जागरण संवाददाता बलिया। Holi 2024: केमिकलयुक्त रंग कभी-कभी होली को बदरंग कर देता है। अधिसंख्य लोग चर्म और स्वांस रोग से ग्रसित हो जाते हैं। ऐसे में प्राकृतिक रंग को लेकर लोगों का रुझान लगातार बढ़ता जा रहा है। जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय की गृह विज्ञान की छात्राएं चुकंदर और पालक की रस से हर्बल गुलाल तैयार करती हैं। वह होली के पहले से ही इसकी तैयारी करने में जुट जाती हैं। प्राकृतिक रंग तैयार कर परिसर के अंदर ही स्टाल लगाती हैं। महाविद्यालय के युवक-युवतियों के अलावा आसपास गांव के लोग एवं अधिकारी भी खरीद करने आते हैं। गृह विज्ञान विभाग की ओर से होली पर हर्बल गुलाल के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए आरारोट, टेलकम पाउडर, इत्र, गुलाब जल तथा विभिन्न रंगों के लिए हल्दी पाउडर, चुकंदर, पालक का रस, गेंदे का फूल, गुलाब का फूल तथा खाद्य रंगों का प्रयोग किया जा रहा है। यह भी पढ़ें: Ballia: रंगभरी एकादशी पर बाबा बालेश्वर मंदिर में उड़े अबीर-गुलाल, विधि-विधान से हुआ मां पार्वती का गौना; भक्तों की उमड़ी भीड़ हर्बल गुलाल के प्रयोग से त्वचा संबंधी परेशानियां से बचाव होगा। इसमें किसी भी तरह का रासायनिक पदार्थ नहीं मिलाया गया है। इससे बाल और आंखों को भी नुकसान नहीं पहुंचेगा। यह पानी से धोने पर आसानी से छूट जाएगा। इस काम में विभाग की शिक्षक डा. रंजना मल्ल, डा. तृप्ति तिवारी, सौम्या तिवारी तथा डा. संध्या के नेतृत्व में छात्राएं काम कर रही हैं। ऐसे होता है तैयार लाल गुलाल बनाने के लिए गुड़हल के फूलों का प्रयोग किया गया है। इसे बनाने के लिए गुड़हल के फूलों को अच्छे से धोकर धूप में सुखाया गया। इसके बाद मिक्सर ग्राइडर मे पीस लिया गया। इसके बाद इसे आरारोट पाउडर के साथ मिलाकर इसमें सुगंध के लिए इत्र और गुलाब जल मिलाया गया। इस तरह से हर्बल गुलाल तैयार होता है। पीला गुलाल के लिए हल्दी, हरा गुलाल के लिए पालक का रस और गुलाबी गुलाल बनाने के लिए चुकंदर का प्रयोग किया जा रहा है। डा. रंजना ने बताया कि हर्बल गुलाल कोई भी घर पर तैयार कर सकता है। यह भी पढ़ें: बलिया: सामूहिक विवाह योजना के फर्जीवाड़ा ने रोक दी 355 बेटियों की शादी, 1640 का था लक्ष्य; बिचौलियों ने योजना में लगा दी सेंध