Poorvottar Lok: Manipur में हिंसा के वीडियो प्रसारित करने पर रोक, Mizoram Assembly Elections के लिए राजनीतिक गतिविधियां तेज, Assam में हुआ Air Force कमांडरों का सम्मेलन
इस सप्ताह असम में वायुसेना का दो दिवसीय कमांडर सम्मेलन संपन्न हुआ। साथ ही राज्य सरकार ने एक नये जिले का गठन कर प्रदेश में विकास परियोजनाओं को आगे बढ़ाया गया। वहीं सीबीआई ने दो लापता मणिपुरी छात्रों के मामले का मुख्य षड्यंत्रकर्ता होने के संदेह में 22 वर्षीय एक युवक को पुणे से गिरफ्तार कर बड़ी सफलता हासिल की। इसके अलावा मणिपुर सरकार ने जातीय संघर्ष से प्रभावित राज्य में सामान्य स्थिति की बहाली के लिए हिंसा और संपत्तियों को नुकसान दिखाने वाले वीडियो या तस्वीरों के प्रसार पर रोक लगा दी। इसके अलावा मिजोरम में चुनाव तारीखों के ऐलान के बाद जहां राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गयी हैं वही नगालैंड विधानसभा की एक सीट पर होने वाले उपचुनाव की भी तारीख सामने आ गयी है। इसके अलावा मेघालय सरकार ने सिक्किम में आई प्राकृतिक आपदा से सबक लेते हुए जहां भूकंप की स्थिति आने पर अपनी तैयारियों को परखा है तो वहीं अरुणाचल प्रदेश सरकार एक विशेष म्यूजियम बनाने जा रही है। इसके अलावा भी पूर्वोत्तर भारत से इस सप्ताह कई प्रमुख घटनाएं रहीं। आइये सब पर डालते हैं एक नजर और सबसे पहले बात करते हैं असम की।
असम
असम से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने हर समय उच्च परिचालन तैयारियां रखने के महत्व पर जोर दिया है। सेना ने शुक्रवार को एक विज्ञप्ति में यह जानकारी दी। तेजपुर में 12 अक्टूबर से शुरू हुए दो दिवसीय वार्षिक ईस्टर्न एयर कमांड (ईएसी) कमांडर सम्मेलन में शामिल हुए एयर चीफ मार्शल चौधरी ने कहा कि सभी प्लेटफॉर्म, शस्त्र प्रणालियों और परिसंपत्तियों की अभियान संबंधी तैयारी निश्चित होनी चाहिए। उन्होंने सभी दुर्घटनाओं और घटनाओं के मूल कारण का विश्लेषण करने, मिशन की प्रभावशीलता को बढ़ावा देने के लिए रखरखाव प्रक्रियाओं में सुधार करने और हर समय भौतिक और साइबर सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। वायु सेना प्रमुख ने सभी कमांडरों से सुरक्षित परिचालन उड़ान वातावरण प्रदान करने के अपने प्रयासों को जारी रखने का आग्रह किया। उन्होंने पूर्वी कमान की परिचालन तैयारियों का जायजा लिया और उसकी बड़ी उपलब्धियों पर संतोष जताया। वायु सेना प्रमुख ने अभियानों, रखरखाव और प्रशासन के क्षेत्रों में उत्कृष्टता के लिए स्टेशनों को ट्रॉफी भी प्रदान की। ईएसी के कमांडिंग-इन-चीफ एयर मार्शल एसपी धारकर ने तेजपुर वायु सेना केंद्र पर एयर चीफ मार्शल चौधरी का स्वागत किया।
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इसके अलावा, असम के दो जिलों में अलग-अलग जगहों पर की गई कार्रवाई के दौरान भारी मात्रा में हेरोइन जब्त की गई है और तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने शुक्रवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि मादक पदार्थ की कुल कीमत पांच करोड़ रुपये आंकी गई है। एक गुप्त सूचना पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने बृहस्पतिवार रात कार्बी आंगलोंग जिले के खकरजन इलाके में एक तलाशी अभियान चलाया और इस दौरान पड़ोसी नगालैंड के दीमापुर से आ रहे एक वाहन को रोका गया। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि वाहन की तलाशी के दौरान उसके दरवाजों में बने गुप्त स्थानों में छिपा कर रखी गई 726 ग्राम हेरोइन जब्त की गई, जिसकी कीमत चार करोड़ रुपये से अधिक आंकी गई है। उन्होंने बताया कि कार में सवार दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया। एक अन्य घटना में, असम पुलिस के विशेष कार्य बल (एसटीएफ) की एक टीम ने, उन्हें देखकर अपने वाहन से भागने की कोशिश कर रहे एक मादक पदार्थ कारोबारी पर गोली चलाई। बाद में उसे बृहस्पतिवार को कामरूप जिले के जालुकबारी पुलिस थाना क्षेत्र के फैंसी पारा में पकड़ा गया। पुलिस ने उसके वाहन की तलाशी के दौरान साबुन के 12 बक्सों में छिपाकर रखी गई 170 ग्राम हेरोइन जब्त की। एक अन्य पुलिस अधिकारी ने बताया कि गुवाहाटी में उसके किराए के आवास पर भी तलाशी ली गई, जहां से एसटीएफ टीम ने 100 ग्राम हेरोइन जब्त की। जब्त किये गये मादक पदार्थों की कुल कीमत एक करोड़ रुपये से अधिक आंकी गई है।
