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मोदी के मित्र देश पर किसने कर दी रॉकेट की बौछार, कैसे जंग से साये में आया पूरा मीडिल ईस्ट, दशकों पुराने विवाद की क्या है कहानी

इजरायल और फिलिस्तीन एक दूसरे पर मिसाइलें दाग रहे हैं। मिसाइलों की गूंज भले ही दुनिया के दूसरे देशों तक न पहुंचे पर दागी जा रही मिसाइलों की तपिश साफ महसूस की जा सकती है। इजरायल के मुताबिक हमास ने करीब 5 रॉकेट उन पर दागे हैं। इस हमले के बाद इजरायल ने युद्ध की घोषणा कर दी है। जवाबी कार्रवाई के लिए इजरायल डिफेंस फोर्स ने मोर्चा संभाल लिया है। हमास और इजरायल दोनों ही अंतरराष्ट्रीय समुदाय की सीजफायर की अपीलों को नजरअंदाज कर रहे हैं। अनुमान जताया जा रहा है कि यह हिंसा कुछ दिनों तक नहीं बल्कि कुछ हफ्तों तक चल सकती है। 

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हमास ने शुरू किया सैन्य अभियान
इज़राइल का विरोध करने वाले समूह, हमास की सैन्य शाखा के नेता मोहम्मद डेफ़ ने कहा कि उसने इज़राइल के खिलाफ एक नया सैन्य अभियान शुरू किया है। मोहम्मद डेफ़ ने कहा कि ऑपरेशन अल-अक्सा स्टॉर्म शुरू करने के लिए शनिवार तड़के इज़राइल में 5,000 रॉकेट दागे गए थे। हमने यह कहने का फैसला किया है कि बहुत हो गया।

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इजराइल ने गाजा पर नाकेबंदी कर दी
2007 में हमास द्वारा क्षेत्र पर कब्ज़ा करने के बाद से इज़राइल ने गाजा पर नाकाबंदी कर रखी है। तब से कट्टर दुश्मनों ने चार युद्ध लड़े हैं। इज़राइल और हमास और गाजा में स्थित अन्य छोटे आतंकवादी समूहों के बीच छोटी लड़ाई के कई दौर भी हुए हैं। नाकाबंदी गाजा के अंदर और बाहर लोगों और सामानों की आवाजाही को प्रतिबंधित करती है। इसकी वजह से क्षेत्र की अर्थव्यवस्था तबाह हो गई है। इज़राइल का कहना है कि उग्रवादी समूहों को अपने शस्त्रागार बढ़ाने से रोकने के लिए नाकाबंदी की आवश्यकता है। फ़िलिस्तीनियों का कहना है कि बंद करना सामूहिक सज़ा के समान है। तनाव गाजा में भी फैल गया है, जहां हमास से जुड़े कार्यकर्ताओं ने हाल के हफ्तों में इजरायली सीमा पर हिंसक प्रदर्शन किए हैं। अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता के बाद सितंबर के अंत में उन प्रदर्शनों को रोक दिया गया था
कौन देश किसके साथ खड़ा
जरायल और फिलिस्तीन मुद्दे पर जहां एक तरफ पाकिस्तान, तुर्की समेत ज्यादातर मुस्लिम देश फिलिस्तीन का साथ दे रहे हैं वहीं अमेरिका, अलबेनिया, ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, ब्राजील, कनाडा, कोलंबिया, साइप्रस, जॉर्जिया, जर्मनी, हंगरी, इटली, स्लोवेनिया और यूक्रेन समेत कई देश इजरायल के साथ खड़े हैं। लेकिन भारत की तरफ से हमेशा से दोनों से शांति बनाए रखने की अपील की जाती रही है। 

भारत और फिलिस्तीन के रिश्तें
भारत और फिलिस्तीन के रिश्तों की बात करें तो सत्तर के दशक में फिलिस्तीनी मुक्ति संगठन के अगुवा यासिर अराफात के रहते हुए भारत के साथ उनके रिश्ते काफी बेहतर थे। यासिर अराफात इंदिरा गांधी को अपनी बड़ी बहन मानते थे और जब वो भारत आते थे तो एयरपोर्ट पर उन्हें लेने इंदिरा गांधी खुद जाया करती थी। 1988 में फिलिस्तीन को बतौर राष्ट्र मान्यता देने वालों में भारत पहली पंक्ति में खड़ा था। 

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