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Migraine: माइग्रेन की समस्या होने पर हो जाएं अलर्ट, इससे दिल संबंधी बीमारियों का बढ़ सकता है खतरा

माइग्रेन, सिरदर्द की समस्या होने पर व्यक्ति कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होने लगती हैं। बता दें कि माइग्रेन को साइकोसोमेटिक डिसऑर्डर के नाम से भी जाना जाता है। इसका मतलब होता है कि मानसिक स्वास्थ्य समस्या की वजह से शारीरिक लक्षण भी हो सकते हैं। माइग्रेन सामान्य सिरदर्द से काफी ज्यादा अलग होता है। माइग्रेन की समस्या होने पर व्यक्ति के एक तरफ का सिर बहुत तेज दर्द होता है, मिलती-उल्टी और प्रकाश आदि से अति संवेदनशीलता का अनुभव हो सकता है।
हालांकि माइग्रेन एक कॉमन समस्या है, लेकिन अगर इसका समय से इलाज ना करवाया जाए, तो ये सामान्य सी समस्या गंभीर रोगों को बढ़ाने वाली भी हो सकती है। माइग्रेन के कारण व्यक्ति को अन्य तरह की स्वास्थ्य संबंधी जोखिम हो सकते हैं। ऐसे में अगर आप भी माइग्रेन से परेशान हैं, तो इसके जोखिमों को नजरअंदाज करने की गलती नहीं करनी चाहिए। आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको माइग्रेन से होने वाली अन्य स्वास्थ्य संबंधी जोखिमों के बारे में बताने जा रहे हैं।

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हृदय रोगों का खतरा
एक रिपोर्ट के अनुसार, जिन लोगों को अक्सर माइग्रेन का अटैक होता है। उन लोगों में स्ट्रोल का हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा होता है। युवा आबादी में माइग्रेन की समस्या काफी कॉमन है और इसे स्ट्रोक के बढ़ते जोखिम के रूप में देखा जा रहा है। एक शोध में पाया गया है कि जिन लोगों को माइग्रेन की समस्या ज्यादा है। उनमें हृदय रोगों का जोखिम भी काफी ज्यादा पाया गया है। हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो माइग्रेन हृदय रोगों का जोखिम बढ़ाने वाली हो सकती है। माइग्रेन की समस्या होने पर यह रक्त वाहिकाओं को भी नुकसान पहुंचा सकता है। जिससे हृदय संबंधी रोगों का खतरा बढ़ जाता है।
हार्ट अटैक का खतरा
जिन लोगों को माइग्रेन की समस्या होती है, उन लोगों में दिल का दौरा पड़ने या हृदय गति से संबंधी रोग होने की आशंका अधिक होची है। माइग्रेन की समस्या से पीड़ित व्यक्ति को अन्य लोगों की तुलना में दिल का दौरा पड़ने का जोखिम ज्यादा होता है। सभी लोगों में माइग्रेन के जोखिम अलग-अलग प्रकार का हो सकता है। आवश्यक नहीं है कि माइग्रेन हर किसी के लिए गंभीर रोग का कारण बनें।
माइग्रेन की समस्या को ना करें अनदेखा
हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, आमतौर पर मानसिक स्वास्थ्य विकारों से जोड़कर माइग्रेन की समस्या को देखा जाता रहा है। यानी कि अगर किसी व्यक्ति को डिप्रेशन या स्ट्रेस की समस्या रही है। तो उसे माइग्रेन होने का खतरा अधिक रहता है। माइग्रेन की समस्या अक्सर साइकोसोमेटिक है। इसलिए अगर आपको सामान्य इलाज से राहत नहीं मिल रही है। तो आपको फौरन किसी मानसिक स्वास्थ्य एक्सपर्ट् की सलाह लेनी चाहिए।

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