नयी दिल्ली। राज्यसभा में मंगलवार को तृणमूल कांग्रेसके नेता डेरेक ओ’ब्रायन को उनके ‘अशोभनीय आचरण’ के कारण मानसून सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित करने का प्रस्ताव किया गया लेकिन बाद में सभापति जगदीप धनखड़ ने इस मुद्दे को निस्तारित करते हुए कहा कि सदस्य आगे से अपने आचरण को सदन की गरिमा के अनुरूप बनाएंगे। जैसे ही सुबह सदन की कार्यवाही आरंभ हुई सभापति ने आज के दिन जन्म लेने वाले सदस्यों को बधाई दी और फिर आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। इसके बाद सभापति ने बताया कि उन्हें नियम 267 के तहत मणिपुर पर चर्चा के लिए 51 नोटिस मिले हैं। उन्होंने बताया कि वह इस बारे में पहले ही व्यवस्था दे चुके हैं। इसके कुछ देर बाद व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए डेरेक ने नियम 267 के तहत मणिपुर हिंसा पर चर्चा शुरू किए जाने की मांग की। सभापति धनखड़ ने डेरेक के हावभाव, उनके आचरण एवं ऊंची आवाज में अपनी बात रखने पर आपत्ति जताते हुए उन्हें अपनी सीट पर बैठने को कहा। धनखड़ ने इसके बाद कहा कि वह डेरेक का नाम लेते है। सभापति द्वारा जब किसी सदस्य का नाम लिया जाता है तो इसके साथ ही उसके निलंबन की कार्रवाई शुरू हो जाती है। इसके बाद सदन के नेता पीयूष गोयल ने एक प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि डेरेक लगातार सदन की कार्यवाही को बाधित कर रहे हैं और आसन की अवमानना कर रहे हैं। गोयल जब यह प्रस्ताव रख रहे थे, उस दौरान विपक्षी सदस्य हंगामा कर रहे थे। उन्होंने कहा, ‘‘प्रस्ताव किया जाता है कि डेरेक ओ’ब्रायन को अशोभनीय आचरण के लिए सदन की सेवाओं से सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित किया जाए।’’ सभापति ने कहा, ‘‘डेरेक को सदन से बाहर जाने का निर्देश दिया जाता है। उन्हें सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित किया जाता है।’’ इस बीच हंगामा होता देख धनखड़ ने उच्च सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। दोपहर 12 बजे सदन की कार्यवाही आरंभ होते ही कांग्रेस के प्रमोद तिवारी ने डेरेक के निलंबन का मुद्दा उठाया और आसन से आग्रह किया वे उदारता दिखाते हुए उनका निलंबन वापस लें। डेरेक उस वक्त सदन में मौजूद थे और अपनी सीट पर बैठे थे। तिवारी को जवाब देते हुए धनखड़ ने सदन से सवाल किया कि क्या आपको लगता है कि निलंबित किए जाने के बाद सदन से जाने के बाद कोई सदस्य कार्यवाही में हिस्सा ले सकता है। सभापति ने कहा कि इस मामले में उन्होंने सदन की राय नहीं ली थी। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने सोचसमझकर और दूरदर्शिता से ऐसा किया और इसके बाद सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी…अगर आदेश पूरी तरह पारित होता तो डेरेक को सदन छोड़ना पड़ता। वह सदन में फिर नहीं आ सकते थे। वह इसलिए सदन में मौजूद हैं कि निलंबन की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी थी और सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई थी।’’
