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Autism in Children: बच्चों के दिमाग को बुरी तरह से प्रभावित कर सकता है ऑटिज्म डिसऑर्डर, ऐसे पहचानें लक्षण

ऑटिज्म डिसऑर्डर नर्व और विकास से जुड़ी बीमारी को एक दिमागी बीमारी माना जाता है। इसको ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार भी कहा जाता है, जो कि एक न्यूरोलॉजिकल बीमारी है। इस बीमारी से बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। इस बीमारी से ग्रसित बच्चों का व्यवहार बुरी तरह से प्रभावित होता है। बच्चों में बाल अवस्था से ही इसके लक्षण नजर आने लगते हैं।
 
वर्तमान समय में शिशुओं में ऑटिज्म डिसऑर्डर का जोखिम अधिक बढ़ गया है। जिसका सबसे बड़ा और मुख्य कारण प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं क अनहेल्दी लाइफस्टाइल और पोषण की कमी है। आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको छोटे बच्चों में ऑटिज्म होने की वजहों के बारे में बताने जा रहे हैं।

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फोलिक एसिड
प्रेग्नेंसी के दौरान फोलिक एसिड की कमी से जीन अभिव्यक्ति और न्यूरल ट्यूब विकास में समस्या बन सकती है। इससे होने वाले शिशु ऑटिज्म के साथ पैदा हो सकता है। 
ओमेगा 3 फैटी एसिड
गर्भावस्था के दौरान ओमेगा-3 फैटी एसिड की कमी से गर्भ में पहने वाले शिशु के दिमाग पर नकारात्मक असर डाल सकता है। जो ऑटिज्म डिसऑर्डर का कारण बनता है।
विटामिन डी की कमी 
प्रेग्नेंसी धारण करने से पहले और बाद में महिला के शरीर में विटामिन डी की कमी से बच्चे के दिमाग के विकास को प्रभावित कर सकता है। प्रेग्नेंट महिला के शरीर में विटामिन डी की कमी से बच्चे में ऑटिज्म होने के लक्षणों को बढ़ा सकते हैं।
चीनी का अधिक सेवन
प्रेग्नेंसी के दौरान जरूरत से ज्यादा चीनी के सेवन से प्रेग्नेंट महिला में चयापचय संबंधी समस्याएं और सूजन हो सकती है। जो भ्रूण के दिमाग के विकास पर बुरा प्रभाव डाल सकता है और ऑटिज्म का कारण बन सकते हैं।
शराब का सेवन
प्रेग्नेंसी के दौरान महिला द्वारा शराब का सेवन करने से बच्चे के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है। प्रेग्नेंसी में शराब का सेवन बच्चे में कई तरह के न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर का कारण भी बन सकता है।
खराब गुणवत्ता वाले प्रोटीन का सेवन
प्रेग्नेंसी में खराब और कम मात्रा में प्रोटीन का सेवन करने से बच्चे का दिमाग का विकास प्रभावित हो सकता है। इससे गर्भ में पलने वाले बच्चे को ऑटिज्म होने का खतरा बढ़ जाता है। 
कम कोलीन का सेवन
प्रेग्नेंसी में कम कोलीन का सेवन करने से गर्भ में पलने वाले बच्चे के दिमागी विकास पर नकारात्मक असर डाल सकता है। जिससे बच्चे में ऑटिज्म का खतरा अधिक बढ़ सकता है।

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