जागरण संवाददाता बलिया। ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे निर्माण में पेंच फंस गया है। मिट्टी खनन की अनुमति न मिलने पर निर्माण का रफ्तार मंद पड़ गया है। बलिया में ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे की लंबाई 82 किमी है। इसकी लागत 5500 करोड़ रुपये अनुमानित है। इसमें 2700 करोड़ रुपये सड़क निर्माण पर खर्च होंगे और 2800 करोड़ रुपये भूमि अधिग्रहण पर खर्च करने की योजना है। इसे जून 2025 तक पूरा कर लेने का लक्ष्य रखा गया है। हकीकत यह है कि जिस रफ्तार से काम चल रहा है, अंदाजा लगाया जा रहा है कि समय से काम किसी भी दशा में पूर्ण नहीं हो सकेगा। इसमें सबसे अधिक समस्या मिट्टी एवं बालू का है। इसके लिए अभी तक अनुमति नहीं मिल पाई है। निर्माण एजेंसी की ओर से 47 आवेदन खनन विभाग में लंबित हैं। इसके पीछे कारण आचार संहिता बताया जा रहा है। मांझी से गाजीपुर की सीमा तक कराया जा रहा निर्माण ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस वे का निर्माण बिहार के मांझी से गाजीपुर की सीमा तक कराया जा रहा है। शुरूआती दौर में निर्माण कार्य में जो तेजी आई वह मंद पड़ गई है। अभियंता भी अब चुनाव का बहाना बनाकर उदासीन हो गए हैं। सड़क निर्माण के लिए मिट्टी की जरूरत है। मिट्टी मिक्स बालू आदि की भराई की जाती है। शासन की ओर से मिट्टी खनन पर प्रतिबंध हटा लिया है इसके बाद भी अनुमति के लिए आवेदन अथवा उच्चाधिकारियों को सूचना देना होता है। जानकारों का कहना है कि मिट्टी भराई का काम बारिश के पहले ही हो जाना चाहिए। इसके बाद तो गंगा तटवर्ती क्षेत्र में जाना भी मुश्किल भरा होगा। जब तक मिट्टी की भराई नहीं होती है तब तक सड़क निर्माण कार्य किया जाना संभव नहीं है। ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे के लिए मिट्टी खनन की 47 फाइल अनुमति के लिए तैयार हैं। आचार संहिता होने के कारण उसकी अनुमति नहीं मिल पाई है। फाइल में तहसीलों से भी रिपोर्ट प्राप्त हो चुकी है। वैसे शासन की ओर से विकास कार्यों के लिए खेत से मिट्टी निकालने का कार्य खनन की श्रेणी में नहीं आता है। जितेश कुमार, खनन अधिकारी। इसे भी पढ़ें: सपा ने कौशांबी-कुशीनगर सीट पर प्रत्याशियों का किया एलान, सभी अटकलों पर लगा विराम