Breaking News

सहमति से विवाह करने वाले वयस्कों के जीवन में कोई भी हस्तक्षेप नहीं कर सकता, Article 21 को लेकर Delhi High Court ने दिया बयान

दो व्यस्कों के स्वेच्छा से विवाह करने के मामले पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने बड़ा बयान दिया है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि जब दो लोग स्वेच्छा से एक दूसरे से विवाह करने का फैसला लेते हैं तो ऐसी स्थिति में उनके जीवन में हस्तक्षेप करने का किसी को कोई अधिकार नहीं होता है। यह कहते हुए संविधान के अनुच्छेद 21 में व्यक्तिगत पसंद के अधिकार का जिक्र भी हाईकोर्ट ने किया है।
 
इस मामले पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सौरभ बनर्जी ने कहा कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 सभी व्यक्तियों को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा देता है, जिसके तहत व्यक्तिगत पसंद का चुनाव करना, विशेष रूप से विवाह से संबंधित मामलों में, प्रत्येक व्यक्ति का अंतर्निहित अधिकार है। अदालत ने एक जोड़े को पुलिस सुरक्षा प्रदान करते हुए यह टिप्पणी की, जिन्होंने अपने परिवार की इच्छा के विरुद्ध मुस्लिम रीति-रिवाजों और समारोहों के अनुसार 6 अक्टूबर को शादी की थी। जब यहां पार्टियां दो सहमति वाले वयस्क हैं जिन्होंने स्वेच्छा से विवाह के माध्यम से हाथ मिलाने के लिए सहमति व्यक्त की है, तो कोई बाधा नहीं होनी चाहिए। ऐसी स्थिति में समाज, माता-पिता, रिश्तेदार कोई भी बाधा नहीं बन सकता है। अदालत ने ये भी कहा कि यहां पार्टियों के जीवन में हस्तक्षेप करने के लिए किसी के पास कुछ भी नहीं बचा है।
 
बता दें कि अदालत ने एक दंपति द्वारा परिवार के सदस्यों की ओर से मिली धमकियों के खिलाफ सुरक्षा की मांग करते हुए अदालत का रुख किया था और अदालत से मदद मांगी थी। उनका मामला था कि उस व्यक्ति के परिवार के सदस्यों को गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी जा रही थी।

Loading

Back
Messenger