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Adipurush Controversy पर बोले मुकेश खन्ना, कहा- आदिपुरुष इस सदी का सबसे भद्दा मज़ाक़ है,बॉलीवुड को सख्त संदेश देने की जरूरत

आदिपुरुष ने बहुत कम भारतीय फिल्मों की तरह सोशल मीडिया के गुस्से को आमंत्रित किया है। कुछ आलोचकों द्वारा गेम ऑफ थ्रोन्स और मार्वल्स से प्रेरित दिखने वाले रामायण के आधुनिक संस्करण की हर तरफ आलोचना हो रही है। जहां वीकेंड पर प्रभास के स्टारडम ने 350 करोड़ रुपये के रिटर्न की गारंटी दी वहीं सोमवार से फिल्म का डूबना शुरू हो गया है। यह किसी भी फिल्म की अहम कसौटी होती है, क्योंकि आम जनता ही तय करती है कि कोई फिल्म हिट होगी या फ्लॉप।
 
अभिनेता मुकेश खन्ना ने आदिपुरुष पर मचे हंगामे को लेकर बात की। अभिनेता मुकेश खन्ना ने हमें बताया, “वे कमाई के आंकड़े दिखा रहे हैं। आंकड़ों का वास्तविक प्रमाण कहां है? वे केवल बॉक्स ऑफिस के प्रति जुनूनी हैं। यह कोई वास्तविक कमाई नहीं है। उन्होंने कई लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है।”
मुकेश खन्ना ने कहा कि भारत एक हिंदू राष्ट्र है और ऐसी गलतियां दोबारा नहीं होनी चाहिए। मुझे लगता है कि सांसदों और जनता को टीम को एक कड़ा संदेश देना चाहिए। आप लोगों की धार्मिक भावनाओं के साथ नहीं खेल सकते। हिंदू धर्म में लचीलापन है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचाई जाए। मुझे लगता है कि लोगों को एक साथ आना चाहिए और उन्हें सबक सिखाना चाहिए। ताकि आने वाले समय में अन्य फिल्म निर्माता इतना आक्रामक कुछ करने से पहले सौ बार सोचेंगे
 

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मुकेश खन्ना ने कहा कि रामायण एक खास तरीके से बताने के लिए है। उन्होंने कहा कि ये कहानी भारत का बच्चा-बच्चा जानता है। प्रत्येक दशहरे पर शहरों और गाँव में राम लीला होती है। बच्चे जाते हैं और नाटक देखते हैं। क्या वे सोचते हैं कि बच्चे मूर्ख हैं जो रामायण की कहानी और उसके द्वारा प्रस्तुत मूल्यों को नहीं जानते हैं। निर्माताओं ने लोगों को मूर्ख और अज्ञानी मान लिया है। मुकेश खन्ना का कहना है कि रामायण हिंदुओं के लिए परिवार के साथ रहने की पाठ्यपुस्तक है। यह वादों, प्रतिबद्धता, वफादारी, भाईचारे और न जाने क्या-क्या के बारे में है। वह कहते हैं, ‘महाभारत हमें बताता है कि हमें अपने जीवन में क्या नहीं करना चाहिए।” उन्होंने रामायण में हिरण्य कश्यप के उल्लेख की भी आलोचना की।
 

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ओजी रामायण के सुनील लहरी ने भी इसी तरह की भावनाएं व्यक्त कीं। दोनों अभिनेताओं का मानना है कि महाकाव्य का यह विरूपण हिंदुओं के लोकाचार के लिए हानिकारक है।
 
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