यदि आप हिंदूवाद जिसे अंग्रेजी में हिंदुइज्म कहते हैं, इस शब्द का प्रयोग करते हैं तो यह गलत है क्योंकि इसका अर्थ सनातन धर्म की सही छवि नहीं प्रकट करता लेकिन यदि आप हिंदू और हिंदुत्व शब्द का उपयोग करते हैं तो यह एकदम सही है। आजकल देखने को मिल रहा है कि सनातन धर्म की छवि खराब करने के लिए तमाम तरह के षड्यंत्र रचे जा रहे हैं और पौराणिक ग्रंथों में लिखी गयी बातें तथा इतिहास के घटनाक्रमों को अलग दृष्टि से प्रस्तुत कर हिंदू धर्म पर हमला किया जा रहा है। इन्हीं सब मुद्दों पर चिंतन करने के लिए इस समय थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में विश्व हिंदू कांग्रेस का आयोजन किया जा रहा है।
विश्व हिंदू कांग्रेस का घोषणापत्र
इस कार्यक्रम में देश-दुनिया के तमाम हिंदू विचारक और बुद्धिजीवी अपने विचार रख रहे हैं। विश्व हिंदू कांग्रेस में जो बड़े फैसले लिये गये हैं उसके तहत सनातन धर्म को संदर्भित करने के लिए हिंदुत्व और हिंदू धर्म शब्दों को अपनाया गया है। इसके साथ ही, हिंदूवाद (हिंदुइज्म) शब्द त्यागने का तर्क देते हुए कहा गया है कि यह शब्द दमन और भेदभाव को दर्शाता है। तीसरी विश्व हिंदू कांग्रेस (डब्ल्यूएचसी) ने एक घोषणापत्र को अंगीकार किया जिसमें कहा गया है कि हिंदुत्व शब्द अधिक सटीक है क्योंकि इसमें हिंदू शब्द के सभी अर्थ शामिल हैं। विश्व हिंदू कांग्रेस के घोषणापत्र में कहा गया, ‘‘हिंदू धर्म शब्द में पहला शब्द अर्थात् हिंदू एक असीमित शब्द है। यह उन सभी का प्रतीक है जो सनातन या शाश्वत है। और फिर धर्म है, जिसका अर्थ है वह, जो कायम रखता है।’’ घोषणापत्र में कहा गया है कि इसके विपरीत, हिंदूवाद (हिंदुइज्म) पूरी तरह से अलग है क्योंकि इसमें ‘‘इज्म’’ जुड़ा हुआ है, जो एक दमनकारी और भेदभावपूर्ण दृष्टिकोण या विश्वास के रूप में परिभाषित शब्द है। घोषणापत्र में कहा गया है, ‘‘इसी वजह से हमारे कई बुजुर्गों ने हिंदूवाद की तुलना में हिंदुत्व शब्द को प्राथमिकता दी क्योंकि हिंदुत्व अधिक सटीक शब्द है, इसमें हिंदू शब्द के सभी अर्थ शामिल हैं। हम उनसे सहमत हैं और हमें भी ऐसा ही करना चाहिए।’’ घोषणापत्र में कहा गया कि हिंदुत्व कोई जटिल शब्द नहीं है और इसका सीधा सा मतलब हिंदू से संबंधित है। घोषणापत्र में कहा गया, ‘‘अन्य लोगों ने विकल्प के तौर पर ‘‘सनातन धर्म’’ का उपयोग किया है, जिसे संक्षिप्त में अक्सर सनातन कहा जाता है। यहां सनातन शब्द हिंदू धर्म की शाश्वत प्रकृति को इंगित करने वाले विशेषण के रूप में काम करता है।’’ घोषणापत्र में कहा गया कि कई शिक्षाविद और बुद्धिजीवी अज्ञानतावश हिंदुत्व को हिंदू धर्म के विपरीत के तौर पर चित्रित करते हैं। घोषणापत्र में कहा गया, ‘‘लेकिन अधिकांश लोग हिंदू धर्म के प्रति अपनी गहरी नफरत और पूर्वाग्रहों के कारण हिंदुत्व विरोधी हैं। राजनीतिक एजेंडे और व्यक्तिगत पूर्वाग्रहों से प्रेरित कई नेता भी उस समूह में शामिल हो गए हैं और कटुता के साथ सनातन धर्म या सनातन की आलोचना कर रहे हैं।’’ विश्व हिंदू कांग्रेस ने ऐसी आलोचना की निंदा की और दुनिया भर के हिंदुओं से आग्रह किया कि वे इस तरह की कट्टरता में शामिल लोगों पर काबू पाने के लिए एकजुट हों और विजयी बनें। हम आपको बता दें कि यह घोषणापत्र ऐसे समय अपनाया गया है, जब कुछ समय पहले द्रमुक नेताओं ने ‘सनातन का उन्मूलन’ विषय पर एक संगोष्ठी में सनातन धर्म के बारे में कुछ विवादास्पद टिप्पणियां की थीं।