इसके अलावा, बिहार के बक्सर जिले में नॉर्थ ईस्ट एक्सप्रेस के पटरी से उतरने के बाद उसके कुल 1,006 यात्री राहत ट्रेन से अपने-अपने गंतव्य स्थलों पर पहुंच गए। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (सीपीआरओ) सब्यसाची डे ने बताया कि नॉर्थ ईस्ट एक्सप्रेस ने बुधवार सुबह जब दिल्ली के आनंद विहार स्टेशन से असम के गुवाहाटी के कामाख्या के लिए यात्रा शुरू की तो उसमें लगभग 1,500 यात्री सवार थे। इस ट्रेन को यह सफर तय करने में 33 घंटे का वक्त लगता। उन्होंने बताया कि बुधवार रात ट्रेन दुर्घटना के बाद कुल 1,006 यात्री दानापुर से राहत ट्रेन में बिहार, पश्चिम बंगाल और असम में अपने गंतव्य के लिए सवार हुए थे। डे ने बताया कि बृहस्पतिवार और शुक्रवार की दरमियानी रात एक बजे विशेष राहत ट्रेन कामाख्या पहुंची, जहां 311 यात्री उतर गए। उन्होंने बताया कि अन्य यात्री भी रास्ते में अपने-अपने स्टेशनों पर उतर गए। उन्होंने बताया कि कुल यात्रियों में से लगभग 1,200 के पास पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे स्टेशन के 12 स्टेशनों पर उतरने के लिए टिकट थे। उन्होंने कहा, ‘‘540 लोगों के पास असम के पांच स्टेशनों के लिए टिकट थे, जिनमें अंतिम गंतव्य कामाख्या उतरने वालों की संख्या 389 है।’’ भारतीय रेलवे के मुताबिक, बुधवार रात करीब नौ बजकर 53 मिनट पर रघुनाथपुर स्टेशन के पास नॉर्थ ईस्ट एक्सप्रेस के 23 डिब्बे पटरी से उतर गए। इस हादसे में चार लोगों के मौत की खबर है, जबकि कई लोग घायल हैं।
इसके अलावा, असम सरकार ने बृहस्पतिवार को नए जिले ‘बजाली’ को अधिसूचित कर दिया। राज्यपाल के आदेश के तहत अधिसूचना जारी होने के साथ ही यह असम का 35वां जिला बन गया है। आदेश पर हस्ताक्षर करने वाले अतिरिक्त मुख्य सचिव अविनाश जोशी ने कहा, ‘असम के राज्यपाल प्रशासनिक लाभ और सार्वजनिक सुविधा के हित में प्रशासनिक जिला बजाली बना रहे हैं जिसका मुख्यालय पाठशाला के मदन रौता नगर में होगा।’ इसमें कहा गया है कि बजाली जिले की भौगोलिक सीमा नव परिसीमित विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र बजाली की सीमा के समरूप होगी। आदेश में कहा गया है कि पहले से ही अधिसूचित कैबिनेट उप-समिति अधिक भौगोलिक क्षेत्रों की पहचान करेगी जिन्हें नए जिले में जोड़ा जा सकेगा। वहीं, इस संदर्भ में 30 दिनों के भीतर रिपोर्ट दाखिल करनी होगी। बजाली उन चार जिलों में से एक था, जिन्हें परिसीमन प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए 31 दिसंबर, 2022 को मूल जिलों में मिला दिया गया था। होजाई, विश्वनाथ और तामुलपुर अन्य तीन जिले थे।
इसके अलावा, असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने बृहस्पतिवार को कहा कि उनकी सरकार ने विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने के लिए लोगों पर कोई अतिरिक्त कर नहीं लगाया है। शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सहयोग से राज्य सरकार कल्याणकारी योजनाएं चलाने में सफल रही। वह ‘’ओरुनोदोई 2.0′ योजना के लाभार्थियों को कार्ड वितरण कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को विभिन्न घरेलू खर्चों को पूरा करने के लिए हर महीने 1,250 रुपये मिलते हैं जो महिला सदस्य के बैंक खाते में भेजे जाते हैं। ‘’ओरुनोदोई 2.0′ के तहत करीब सात लाख और लाभार्थियों के नाम शामिल किए गए हैं। इसके बाद कुल लाभार्थियों की संख्या 26 लाख हो गई है। कार्यक्रम में जोरहाट जिले के 25,000 से अधिक नए लाभार्थियों को उनके कार्ड दिए गए। विभिन्न योजनाओं के माध्यम से लोगों को ‘लाभार्थी’ बनाने के लिए सरकार की आलोचना करने वाले विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए, शर्मा ने कहा, “मुख्यमंत्री के रूप में मैं निश्चित रूप से लाभार्थी बनाने पर ध्यान दूंगा।” मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्षी दलों को सवाल करना चाहिए कि क्या सरकार योजनाओं को लागू करने के लिए अधिक कर लगा रही है। उन्होंने कहा, ”बिना किसी अतिरिक्त कर लगाए, हम इन योजनाओं को लागू कर रहे हैं।” शर्मा ने कहा, “मैं असम के लोगों से प्रधानमंत्री मोदी का समर्थन जारी रखने का आग्रह करता हूं क्योंकि उनकी मदद से ही हम अपने राज्य को विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जा सकते हैं।”
