केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी पीईसी लिमिटेड को कथित तौर पर 194.61 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने को लेकर उसके पूर्व चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक अरुण कुमार मीरचंदानी तथा अन्य पूर्व अधिकारियों के खिलाफ एक नया मामला दर्ज किया है। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
सीबीआई ने मीरचंदानी और वाणिज्य मंत्रालय के तहत आने वाले सरकारी उपक्रम पीईसी के पूर्व अधिकारियों के खिलाफ कई मामले दर्ज किये हैं।
पीईसी वस्तुओं के आयात-निर्यात को बढ़ावा देता है और आयातकों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
मौजूदा मामले में, आरोप है कि कच्चा तेल के आयात के लिए मुरैना (मध्य प्रदेश) स्थित केएस ऑयल्स ने पीईसी लिमिटेड से वित्तीय सहायता पाई।
केएस ऑयल्स ने 2012-13 में यह वित्तीय सहायता सात बैंक गारंटी (लेटर्स ऑफ क्रेडिट) से हासिल की, जिसके लिए उसने जमानत के तौर पर बाद की तारीख वाले (पोस्ट डेटेड) चेक दिये थे।
‘लेटर्स ऑफ क्रेडिट’ एक ऐसी गारंटी होती है जो बैंक अपने ग्राहकों की ओर से भुगतान वादे के रूप में देता है।
पीईसी ने विदेशी बैंकों से ‘बायर्स क्रेडिट’ लिया था। यह एक संक्षिप्त अवधि का ऋण होता है जो आयातक वस्तुओं या सेवाओं की खरीद के लिए विदेशी ऋणदाता से लेता है।
पीईसी को तय तारीखों पर ‘बायर्स क्रेडिट’ दायित्वों के तहत कुल लंबित बकाया अदा करना था और यह राशि करीब 194.61 करोड़ रुपये थी।
लेकिन कंपनी ने सक्षम प्राधिकार की मंजूरी से समय-समय पर रिण की अवधि को बढ़ाना जारी रखा।
सीबीआई ने अपनी प्राथमिकी में, पीईसी के पूर्व निदेशक और मुख्य महाप्रबंधक राजीव चतुर्वेदी, पूर्व महाप्रबंधक एसके ममतानी, पूर्व मुख्य विपणन प्रबंधक एससी ऋषि और एसके विरमानी तथा अन्य पूर्व अधिकारियों के अलावा केएस ऑयल्स और इसके प्रबंध निदेशक रमेश चंद गर्ग को भी नामजद किया है।