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आरएसएस नेताओं के संबोधन पर एक नजर
हम आपको यह भी बता दें कि विश्व हिंदू कांग्रेस के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारत दुनिया को खुशी और संतुष्टि का रास्ता दिखाएगा जो भौतिकवाद, साम्यवाद और पूंजीवाद के प्रयोगों से लड़खड़ा रही है। उन्होंने दुनिया भर के हिंदुओं से एक-दूसरे तक पहुंचने और एक साथ दुनिया से जुड़ने की अपील की। उन्होंने दुनियाभर से आए विचारकों, कार्यकर्ताओं, नेताओं और उद्यमियों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘हमें हर हिंदू तक पहुंचना होगा, संपर्क साधना होगा। सभी हिंदू मिलकर दुनिया में सभी से संपर्क साधेंगे। हिंदू अधिक से अधिक संख्या में जुड़ रहे हैं और दुनिया के साथ जुड़ने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।’’ वहीं आरएसएस के नेता दत्तात्रेय होसबाले ने हिंदू समुदाय की आवाज को प्रभावी ढंग से उठाने के लिए विभिन्न हिंदू संगठनों के बीच बेहतर समन्वय की जोरदार वकालत करते हुए कहा कि संगठनों की भिन्नता के कारण ही कई देशों में हिंदू लोग अलग-थलग हो गए हैं। थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में विश्व हिंदू कांग्रेस को संबोधित करते हुए आरएसएस महासचिव होसबाले ने कहा कि समाज के सामने मुंह बाए खड़ी चुनौतियों को हल करने के लिए विश्व स्तर पर हिंदू संगठनों का मजबूत होना समय की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भाषा, पंथ, जाति, उपजाति और गुरुओं के आधार पर विश्व के कई हिस्सों में कई संघ, संगठन और फोरम बन गए हैं तथा एक-दूसरे के कार्यों को नुकसान पहुंचाने का काम कर रहे हैं। होसबाले ने कहा, ‘सगंठनों की इस भिन्नता के कारण हिंदू खो गया है। बड़े उद्देश्य को नहीं भूलना चाहिए। बहुत बार हिंदू समाज की भिन्नता के कारण कई स्थानों पर फूट पैदा हुई है।’ उन्होंने हिंदू समाज की आवाज को प्रभावी तरीके से उठाने के वास्ते मतभेदों और विरोधाभासों को दूर करने के लिए संगठनों के बीच बेहतर समन्वय का आह्वान किया। होसबाले ने कहा, ‘हिंदू संगठनों को आपस में जानकारी साझा करनी होगी, बेहतर समन्वय स्थापित करना होगा, आपस में सहयोग करना होगा और नकल से बचना होगा। दोहराव आपको कहीं नहीं ले जाएगा।’
सम्मेलन में भाग लेने वाली विभूतियां
हम आपको बता दें कि वर्ल्ड हिंदू फाउंडेशन के संस्थापक और वैश्विक अध्यक्ष स्वामी विज्ञानानंद ने शंख बजाकर सम्मेलन की शुरुआत की। इसमें 60 से अधिक देशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। आध्यात्मिक नेता माता अमृतानंदमयी देवी, विश्व हिंदू परिषद के महासचिव मिलिंद परांडे, आयोजन समिति के अध्यक्ष सुशील सराफ, भारत सेवाश्रम संघ के कार्यकारी अध्यक्ष स्वामी पूर्णात्मानंद, हिंदू धर्म टुडे-यूएसए के प्रकाशक सतगुरु बोधिनाथ वेयलानस्वामी, अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन तथा विचारक और अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय सहित अन्य ने हिस्सा लिया। भारत के पीआईएल मैन के रूप में पहचाने जाने वाले अश्विनी उपाध्याय ने अपने संबोधन के माध्यम से जहां हिंदुत्व शब्द की संपूर्ण व्याख्या की वहीं सनातन धर्म के समक्ष खड़ी चुनौतियों का जिक्र करते हुए समाधान का मार्ग भी सुझाया।