इसके अलावा, असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने सिक्किम में अचानक आई बाढ़ में मारे गए सैनिक मितु कलिता के घर जाकर मंगलवार को उनके परिजन से मुलाकात की और उनके परिवार को पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने शोक संतप्त परिवार को सांत्वना देते हुए कहा कि कलिता की मृत्यु असम के लिए एक दुखद क्षति है। उन्होंने कहा, ‘‘दिवंगत आत्मा के लिए मेरी प्रार्थनाएं और दुख की इस घड़ी में शोक संतप्त परिवार के प्रति संवेदनाएं व्यक्त करता हूं।’’ हिमंत विश्व शर्मा ने मृत सैनिक के परिवार के लिए पांच लाख रुपये की एकमुश्त वित्तीय सहायता की भी घोषणा की। उन्होंने परिवार को यह भी आश्वासन दिया कि वह कम से कम एक सदस्य को रोजगार या किसी अन्य संभावित सहायता प्रदान करने पर सेना के साथ चर्चा करेंगे। सेना के तकनीकी विभाग में कार्यरत शिल्पकार कलिता उन 23 सैनिकों में शामिल थे, जो चार अक्टूबर को तीस्ता नदी में अचानक आई बाढ़ के बाद लापता हो गए थे। चार दिन बाद उनका शव मिला था। वह पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार में तैनात थे और विभागीय आदेश पर पड़ोसी राज्य सिक्किम गए थे। इस मौके पर हथकरघा और कपड़ा मंत्री उरखाओ ग्वरा ब्रह्मा और बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र (बीटीआर) के प्रमुख प्रमोद बोरो मुख्यमंत्री के साथ थे।
इसके अलावा, असम के पर्यटन मंत्री जयंत मल्ला बरुआ ने कहा कि राज्य मंत्रिमंडल ने प्रदेश में एक हजार किलोमीटर लंबे आर्थिक गलियारे की परियोजना के लिए सोमवार को तीन हजार करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दी। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि मंत्रिमंडल ने असोम माला योजना के तहत परियोजना को सैद्धांतिक मंजूरी दी है। ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए मंत्रिमंडल ने 950 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को भी मंजूरी दी। उन्होंने बताया कि 90 ग्रामीण सड़कों और चार ग्रामीण पुलों का उन्नयन किया जाएगा। उच्चतम न्यायालय के निर्देश के अनुसार, तिनसुकिया में वन्यजीव अभयारण्य के एक किमी के दायरे को पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र घोषित करने के लिए संशोधित मसौदा अधिसूचना को भी मंजूरी दे दी गई।
इसके अलावा, असम के चार जिलों में सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (अफस्पा) बढ़ाए जाने के कुछ दिन बाद, मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने सोमवार को कहा कि राज्य सरकार और सेना इस विवादास्पद कानून की पूरी तरह वापस चाहती थीं, लेकिन केंद्र ने कुछ क्षेत्रों में इसे जारी रखकर ‘सतर्कतापूर्ण’ रुख अपनाया है। असम के चार जिलों में अफस्पा कानून को एक अक्टूबर से छह और महीने के लिए बढ़ा दिया गया है, वहीं चार अन्य जिलों से इसे वापस लिया जा रहा है। शर्मा ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘राज्य सरकार ने असम से अफस्पा को पूरी तरह वापस लेने की सिफारिश की थी। भारतीय सेना भी पूरी तरह वापसी पर जोर दे रही थी।’’ उन्होंने पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल राणा प्रताप कालिता की उपस्थिति में कहा कि सेना के अनुसार, असम पूरी तरह से शांतिपूर्ण है और राज्य के सभी हिस्सों से ‘अशांत क्षेत्र’ टैग हटाया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘कभी-कभी हमारे पास विदेशी धरती की स्थिति जैसी पूरी रिपोर्ट नहीं होती, जो केंद्र के पास होती है। मुझे लगता है कि भारत सरकार थोड़ा सतर्क रहना चाहती थी और अफस्पा को हटाने में उसने समग्र दृष्टिकोण अपनाया।’’ उन्होंने कहा कि छह महीने के लिए कानून बढ़ाया गया है और फिर केंद्र सरकार राज्य के सभी जिलों से क्रमिक तरीके से इसकी वापसी के लिए हालात का आकलन करेगी। लेफ्टिनेंट जनरल कालिता ने कहा कि असम और पूर्वोत्तर हाल के वर्षों में बहुत शांतिपूर्ण रहे हैं और इसका श्रेय सेना, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों, राज्य पुलिस और आम जनता को जाता है।
मणिपुर
मणिपुर से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि सीबीआई ने दो लापता मणिपुरी छात्रों के मामले का मुख्य षड्यंत्रकर्ता होने के संदेह में 22 वर्षीय एक युवक को पुणे से गिरफ्तार किया है। दोनों छात्रों के बारे में माना जा रहा है कि उनकी हत्या कर दी गई। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सीबीआई की एक विशेष टीम ने पाओलुनमांग को बुधवार को पुणे से गिरफ्तार किया और अदालत में पेश करने के लिए उसे गुवाहाटी ले गई। उन्होंने बताया कि विशेष अदालत ने उन्हें 16 अक्टूबर तक सीबीआई की हिरासत में भेज दिया है। उन्होंने बताया कि सीबीआई को इस मामले में पाओलुनमांग के मुख्य षड्यंत्रकर्ता होने का संदेह है। केंद्रीय एजेंसी ने एक अक्टूबर को मामले में दो पुरुषों पाओमिनलुन हाओकिप, स्मालसॉम हाओकिप और दो महिलाओं ल्हिंगनेइचोंग बैतेकुकी, टिननेइलिंग हेंथांग को गिरफ्तार किया था। फिजाम हेमनजीत (20) और 17 वर्षीय लड़की हिजाम लिनथोइंगंबी छह जुलाई को लापता हो गए। कथित तौर पर उनके शव वाली तस्वीरें 25 सितंबर को सामने आईं, जिसके बाद मुख्य रूप से छात्रों ने मणिपुर में हिंसक विरोध प्रदर्शन किया।
