उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में शिवलिंग का लगातार क्षरण (नुकसान) हो रहा है। यही कारण है कि आम जनता और भक्तों के लिए गर्भगृह में प्रवेश बंद किया गया है। इसी बीच जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की टीम ने भी इस शिवलिंग की मॉनिटरिंग शुरू कर दी है। इस मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की टीम को करनी है, जिसने मंदिर परिसर का जायजा लिया है।
टीम ने निरीक्षण किया और मंदिर परिसर से पूजन सामग्री के सैंपल इकट्ठे किए है। निरीक्षण के दौरान टीम ने मंदिर समिति को किसी तरह की हिदायत नहीं दी है। इस संबंध में जीएसआई भोपाल ऑफिस के डायरेक्टर आरएस शर्मा का कहना है कि उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर और महाकालेश्वर शिवलिंग की जांच में सबसे पहले दरारों का अध्ययन किया गया है। इस अध्ययन की रिपोर्ट का मिलान पिछली रिपोर्ट से किया जाएगा। जांच करने के लिए मशीनों से टेस्ट भी किए गए है।
टीम की मानें तो टीम ने शिवलिंग पर चढ़ाई गई पूजा सामग्री, फूल, श्रृंगार सामग्री, दही, भांग, जल आदि के सैंपल को इकट्ठा किया है। आरओ के जल द्वारा होने वाले अभिषेक का भी सैंपल लिया गया है। अब इन सभी सैंपल की जांच लैबोरेट्री में की जाएगी। लैब में टेस्ट होने के बाद इसकी रिपोर्ट जीएसआई को सौंपी जानी है। बता दें कि महाकाल मंदिर में पहले भी एएसआई और जीएसआई की टीम जांच कर चुकी है।
जानकारी के मुताबिक महाकाल मंदिर में समिति सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के मुताबिक ही आरओ के पानी से ही भगवान के शिवलिंग पर जल अर्पित करते है। हर गाइडलाइन का नियमित रुप से पालन किया जा रहा है। महाकाल मंदिर के प्रशासन का कहना है कि वर्तमान में जीएसआई की टीम ने किसी तरह की नई गाइडलाइंस जारी नहीं की है। बता दें कि इससे पहले दिसंबर 2022 में जीएसआई की टीम ने शिवलिंग की स्थिति का जायजा लिया था। इसमें ये पाया गया था कि वर्ष 2021 में जो सुझाव दिए गए थे उनका पालन नहीं किया गया है, जिससे ज्योतिर्लिंग को नुकसान हो रहा है।