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Happy Birthday Gulzar: शब्दों के जादूगर गुलजार मना रहे 90वां जन्मदिन, जानिए कुछ रोचक बातें

आज यानी की 18 अगस्त को मशहूर गीतकार और फिल्मकार गुलजार अपना 90वां जन्मदिन मना रहे हैं। गुलजार एक ऐसी शख्सियत हैं, जिनके बारे में कुछ लिखना थोड़ा मुश्किल लगता है। आप गुलजार की सक्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह दशकों से बिना थके बिना रुके गाने लिख रहे हैं। आइए जानते हैं कि उनके बर्थडे के मौके पर गुलजार के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में…
जन्म और परिवार
पाकिस्तान के झेलम जिले के दीना गांव में 18 अगस्त 1934 को गुलजार का जन्म हुआ था। उनका पूरा नाम संपूर्ण सिंह कालरा है। वह कॉलेज के दिनों से ही सफेद कपड़े पहन रहे हैं। साथ ही उनको बचपन से लिखने का काफी शौक था, लेकिन गुलजार के पिता को यह पसंद नहीं था। भारत-पाकिस्तान के बंटवारे में गुलजार का परिवार भारत आकर बस गया। बंटवारे का दर्द गुलजार की शायरी में भी देखने को मिलता है। 
दिल्ली की गलियां और ग़ालिब
कभी पुरानी दिल्ली में शायरी का खूब माहौल जमता था। महीन कहने वाले तो जहीन सुनने वाले होते थे। गुलजार की आंखों के सामने वह दौर गुजरा तो, वह सब उनकी शायरी में भी नजर आया। गुलजार साहब का बचपन दिल्ली में गुजरा है। उन्होंने अपने बचपन को इस अंदाज से जिया कि वह आज भी उनके जहन में बसा है। यही कारण है कि उनकी नज्मों, गजलों और फिल्मी गीतों में दिल्ली की गलियों का जिक्र मिलता है।
करीब डेढ़ दशक पहले अमिताभ बच्चन, अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्य बच्चन की फिल्म ‘बंटी बबली’ में ‘कजरारे-कजरारे’ गीत में ‘बल्लीमारान की गलियों’ का जिक्र मिलता है। गुलजार ने इस गीत के शब्दों को कुछ इस अंदाज में बुना है कि यह सुनने वालों के कानों में शहद की तरह घुल जाता है।
आवाज में है जादू
बता दें कि गुलजार ने साल 1963 में आई बिमल रॉय की फिल्म ‘बंदिनी’ से बतौर फिल्मी गीतकार सफर शुरू किया था। जब भी गीतों और विज्ञापनों में गुलजार साहब के हिंदी और उर्दू के शब्दों में संवाद सुनने को मिलते हैं। तो दिल खुश हो जाता है और गुलजार की बातें भी किसी जादू से कम नहीं लगती हैं। यह उनकी आवाज का जादू है कि 18 साल का जवान और 80 साल का बुजुर्ग दोनों साथ में मिलकर सुन सकते है और सराहते हैं।

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