इसके अलावा, मणिपुर सरकार के अवैध पोस्ता की खेती पर लगाम लगाने के प्रयासों के बीच एक स्टार्टअप कंपनी किसानों को चाय की खेती का विकल्प अपनाने पर जोर दे रही है। स्टार्टअप मेकले टी इंडिया कंपनी राज्य में पोस्ता खेती के विकल्प के रूप में चाय की खेती को बढ़ावा देना चाह रही है। मेकले टी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक मिलन कोइजम ने बुधवार को यहां कहा, ‘‘अवैध पोस्ता की खेती और मादक पदार्थों का कारोबार मणिपुर की दो प्रमुख समस्याएं हैं। राज्य सरकार ने पहले ही मादक पदार्थों के खिलाफ अभियान शुरू कर दिया है और पोस्ता की खेती को नष्ट कर रही है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन जब तक हम किसानों को समान रूप से लाभदायक विकल्प नहीं देते, वे पोस्ता उगाने पर निर्भर बने रहेंगे। हमें लगता है कि चाय की खेती एक लाभकारी विकल्प हो सकता है।’’ कोइजम ने कहा कि उखरूल जिले में वर्तमान में कंपनी की 50 हेक्टेयर भूमि पर चाय की खेती शुरू करने के लिए भारत के चाय बोर्ड के गुवाहाटी में स्थित अधिकारियों के परामर्श से अप्रैल में काम किया गया था। कोइजाम ने कहा, ‘‘लेकिन मई में स्थिति बिगड़ गई और हम ज्यादा प्रगति नहीं कर पाए। लेकिन उम्मीद है कि हम अगले सीजन से खेती शुरू कर देंगे।’’ उन्होंने कहा कि कंपनी अधिक भूमि खरीदने पर विचार कर रही है और वर्तमान में राज्य सरकार के अधीन चाय की खेती वाले क्षेत्रों को सार्वजनिक-निजी-साझेदारी के तहत लाभदायक उद्यम में बदलने की भी संभावना तलाश रही है। कोइजाम ने कहा कि वे चाय बागान खोलने को लेकर क्षेत्र के स्थानीय लोगों के साथ-साथ सरकार से भी बातचीत कर रहे हैं और सभी पक्षों से प्रतिक्रिया सकारात्मक रही है।
इसके अलावा, मणिपुर सरकार ने जातीय संघर्ष से प्रभावित राज्य में सामान्य स्थिति की बहाली के लिए हिंसा और संपत्तियों को नुकसान दिखाने वाले वीडियो या तस्वीरों के प्रसार पर रोक लगा दी है। बुधवार रात जारी सरकारी आदेश में कहा गया है कि इस तरह के प्रसार से सख्ती से निपटा जाएगा और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कानून के तहत मामला दर्ज किया जाएगा। यह आदेश ऐसे समय जारी किया गया है जब व्यापक हिंसा के वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया मंच पर वायरल हुई हैं। इसी तरह के एक वीडियो में कुछ लोगों के समूह द्वारा दो युवकों को करीब से गोली मारते हुए और उन्हें एक गड्ढे में दफनाते हुए दिखाया गया है। हालांकि वीडियो में घटनास्थल और दफनाने वाली जगह की जानकारी नहीं है। मणिपुर गृह विभाग की ओर से जारी आदेश में कहा गया, ‘‘राज्य सरकार हिंसक गतिविधियों, किसी को चोट पहुंचाने, निजी और सार्वजनिक संपत्तियों को क्षतिग्रस्त करने से संबंधित वीडियो के विभिन्न सोशल मीडिया मंच पर प्रसारण को बहुत गंभीरता और अत्याधिक संवेदनशीलता से ले रही है…।’’ आदेश में कहा गया है, ‘‘राज्य सरकार ने मामले पर गौर करने के बाद ऐसे वीडियो के प्रसार पर रोक लगाने का निर्णय लिया है।’’ आदेश में कहा गया कि यदि किसी के पास इस तरह के वीडियो या तस्वीरें हैं, तो वे बिना किसी भय के उचित कार्रवाई के लिए वीडियो या तस्वीरें निकटतम पुलिस अधीक्षक से संपर्क कर जमा कर सकते हैं। आदेश में कहा गया कि आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कानून तथा प्रौद्योगिकी के दुरुपयोग के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया जाएगा और मुकदमा चलाया जाएगा। इसमें कहा गया है कि ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और सूचना एवं प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी। सितंबर में दो लापता युवकों के शव की तस्वीरें सोशल मीडिया पर सामने आने के बाद इम्फाल घाटी में व्यापक पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सुरक्षा बलों और पुलिस की कार्रवाई में 100 से अधिक छात्र घायल हो गए थे जिनमें ज्यादातर लड़कियां थीं। विरोध प्रदर्शन के बाद केंद्र ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) अधिकारियों का एक दल भेजा और बाद में एजेंसी ने चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। चारों आरोपियों को आगे की जांच और कानूनी प्रक्रियाओं के लिए गुवाहाटी ले जाया गया। पूर्वोत्तर राज्य में इस साल तीन मई से मेइती और कुकी जनजाति के बीच जातीय हिंसा हो रही है। मेइती लोगों द्वारा जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के बाद राज्य में हिंसा भड़क उठी थी।
