रामानंद सागर की ‘रामायण’ ने वाल्मीकि की रामायण से प्रेरणा ली, लेकिन उनकी कल्पना ने उठान भर ली। धारावाहिक अक्सर अपने सौंदर्यशास्त्र में मेलोड्रामैटिक और ओवर-द-टॉप था, लेकिन धारावाहिक महाकाव्य ने दर्शकों का ध्यान सप्ताह दर सप्ताह खींचा। रामानंद सागर की ‘रामायण’ के 78 एपिसोड्स प्रसारित हुए थे और हर एपिसोड 35 मिनट का होता था। इस सीरियल को पहले एपिसोड से ही दर्शकों का ढेर सारा प्यार मिला। दावा किया जाता है कि रामायण के एक एपिसोड को नौ लाख रुपये में तैयार किया जाता था और इस एक एपिसोड से ही मेकर्स को 40 लाख रुपये की कमाई होती थी। वहीं, पूरी कमाई को जोड़ा जाए तो यह लगभग 30 करोड़ से ज्यादा बैठती थी। जैसे ही 1980 के दशक में मध्यवर्गीय भारतीयों के रहने वाले कमरे में टेलीविजन हावी होने लगा, महाकाव्य रामायण पर आधारित एक धारावाहिक राज्य द्वारा संचालित दूरदर्शन चैनल पर प्रसारित किया गया। यह इतना लोकप्रिय हो गया कि जैसे ही शाम के समय यह टीवी पर प्रसारित होता पूरा मोहल्ला टेलीविजन की स्क्रीन के सामने इकट्ठा हो जाता था। लोग काम छोड़ देते थे और शो देखने के लिए समय पर घर पहुंच जाते थे। यकीन मानिए महौल कुछ ऐसा होता था कि शो के प्रसारित होने पर सड़कें सुनसान हो जाती थीं। कुछ अनुमानों के अनुसार, आठ में से एक भारतीय ने शो देखा, और विज्ञापनदाताओं ने स्लॉट भरने के लिए दौड़ लगा दी। रामानंज सागर की रमायण को उत्तर और दक्षिण भारत दोनों में दर्शकों की संख्या के रिकॉर्ड को तोड़ दिया।
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रामायण की ‘सच्चाई’ इसकी कास्ट
एक नजरिये से देखा जाए तो तमाम तकनीक आने के बाद भी रामानंद सागर जैसी रामायण आज तक दूसरी नहीं बन सकी। आखिर क्या है इसका कारण कि रामानंद सागर जैसी रामायण आज तक क्यों नहीं बनीं? इसका सबसे बड़ा कारण है ‘सच्चाई’। रामानंद सागर की रामायण मुख्य रूप से वाल्मीकि के रामायण और तुलसीदास के रामचरितमानस पर आधारित है। इसमें उन्होंने किसी भी तरह की कोई काट-छाट नहीं की। राम के सच्चे चरित्र को टीवी पर प्रस्तुत किया।
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इसके अलावा रामायण की दूसरी ‘सच्चाई’ इसकी कास्ट थी। रामायण के पात्र भले ही इस शो के बाद फिल्मों में सफल न रहे हो लेकिन जिस इमानदारी से और सच्चाई से कास्ट ने अभिनय किया था, ये चीज आज किरदारों में नजर नहीं आती। उस समय कोई तकनीक नहीं थी लेकिन नकली ग्राफिक्स के बाद भी रामायण पूरी तरह से असली थी। इसका पूरा क्रेटिड निर्देशक और कलाकारों पर जाता है। रामानंद सागर का शानदार निर्देशन और कलाकारों का साथ इस ऐतिहासिक शो को अनमोल बनाता है।
रामानंद सागर थे सच्चे राम भक्त
रामानंद सागर अपने आपको रामभक्त कहते थे। कहा जाता है कि लोकप्रिय रामायण का उन्होंने लवकुश कांड काफी लंबे ब्रेक के बाद बनाया था। एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने बताया था कि सीता मां को वन भेजने के श्री राम के निर्णय को वह स्वीकार नहीं पा रहे थे, लेकिन जब उन्होंने रामायण का गहन किया और लगातार लोगों की बढ़ती मांग के बाद उन्होंने रामायण का लवकुश कांड बनाया।
आखिर यह इतनी मशहूर और लोकप्रिय कैसे हुई। इसके पीछे हैं राम भक्त रामानंद सागर की सच्ची भक्ति। रामानंद सागर ने बिना कोई काल्पनिक या वैचारिक तत्व को जोड़ा रामायण बनाई। उन्होंने रामायण की कास्ट के लिए खुद चुन-चुन को ऑडिशन लिए और उनमें से हीरे चुने। धारावाहिक के निर्माता रामानंद सागर ने वाल्मीकि की रामायण से प्रेरणा ली। धारावाहिक अक्सर अपने सौंदर्यशास्त्र में मेलोड्रामैटिक और ओवर-द-टॉप था, लेकिन धारावाहिक महाकाव्य ने दर्शकों का ध्यान सप्ताह दर सप्ताह खींचता रहा।
रामायण ने पहुंचाया था राजनीतिक पार्टियों को भा पहुंचाया फायदा?
रामानंद सागर की रामायण को कांग्रेस सरकार द्वारा हिंदू वोटों को भुनाने की उम्मीद में इसे प्रसारित किया गया था, लेकिन इसने संघ परिवार को लाभ पहुंचाया, जो उस समय राम जन्मभूमि आंदोलन के प्रचार में व्यस्त था। रामानंद सागर की रामायण ने हिंदू राष्ट्रवाद की नींव रखी और भारत में सार्वजनिक क्षेत्र को अपरिवर्तनीय रूप से बदल दिया। इसने बजरंग दल के सैकड़ों युवा रंगरूटों के लिए एक चुंबक के रूप में कार्य करके राम जन्मभूमि आंदोलन में योगदान दिया।
इसने महाकाव्य को रोजमर्रा की जिंदगी के करीब ला दिया और राम की जन्मभूमि का एक विचार पेश किया जो राम जन्मभूमि अभियान के अनुरूप था। एक प्रागैतिहासिक स्वर्ण युग की याद दिलाते हुए, धारावाहिक ने सार्वजनिक कल्पना में हिंदू राष्ट्रवाद के चरित्र को हमेशा के लिए बदल दिया।
राम जन्मभूमि आंदोलन का वास्तविक अभियान हिंदी भाषा के प्रिंट माध्यम से किया गया था, लेकिन टेलीविजन ने इसके लिए सटीक गुलेल प्रदान किया। रामायण के बाद अगले साल महाभारत हुई, जिसने पॉप संस्कृति में हिंदुत्व के लिए टोन सेट किया।