जुल्फिकार अली भुट्टो और दिलीप कुमार से लेकर बाल ठाकरे तक, ब्यूटी क्वीन मधुबाला ने अपनी खूबसूरती और मुस्कान से सभी को दीवाना बनाया। 14 फरवरी, 1933 को जन्मी मधुबाला का कभी भी फिल्म इंडस्ट्री में आने का इरादा नहीं था।बचपन से ही उनके दिल में छेद था और डॉक्टरों ने उन्हें जितना हो सके आराम करने की सलाह दी थी। हालांकि, आर्थिक तंगी के कारण उन्हें फिल्मी दुनिया में धकेल दिया गया।
1. पिता द्वारा साइन किए गए फिल्म कॉन्ट्रैक्ट
अपनी किताब में फिल्म पत्रकार अजय कुमार शर्मा ने लिखा है कि मधुबाला के लिए ज्यादातर नए फिल्म कॉन्ट्रैक्ट उनके पिता अताउल्लाह खान द्वारा साइन किए जाते थे, जो बहुत जिद्दी और अड़ियल थे। उनके कॉन्ट्रैक्ट में अक्सर सेट पर बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक लगाने वाला सख्त क्लॉज शामिल होता था।
2. जब अताउल्लाह खान को गुस्सा आया
साल 1950 में आई फिल्म निराला में मधुबाला देव आनंद और मजहर खान के साथ प्रमुख भूमिकाओं में थीं। एक दिन, मजहर खान ने मधुबाला के अनुबंध में निर्दिष्ट खंड के बारे में जाने बिना कुछ मेहमानों को शूटिंग देखने के लिए आमंत्रित किया। जब मधुबाला के पिता अताउल्लाह खान को मजहर खान के मेहमानों के बारे में पता चला, तो उन्होंने गुस्से में निर्देशक एम. सादिक से बात की।
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3. जब मजहर खान का बचाव हुआ
नतीजतन, मेहमानों को सेट पर प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई, और फिल्म की शूटिंग अस्थायी रूप से रोक दी गई। मजहर खान खुद मधुबाला के पास गए और अपने मेहमानों को अंदर जाने की अनुमति मांगी, लेकिन उन्होंने दृढ़ता से मना कर दिया।
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मधुबाला ने जवाब दिया, “अब्बा (पिता) जो कहेंगे, वही होगा। अन्यथा, मैं शूटिंग छोड़ दूंगी।” इस कथन ने मजहर खान को बहुत आहत किया। हालांकि, इस घटना की खबर जंगल की आग की तरह तेजी से फैल गई। कुछ पत्रकारों ने इस बारे में मधुबाला से सीधे बात करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने उनसे उचित तरीके से बात नहीं की।
4. पत्रकारों का गुस्सा
अजय शर्मा ने लिखा कि इस घटना से पत्रकारों का गुस्सा भी फूट पड़ा। भारत और पाकिस्तान के पत्रकारों ने मिलकर इंडो-पाक जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन का गठन किया और मूवी टाइम्स पत्रिका के संपादक बी.के. करंजिया को इसका सचिव नियुक्त किया।
संगठन ने तय किया कि जब तक अताउल्लाह खान और मधुबाला दोनों पत्रकारों से माफ़ी नहीं मांग लेते, तब तक वे मधुबाला की तस्वीरें, उनकी फिल्मों के विज्ञापन या साक्षात्कार अपने अख़बारों और पत्रिकाओं में प्रकाशित नहीं करेंगे।
इस दौरान मधुबाला को धमकी भरे फ़ोन आने लगे, जिनमें उन्हें अगवा करने की धमकी देने वाले लोग शामिल थे। इन धमकियों से परेशान होकर मधुबाला ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई से मुलाक़ात की। जवाब में प्रधानमंत्री के निर्देश पर उन्हें निजी सुरक्षा गार्ड दिए गए, जो 24 घंटे उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करते थे।
5. पत्रकारों से माफ़ी मांगी
पूरा विवाद एक साल तक चलता रहा। एक साल बीतने के बाद मधुबाला के पिता अताउल्लाह खान को लगा कि इससे उनकी बेटी की लोकप्रियता पर असर पड़ रहा है। आख़िरकार बी.के. करंजिया के बंगले पर मधुबाला और उनके पिता ने पत्रकारों से माफ़ी मांगी और पूरा मामला सुलझाया।
इस समझौते के अगले ही दिन मधुबाला ने बांद्रा स्थित अपने बंगले पर पत्रकारों के लिए एक भव्य पार्टी का आयोजन किया।