इसके अलावा, मणिपुर सरकार ने बुधवार को मोबाइल इंटरनेट सेवाओं के निलंबन की अवधि को पांच दिनों के लिए यानी 16 अक्टूबर शाम तक बढ़ा दिया है। आधिकारिक अधिसूचना में यह जानकारी दी गई। गृह विभाग, सचिवालय की ओर से जारी किये गये आदेशों में कहा गया है कि यह निर्णय ‘‘राष्ट्र-विरोधी और असामाजिक तत्वों की गतिविधियों तथा साजिशों को विफल करने और शांति तथा सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने के लिए’’ लिया गया है और ‘‘विभिन्न सोशल मीडिया मंचों के माध्यम से दुष्प्रचार और अफवाहों के प्रसार को रोकने, जनहित में कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह पर्याप्त उपाय करना जरूरी हो गया है।’’ राज्य में तीन मई को हिंसा भड़कने के बाद मोबाइल इंटरनेट सेवा निलंबित कर दी गई थी। मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की घोषणा के बाद 23 सितंबर को इसे बहाल कर दिया गया था। हालांकि, दो लापता छात्रों के शवों की तस्वीरें वायरल होने के बाद इंफाल घाटी में शुरू हुए आंदोलन के चलते 26 सितंबर को इसे फिर से निलंबित कर दिया गया।
इसके अलावा, मणिपुर के एक अदिवासी संगठन ने राज्य में पांच माह से जारी जातीय संघर्ष में मारे गये कुकी-जो समुदाय के लोगों के शव राजधानी इंफाल के मुर्दाघरों से कांगपोकपी जिले में लाये जाने का अनुरोध अधिकारियों से किया है। आदिवासी संगठन ‘कमेटी ऑन ट्रायबल यूनिटी’ (सीओटीयू) ने शवों को लाए जाने के दौरान उनकी रक्षा की भी मांग की है। इंफाल ईस्ट जिले के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वे सरकार के निर्देशों के अनुसार काम करेंगे लेकिन उन्हें आदिवासी संगठन से औपचारिक रूप से कोई अनुरोध नहीं मिला है। सीओटीयू के मीडिया प्रकोष्ठ के समन्वयक लुन किपगेन ने कहा, ‘‘अगर अधिकारी इंफाल के मुर्दाघरों में रखे कुकी समुदाय के लोगों के शवों को कांगपोकपी जिले में लाने की मांग मान लेते हैं तो हमें प्रसन्नता होगी। मृतकों के परिजनों से विचार-विमर्श करने के बाद शवों को फैजांग में एक कब्रिस्तान में दफनाया जाएगा।’’ सीओटीयू नेता ने हालांकि यह नहीं बताया कि कितने शवों को लाया जाएगा, लेकिन अनुमान है कि शवों की संख्या 50 हो सकती है। किपगेन ने कहा, ‘‘हम अधिकारियों और इंफाल के नागरिक समाज से जुड़े संगठनों से अनुरोध करते हैं कि परिवहन के दौरान शवों को सुरक्षा मुहैया कराई जाए।’’ उन्होंने कहा कि जिन शवों की पहचान नहीं हुई है उनका अंतिम संस्कार ‘जल्दबाजी’ में नहीं किया जाना चाहिए बल्कि उनकी पहचान के लिए पूरा तंत्र तैयार किया जाना चाहिए। मेइती सुमदाय के लोगों ने दो सरकारी अस्पतालों के मुर्दाघरों में रखे अपने समुदाय के लोगों के शव हासिल करके उनका अंतिम संस्कार कर दिया है।
इसके अलावा, मणिपुर सरकार ने मंगलवार को लोगों से उन व्यक्तियों की संपत्ति पर कब्जा नहीं करने को कहा जो पांच महीने के जातीय संघर्ष के कारण अपने घर छोड़कर चले गये हैं। राज्य सरकार ने कहा कि ऐसा करने से कानून व्यवस्था की समस्या खड़ी हो सकती है। उच्चतम न्यायालय के 25 सितंबर के आदेश का हवाला देते हुए मणिपुर सरकार के गृह विभाग ने कहा कि दूसरों की संपत्ति को हड़पने या उन्हें नुकसान पहुंचाने वाले को कड़ी कानूनी कार्रवाई का सामना करना होगा। उच्चतम न्यायालय ने 25 सितंबर को मणिपुर सरकार को हिंसा के दौरान विस्थापित हुए लोगों की संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था। राज्य सरकार के गृह विभाग का यह आदेश इन खबरों के बीच आया है कि विभिन्न स्थानों पर प्रतिद्वंद्वी समुदाय के सदस्यों की संपत्ति को जलाया जा रहा है या उसे नुकसान पहुंचाया जा रहा है। आदेश में कहा गया है, ”राज्य सरकार बहुत संवेदनशीलता के साथ नजर रख रही है क्योंकि ऐसी घटना से राज्य में कानून व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो सकती है या स्थिति बिगड़ सकती है।’’ इसमें कहा गया है, ‘‘उपायुक्तों एवं पुलिस अधीक्षकों को कार्रवाई करने तथा उच्चतम न्यायालय के आदेश का क्रियान्वयन करने की सलाह दी जाती है।’’
मिजोरम
