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मुंबई के सबसे पुराने गणपति मंडल के 131 साल पूरे हुए

दक्षिण मुंबई में गिरगांव की संकरी गलियों में स्थित शहर का सबसे पुराना गणपति मंडल ‘सार्वजनिक गणेशोत्सव संस्था’ इस साल अपने 131 साल पूरे कर रहा है।
इस संस्था को राव बहादुर लिमये और गोडसे शास्त्री के नेतृत्व में 1893 में खादिलकर रोड पर स्थित केशव नाइक चॉल में स्थापित किया गया था। यहां हर साल पारंपरिक तरीके से गणेशोत्सव मनाया जाता है।
सार्वजनिक गणेशोत्सव संस्था के सचिव कुमार वालेकर ने कहा, ‘‘लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के करीबी सहयोगी राव बहादुर लिमये और गोडसे शास्त्री ने लोगों को अंग्रेजों के खिलाफ एकजुट करने के लिए गणेश चतुर्थी के सार्वजनिक उत्सव का आह्वान किया जिसके बाद यहां यह त्योहार मनाना शुरू हुआ।’’

वालेकर ने कहा कि दस दिवसीय उत्सव उसी उत्साह एवं श्रद्धा से मनाया जा रहा है जैसा 1893 में मनाया जाता था। यहां शुरू से ही मिट्टी से बनी दो फुट की मूर्ति के साथ उत्सव को सरल और पारंपरिक तरीके से मनाया जाता है।
उन्होंने गर्व से मुस्कुराते हुए कहा, ‘‘स्थानीय लोग एक परिवार के रूप में इस त्योहार को मनाते हैं, सभी सजावट उनके द्वारा डिजाइन और तैयार की जाती है। केवल मंच और खंभे बाहर से लाए गए हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम हर साल एक ही आकार की मूर्ति लाते हैं। यहां ऐसे बच्चे हैं जो देखते हैं कि क्या हो रहा है, हो सकता है कि वे इसे अभी न समझें, लेकिन एक बार जब वे बड़े हो जाएंगे, तो उन्हें पता चल जाएगा कि सभी परंपराओं का पालन करते हुए क्या करना है।’’

चॉल के पूर्व निवासी संतोष राजवाड़े इलाके से बाहर चले जाने के बावजूद पिछले 40 वर्षों से पंडाल घूमने आते हैं।
राजवाड़े ने कहा, ‘‘मैं अब बोरीवली में रहता हूं, लेकिन मैं सुनिश्चित करता हूं कि हर साल ‘बप्पा’ के दर्शन करूं। मुझे यहां के ‘बप्पा’ से बहुत लगाव है। मैंने यहां जो कुछ भी सीखा है और गिरगांव ने मुझे जो कुछ भी दिया है, उसे मैं कभी नहीं भूल सकता हूं।

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