बलिया, संवाद सूत्र। उत्तर प्रदेश के कई इलाके बाढ़ से ग्रस्त हैं तो कई इलाके ऐसे हैं जहां किसानों को बारिश का इंतजार है। किसान आसमान की ओर टकटकी लगा कर बैठे हैं। सावन में 24 दिन गुजर चुके हैं, लेकिन लोगों को अभी भी इंद्रदेव के मेहरबान होने का इंतजार है। बरसात न होने से फसलें सूखने के कगार पर हैं। पिछले दिनों बरसात हुई थी। ऐसे में किसानों ने खेत में बुवाई करा ली थी, लेकिन इस बार बारिश न होने से किसानों की चिंता बढ़ गई है। इस बार खरीफ की फसल उगने के बाद बरसात नहीं हुई है। इस समय मक्के व धान की फसल प्रभावित है। हर दिन मौसम बदल रहा है। लेकिन बरसात नहीं हो रही। दिन में अधिकतम तापमान तो बढ़ रहा है वहीं रात के तापमान में भी बढ़ोतरी हो रही है। फसलें सूख रहीं हैं। उमस के कारण फसलों में कीट उत्पन्न हो गए हैं। किसान लगातार कीटनाशक का छिड़काव कर रहे है ताकि इससे निजात मिल जाए। गर्मी और उमस के बीच इंद्र देव ने फेरा मुंह पिछले दस दिनों से तापमान स्थिर है। कभी एक डिग्री बढ़ जाता है तो कभी एक डिग्री घट भी रहा है, लेकिन इतना नहीं है कि कुछ राहत मिल सके। बारिश के मुंह फेरने से खरीफ की खेती पर संकट मंडराने लगा है। अधिकांश किसान अभी धान की रोपाई नहीं कर पाए हैं। जिले में 8208 हेक्टेयर में धान की नर्सरी डाली गई थी। 60 प्रतिशत किसान धान की रोपाई कर दिए हैं, लेकिन अभी भी 40 प्रतिशत किसान बारिश का इंतजार कर रहे हैं। कम बारिश से किसान चिंतित जुलाई में बारिश 79 मिली मीटर के सापेक्ष सिर्फ 34 मिली मीटर ही हो पाई है। ऐसे में जो किसान धान की रोपाई करा दिए हैं, उनकी फसल भी सिंचाई के अभाव में ठीक हाल में नहीं हैं। सिंचाई के अभाव में खेतों में दरार पड़ रही है। इस साल खरीफ की खेती का लक्ष्य 1.67 लाख 293 हेक्टेयर रखा गया है। इसमें धान की खेती 1.23 लाख 127 हेक्टेयर, मक्का 32037 हेक्टेयर, ज्वार 1947 हेक्टेयर, बाजरा 1847 हेक्टेयर, अरहर 7852 हेक्टेयर, मूंगफली 331 हेक्टेयर और मूंग की खेती 112 हेक्टेयर में होगी। खरीफ के सीजन में सबसे ज्यादा धान की खेती ही होती है। दूसरे स्थान पर मक्के की खेती होती है। मक्का की खेती द्वाबा क्षेत्र में ज्यादा होती है। मक्का की खेती के लिए भी मौसम अच्छा नहीं हो रहा है।