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धनखड़ ने कहा कि उन्होंने जानबूझकर सदन की राय नहीं ली। इसके बाद धनखड़ ने कहा कि वह सदन चलाने की भरपूर कोशिश करते हैं और जरूरी होता है तो वह सदस्यों से अपने कक्ष में भी मिलते हैं। उन्होंने इस दौरान यह भी कहा कि जब भी डेरेक ने उनसे मुलाकात की है तो उन्होंने तृणमूल नेता की बात चुनी है। इस पर डेरेक ने आपत्ति जताते हुए कहा कि वह मंगलवार को सुबह 11 बजे से दोपहर 12 बजे के बीच धनखड़ के चैंबर में कभी नहीं गए। इसके बाद सभापति ने सदस्यों से पूछा कि क्या सदन को इस तरह के व्यवहार की अनुमति दी जानी चाहिए। सभापति ने कहा, ‘‘क्या आप इस आचरण को स्वीकार करते हैं?’’ कांग्रेस के मुकुल वासनिक और जयराम रमेश ने मणिपुर का मुद्दा उठाते हुए कहा कि सरकार ने इस मामले में बीच का रास्ता नहीं निकाला है। सभापति ने सदस्यों से कहा कि वे सदन में तृणमूल सांसद के ‘अशोभनीय आचरण’ पर विचार करें। उन्होंने कहा, ‘‘आपने सुना है कि सदस्य (डेरेक) ने कुछ समय पहले क्या कहा था और हर शब्द सभापति को चुनौती देने जैसा था, हर शब्द शिष्टाचार के दायरे से बाहर था। मैं चाहता हूं कि आप सभी उनके द्वारा कहे गए हर शब्द, जिस तरीके से उन्होंने कहा, जिस हावभाव से उन्होंने कहा, जिस का उन्होंने इस्तेमाल किया, उन्होंने जो चुनौती दी…उस पर आपका क्या कहना है, उस पर विचार करें।’’ डेरेक के व्यवहार के बारे में पूछे जाने पर रमेश ने कहा कि आसन सर्वोच्च है और वह सदन के संरक्षक हैं। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने विपक्ष के पूर्व नेता अरुण जेटली के शब्दों का इस्तेमाल किया और कहा कि उन्होंने आसन के निकट जाने को एक वैध विपक्षी रणनीति और विरोध करने को विपक्ष का अधिकार बताया था।’’ इसी विषय पर सदन के नेता गोयल ने कहा कि यह पहली बार नहीं है जब डेरेक का ऐसा व्यवहार सदन में देखा गया है और उनसे कई बार अनुरोध किया गया है कि वह जो भी कहना चाहते हैं, वह अधिक विनम्र तरीके से कह सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन मेज थपथपाना, आसन से जोर से बात करना और आसन के प्रति अशिष्ट होना निश्चित रूप से ऐसा व्यवहार है जिसे सदन में कोई भी स्वीकार नहीं करता है और कोई भी इसका समर्थन नहीं करना चाहता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं आसन की उदारता की सराहना करता हूं कि मेरे प्रस्ताव पेश करने के बावजूद आपने अति सख्त कदम नहीं उठाए। सभापति ने जो उदारता दिखाई है, उसके पूरे सम्मान के साथ मैं सदस्यों से शिष्टाचार बनाए रखने के लिए सहमत होने का आग्रह करता हूं।’’ उन्होंने यह भी कहा, ‘‘मुझे लगता है कि सदस्य डेरेक से कम से कम यह उम्मीद की जा सकती है कि वह आसन से खेद प्रकट करें, खासकर तब जब आसन ने इस मुद्दे पर आहत महसूस किया है।’’ सभापति ने कहा कि स्थिति पर सभी की नजर है और उन्होंने के सी वेणुगोपाल से सदन का मार्गदर्शन करने को कहा। वेणुगोपाल ने कहा कि डेरेक का गुस्सा उन पर लक्षित नहीं था। उन्होंने कहा, ‘‘जिस तरह से सदन के नेता ने प्रस्ताव पेश किया, वह उन्हें निलंबित करने के पूर्व नियोजित कदम का संकेत देता है… डेरेक ओ ब्रायन को निलंबित करने का यह पूर्व नियोजित कदम था… इससे उन्हें दुख हुआ है।