मिजोरम से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि विपक्षी दल जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) के नेता और उसके मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार लालदुहोमा ने बृहस्पतिवार को कहा कि अगर उनकी पार्टी मिजोरम में सत्ता में आती है तो वह किसानों को सर्वोच्च प्राथमिकता देगी। लालदुहोमा ने लगभग 300 मेगावाट बिजली उत्पादन करने के लिए तीन नए जलविद्युत बांध बनाने और अगले पांच वर्षों तक बिजली दरों में बढ़ोतरी नहीं करने का भी वादा किया। उन्होंने ममित जिले के खौरीहनिम गांव में एक जेडपीएम ब्लॉक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य की लगभग 60 प्रतिशत आबादी कृषि और उससे संबंधित क्षेत्रों पर निर्भर है। जेडपीएम के नेता ने कहा, ”जेडपीएम किसानों के उत्थान और विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता देगा। हम कृषि को आधुनिक बनाएंगे।”
इसके अलावा, ईसाई बहुल मिजोरम में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), कांग्रेस और सत्तारूढ़ मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) सहित सभी मुख्य राजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर विधानसभा चुनाव की मतगणना की तारीख बदलने की मांग की है। चुनाव आयोग द्वारा घोषित कार्यक्रम के मुताबिक, यहां विधानसभा चुनाव के लिए मतदान सात नवंबर (मंगलवार) को होगा और मतगणना तीन दिसंबर (रविवार) को निर्धारित की गई है। चुनाव आयोग को पत्र लिखने वालों में जोरम पीपुल्स मूवमेंट और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस भी शामिल हैं। इसके अलावा राज्य के प्रमुख चर्चों के समूह ‘मिजोरम कोहरान ह्रुएतुते कमेटी’ (एमकेएचसी) ने भी चुनाव आयोग को एक पत्र भेजकर मतगणना की तारीख बदलने का आग्रह किया है। इन सभी का तर्क है कि रविवार का दिन ईसाइयों के लिए खास होता है और उसी दिन विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन होता है इसलिए उस दिन मतगणना नहीं की जानी चाहिए। चुनाव आयोग ने सोमवार को पांच राज्यों मिजोरम, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ के लिए चुनाव कार्यक्रम की घोषणा कर दी है। मिजोरम की 40 सदस्यीय विधानसभा के लिए सात नवंबर को एक ही चरण में मतदान होगा और तीन दिसंबर को मतगणना होगी। एमकेएचसी ने मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार को लिखे अपने पत्र में कहा कि रविवार ईसाइयों के लिए पवित्र दिन होता है और उस दिन सभी कस्बों और गांवों में धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। पत्र में आग्रह किया गया है कि मतगणना की तारीख आगे बढ़ा दी जाए। भाजपा ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर मतगणना की तारीख स्थगित करने का आग्रह किया। सत्तारूढ़ एमएनएफ ने मतगणना की तारीख को चार दिसंबर यानी सोमवार को पुनर्निर्धारित करने का आग्रह किया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष लालसावता ने चुनाव आयोग को लिखे अपने पत्र में कहा कि रविवार मिजोरम के लोगों के लिए एक पवित्र दिन है और इस दिन यहां कोई आधिकारिक कार्यक्रम आयोजित नहीं किये जाते हैं। उन्होंने चुनाव आयोग से मिजो लोगों की भावनाओं का सम्मान करने का आग्रह करते हुए मतगणना को सोमवार और शुक्रवार के बीच किसी भी दिन पुनर्निर्धारित करने का अनुरोध किया। साल 2011 की जनगणना के अनुसार, मिजोरम में इसाइयों की आबादी करीब 87 फीसदी है।
इसके अलावा, मिजोरम में विपक्षी दल जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) ने मंगलवार को तुइचावंग सीट से शांति जीबन चकमा को अपना उम्मीदवार घोषित किया। जेडपीएम ने जुलाई में 40 सदस्यीय विधानसभा में तुइचावंग को छोड़कर सभी सीट के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा की थी। चकमा स्वायत्त जिला परिषद (सीएडीसी) के पूर्व मुख्य कार्यकारी सदस्य (सीईएम) शांति जीबन चकमा पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में थे। सत्तारुढ़ मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) ने इस सीट पर सीएडीसी के मौजूदा सीईएम रसिक मोहन चकमा को मैदान में उतारा है। कांग्रेस और भाजपा ने अभी तक सात नवंबर को होने वाले चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों की सूची जारी नहीं की है। मतगणना तीन दिसंबर को होगी।
