढ़ी को नशीले पदार्थों से दूर रखना था।
उन्होंने कहा, ‘‘अब तक इस अभियान से 11 करोड़ से अधिक लोग जुड़ चुके हैं। दो सप्ताह पहले एक बड़ी कार्रवाई के तहत, जब्त किये गये डेढ़ लाख किलोग्राम नशीले पदार्थों को नष्ट कर दिया गया। भारत ने 10 लाख किलोग्राम नशीले पदार्थों को नष्ट कर एक अनूठा रिकॉर्ड बनाया है। इन नशीले पदार्थों की कीमत 12 हजार करोड़ रूपये से अधिक थी।’’
प्रधानमंत्री ने इस कड़ी में मध्य प्रदेश के एक गांव बिचारपुर का उदाहरण दिया जिसे ‘मिनी ब्राजील’ कहा जाता है क्योंकि यहां के खिलाड़ी फुटबॉल में नाम रोशन कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि बिचारपुर गांव के मिनी ब्राजील बनने की यात्रा लगभग ढाई दशक पहले शुरू हुई थी जब बिचारपुर अवैध शराब और नशे की गिरफ्त के कारण बदनाम था।
उन्होंने बताया, ‘‘फुटबॉल के पूर्व राष्ट्रीय खिलाड़ी और कोच रईस अहमद ने इस गांव के युवाओं की प्रतिभा को पहचाना और उन्होंने उन्हें फुटबॉल का प्रशिक्षण देना शुरू किया। धीरे धीरे बिचारपुर की पहचान फुटबॉल खिलाडियों के गांव के रूप में होने लगी। इस गांव में फुटबॉल क्रांति नामक कार्यक्रम चलाया जा रहा है। यह कार्यक्रम इतना सफल रहा है कि अब तक बिचारपुर गांव के 40 से अधिक खिलाड़ी राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर अपनी पहचान बना चुके हैं। ’’
प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि मध्य प्रदेश के शहडोल और आस-पास के इलाकों में 12 सौ से अधिक फुटबॉल क्लब सक्रिय हैं।