यादवपुर विश्वविद्यालय (जेयू) के छात्रावास में रैगिंग के बाद एक छात्र की मौत को लेकर जारी विवाद के बीच, कुलसचिव स्नेहामंजू बसु ने गंभीर अंजाम भुगतने की धमकी भरा पत्र मिलने के बाद इस्तीफे की पेशकश की है, लेकिन कार्यवाहक कुलपति बुद्धदेव साव के हस्तक्षेप के बाद उन्होंने इस्तीफे का फैसला वापस ले लिया।
विश्वविद्यालय के एक अधिकारी ने कहा कि कुलसचिव और संयुक्त कुलसचिव संजय गोपाल सरकार को शुक्रवार को डाक से मिले गुमनाम पत्र में, मामले के संबंध में गिरफ्तार किए गए पूर्व छात्रों में से किसी एक को कोई नुकसान पहुंचाने पर उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई है।
कार्यवाहक कुलपति ने ‘पीटीआई-भाषा’ से शनिवार को कहा कि कुलसचिव धमकी भरे पत्र को लेकर शुरू में थोड़ी सी डरी हुई थीं और उन्होंने इस्तीफे की पेशकश करने वाला ई-मेल उन्हें भेजा था।
साव ने कहा, ‘‘उनके मेल को पढ़ने के बाद, मैंने उनको फोन किया और विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से पर्याप्त सुरक्षा का आश्वासन दिया। मुझे यकीन है कि वह वर्तमान क्षमता में अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करती रहेंगी।’’
उन्होंने कहा कि बसु ने धमकी भरा गुमनाम पत्र मिलने के सिलसिले में एक प्राथमिकी दर्ज कराई है।
कुलसचिव ने बाद में सवाददाताओं से कहा, ‘‘जब विश्वविद्यालय कठिन दौर से गुजर रहा है तब मैं अपनी जिम्मेदारियों से भागना नहीं चाहती।
मैं रैगिंग विरोधी उपायों के बारे में राज्य सरकार की तथ्य-खोज टीम के प्रश्नों के साथ-साथ इसी मामले पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर देने में व्यस्त हूं।’’
पत्र में दावा किया गया है कि इस मामले में सबसे पहले गिरफ्तार किये गये चौधरी को फंसाया गया है।
बंगाली ऑनर्स के प्रथम वर्ष के छात्र की मौत में कथित भूमिका के लिए चौधरी और 12 अन्य लोगों (सभी जेयू के वर्तमान या पूर्व छात्र हैं) गिरफ्तार किया गया है। एक छात्रावास की दूसरी मंजिल से कथित तौर पर गिरने के बाद छात्र की मौत हो गई थी।
पूर्व छात्र अवैध रूप से छात्रावास में रह रहे थे।