इसके अलावा, मिजोरम के पांच निर्दलीय विधायकों ने मंगलवार को अपना इस्तीफा सौंप दिया। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है, जब सात नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में अब एक महीने से भी कम समय बचा है। आइजोल पश्चिम-तृतीय निर्वाचन क्षेत्र से विधायक वी एल जैथनजामा, आइजोल उत्तर-द्वितीय से विधायक वनललथलाना, आइजोल दक्षिण द्वितीय से विधायक ललछुआनथांगा, आइजोल दक्षिण-प्रथम से विधायक सी. ललसाविवुंगा और आइजोल उत्तर-प्रथम निर्वाचन क्षेत्र से विधायक वनललहलाना ने इस्तीफा सौंप दिया है। ये नेता मूल रूप से जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) से जुड़े थे, लेकिन 2018 में उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था। उस समय जेडपीएम पार्टी राजनीतिक दल के रूप में पंजीकृत नहीं थी। विधानसभा की सदस्यता से उनका इस्तीफा इसलिए अहमियत रखता है, क्योंकि वे अब जेपीएम के टिकट पर नामांकन पत्र दाखिल कर सकेंगे। इसी के साथ 40 सदस्यीय विधानसभा से इस्तीफा देने वाले विधायकों की संख्या बढ़कर सात हो गई है। इससे पहले, कांग्रेस विधायक के टी रोखाव और पूर्व मंत्री के बेइचुआ ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। रोखाव पलक सीट से चुनाव लड़ने के लिए पहले ही सत्तारुढ़ ‘मिजोरम नेशनल फ्रंट’ (एमएनएफ) में शामिल हो चुके हैं। एमएनएफ से जनवरी में निष्कासित किए गए बेइचुआ छह अक्टूबर को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए और वह सियाहा से चुनाव लड़ेंगे, जहां से वह 2013 से पार्टी के टिकट पर दो बार चुने गए थे।
इसके अलावा, मिजोरम के मुख्यमंत्री और सत्तारूढ़ मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) के अध्यक्ष जोरमथांगा ने मंगलवार को विश्वास जताया कि उनकी पार्टी, जिसे ‘शहीदों के रक्त ने सींचा है’, वह आगामी विधानसभा चुनाव के बाद सत्ता में कायम रहेगी। दिग्गज नेता 20 साल के उस विद्रोह काल का जिक्र कर रहे थे जब एमएनएफ एक सशस्त्र संगठन था। यह अंततः 1986 में मिजो शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने और एक राजनीतिक पार्टी बनने के साथ मुख्यधारा में लौटा। 40 सदस्यीय मिजोरम विधानसभा के लिए चुनाव 7 नवंबर को एक ही चरण में होंगे और वोटों की गिनती 3 दिसंबर को होगी। जोरमथांगा ने अपने आधिकारिक इंस्टाग्राम हैंडल पर कहा, ‘‘एमएनएफ अगले कार्यकाल में शासन करने और लोगों की सेवा करने की तैयारी कर रही है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमें विश्वास है कि हम ईश्वर के आशीर्वाद से सत्ता में बने रहेंगे।’’ एमएनएफ अध्यक्ष ने कहा कि पार्टी मिजो समुदाय के लोगों की है और यह ‘शहीदों के खून से सींची गई है।”
त्रिपुरा
त्रिपुरा से आये समाचार की बात करें तो आपको बता दें कि नेता प्रतिपक्ष अनिमेष देबबर्मा ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के इन आरोपों को खारिज किया कि टिपरा मोथा का साल की शुरुआत में हुए विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ ‘गुप्त समझौता’ था। देबबर्मा ने दावा किया कि उनकी पार्टी को वाम दल की वजह से विधानसभा चुनावों में कई सीटें गंवानी पड़ीं। त्रिपुरा में फरवरी में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा, माकपा-कांग्रेस गठबंधन और नवगठित टिपरा मोथा के बीच त्रिकोणीय मुकाबला था। 60 सदस्यीय राज्य विधानसभा के लिए हुए इन चुनावों में भाजपा को 32 सीटों पर जीत हासिल हुई थी, जबकि उसकी सहयोगी इंडिजीनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के खाते में एक सीट गई थी। वहीं, माकपा और कांग्रेस ने क्रमश: 11 और तीन सीटें जीती थीं, जबकि 42 सीटों पर किस्मत आजमाने वाली टिपरा मोथा ने 13 सीटों पर जीत दर्ज कर मुख्य विपक्षी दल का दर्जा हासिल किया था। देबबर्मा ने कहा, “हम माकपा के कारण विधानसभा चुनावों में कई सीटों पर हार गए। त्रिकोणीय मुकाबले की वजह से सत्तारूढ़ भाजपा को भी कुछ सीटों पर शिकस्त का सामना करना पड़ा।” चुनाव जीतने में भाजपा की मदद के लिए टिपरा मोथा के पार्टी के साथ ‘गुप्त समझौता’ करने के वरिष्ठ माकपा नेता माणिक सरकार के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर देबबर्मा ने कहा, “मैं माणिक सरकार का सम्मान करता हूं, जिन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में 20 वर्षों तक राज्य पर शासन किया। लेकिन लोग कहते हैं कि 70 साल की उम्र के बाद आदमी बच्चे जैसा व्यवहार करने लगता है… मैंने अपने माता-पिता में भी यही प्रवृत्ति देखी थी।” पूर्वोत्तर राज्य की आदिवासी राजनीति पर कई वर्षों तक दबदबा रखने वाली माकपा विधानसभा चुनावों में अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित एक भी सीट नहीं जीत सकी थी, जिसे उसकी करारी हार का प्रमुख कारक माना गया था। राज्य में अजजा समुदाय के लिए आरक्षित कुल 20 सीटों में 13 टिपरा मोथा के खाते में गई थीं, जबकि भाजपा और आईपीएफटी को क्रमश: छह और एक सीट पर विजय हासिल हुई थी। माकपा की आलोचना करते हुए देबबर्मा ने कहा कि टिपरा मोथा ने पांच सितंबर को सिपाहीजला जिले के बॉक्सानगर और धनपुर में हुए उपचुनावों में अपने उम्मीदवार नहीं उतारे, लेकिन फिर भी वाम दल एक भी सीट जीतने में नाकाम रहा। उन्होंने कहा, “माकपा को दोनों सीटों पर शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा।”
मेघालय
मेघालय से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य के मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा ने इजराइल और फलस्तीन के बीच युद्ध जैसे हालात में फंसे राज्य के 27 लोगों को बचाने के लिए विदेश मंत्रालय से मदद मांगी है। संगमा ने कहा कि वह इन लोगों को राज्य में वापस लाने के लिए मंत्रालय के संपर्क में हैं। उन्होंने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर कहा, ‘‘पवित्र तीर्थयात्रा के लिए यरुशलम गए मेघालय के 27 नागरिक इजराइल और फलस्तीन के बीच मौजूदा तनाव के कारण बेथलहम में फंस गए हैं।’’ मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मैं उनकी सुरक्षित घर वापसी सुनिश्चित करने के लिए विदेश मंत्रालय के संपर्क में हूं।’’ यरुशलम यहूदी धर्म, ईसाई धर्म और इस्लाम धर्म तीनों की ही पवित्र नगरी है। मेघालय के ईसाई धार्मिक यात्रा पर वहां जाते हैं।
इसके अलावा, मेघालय के पश्चिमी जयंतिया हिल्स जिले में लगातार बारिश के कारण मिट्टी धंसने से एक मकान नष्ट हो गया, जिससे एक परिवार के चार सदस्यों की मौत हो गई। पुलिस ने सोमवार को यह जानकारी दी। पुलिस के मुताबिक, घटना रविवार को जोवाई से करीब 20 किलोमीटर दूर थाद्लास्कें ब्लॉक में प्यन्थोर लांग्तें की है। जिले के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जिले में पिछले तीन दिनों से लगातार बारिश हो रही है, जो मिट्टी धंसने का एक कारण हो सकता है। उन्होंने बताया कि मिट्टी और मलबा मकान के ऊपर आकर गिरा, जिसकी वजह से चार लोगों की मौके पर ही मौत हो गई और मकान पूरी तरह से तहस-नहस हो गया। अधिकारी के मुताबिक, दिंयाग्की फावा (31), उनकी पत्नी प्यंजनै रिंग्ख्लेम (25) और दो बच्चों एडिवाई (छह) और विलादरोई (तीन) के शवों को रविवार को मलबे से निकालकर पोस्टमार्टम के लिए नगर अस्पताल भेजा गया है।
नगालैंड
नगालैंड से आये समाचार की बात करें तो आपको बता दें कि निर्वाचन आयोग ने सोमवार को कहा कि नगालैंड की तापी विधानसभा सीट पर उपचुनाव सात नवंबर को होगा। तापी से मौजूदा विधायक नोके वांगनाओ के निधन की वजह से सीट पर उपचुनाव कराया जा रहा है। उपचुनाव उसी दिन होगा जब मिजोरम और छत्तीसगढ़ में (पहले चरण) के लिए विधानसभा चुनाव हैं। वांगनाओ 10 बार के विधायक रहे थे। थोड़े समय बीमार रहने के बाद 87 वर्ष की उम्र में 28 अगस्त को दीमापुर के एक अस्पताल में उनका निधन हो गया। फरवरी में नगालैंड विधानसभा चुनाव में नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) के उम्मीदवार के रूप में चुने जाने के बाद, उन्होंने अपनी मृत्यु तक समाज कल्याण विभाग के सलाहकार के रूप में सेवा दी।
अरुणाचल प्रदेश
अरुणाचल प्रदेश से आये समाचार की बात करें तो आपको बता दें कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अरुणाचल प्रदेश में दुर्घटनाग्रस्त हुआ, मित्र देशों की सेनाओं के एक विमान का मलबा और अन्य संबंधित चीजों को प्रदर्शित करने वाला एक संग्रहालय जल्द ही लोगों के लिए खोला जाएगा। ‘द हंप म्यूजियम’ नाम का यह संग्रहालय अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू की पहल पर पासीघाट में तैयार किया जा रहा है। राज्य सरकार ने इस संग्रहालय का उद्धघाटन कराने के लिए भारत में अमेरिकी राजदूत को आमंत्रित करने की योजना बनाई है। खांडू ने बताया, ‘संग्रहालय तैयार है और इसका उद्घघाटन अगले महीने किया जाएगा।’ 1942 में जब जापानी सेना ने 1,150 किलोमीटर लंबे बर्मा मार्ग पर नाकेबंदी कर दी थी तो मित्र देशों की सेना ने विमानन इतिहास के सबसे बड़े हवाई अभियानों में से एक को अंजाम दिया था। 1,150 किलोमीटर लंबा बर्मा मार्ग वर्तमान में म्यांमा के लैशियो और चीन में कुनमिंग को जोड़ने वाला एक पहाड़ी राजमार्ग है। मित्र देशों की सेना के पायलटों ने इस मार्ग को ‘द हंप’ नाम दिया क्योंकि उनके विमानों को यहां की गहरी घाटियों से होते हुए फिर तेजी से 10,000 फुट से ऊंचे पहाड़ों पर उड़ान भरनी पड़ती थी। ‘द हंप’ में अरुणाचल प्रदेश, तिब्बत और म्यांमा के हिस्से शामिल हैं। ऐसा कहा जाता है कि बेहद मुश्किल उड़ान परिस्थितियों की वजह से द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान यहां करीब 650 विमान दुर्घटनाग्रस्त हुए थे।