गर्मियों का मौसम अपने चरम पर पहुंच गया है। इस दौरान लोगों के लिए अपनी सेहत का ध्यान रखना और भी ज्यादा जरुरी हो गया है। दरअसल, मई-जून के महीनों में लू अपना कहर बरसाना शुरू कर देती है। दोपहर की गर्म हवाओं की वजह से ‘हीटस्ट्रोक’ का खतरा बढ़ जाता है। गर्मियों में ‘हीटस्ट्रोक’ की समस्या आम है, लेकिन लापरवाही बरतने से ये जानलेवा साबित हो सकती है। ऐसे में हीटस्ट्रोक की समस्या से बचने के लिए लोगों को सावधानियां बरतने की जरुरत है। आयुर्वेद डॉक्टर दीक्षा भावसार सांवलिया ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर सनस्ट्रोक/हीटस्ट्रोक से बचने के लिए कुछ आयुर्वेदिक नियम बताएं हैं और गर्मियों में इनका पालन करने की सलाह दी है। चलिए जानते हैं इनके बारे में-
दिवा-स्वपा (दिन में नींद जरूर लें)- आयुर्वेद में गर्मियों के मौसम में लोगों को दोपहर में सोने की सलाह दी जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस समय के दौरान तापमान सबसे अधिक होता है। दोपहर में अगर हम बाहर निकलते हैं तो सूरज हमारी सारी ऊर्जा को सौख लेता है। इसलिए आयुर्वेद दोपहर के समय लोगों को बाहर निकलने की बजाय घर में ठंडे स्थान पर सोने की सलाह देता है। गर्मी के दिनों में दोपहर के समय सोने से शारीरिक और मानसिक थकान कम होती है, ऊर्जा बहाल करने में मदद मिलती है। इसके अलावा गर्मियों के मौसम में होने वाली समस्याओं से भी काफी हद तक राहत मिलती है। आयुर्वेद में दोपहर में सोने का समय और पोजीशन भी बताई गयी है। आयुर्वेद के अनुसार, लंच करने के 1 घंटे बाद सोना सबसे अच्छा है। इसके अलावा दोपहर में सोते समय बाईं तरह मुँह करने सोएं।
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चाँद के नीचे सोना- आयुर्वेद गर्मियों के मौसम में लोगों को चाँद के नीचे सोने की सलाह देता है। गांव में आज भी लोग गर्मियों में कमरों की बजाय खुली जगह या छत पर चाँद के नीचे सोते हैं। रात को चाँद के नीचे सोने से दिनभर की थकान दूर हो जाती है। चाँद की चांदनी मन को ठंडा करने में मदद करती है, जिसकी वजह से रात में सुकून और अच्छी नींद आती है।
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मटके का पानी पीएं- आयुर्वेद लोगों को प्राकृतिक रूप से ठंडा पानी पीने की सलाह देता है। लोगों को फ्रिज वाले पानी की बजाय मटके में रखा ठंडा पानी पीना चाहिए। इसे गर्मियों में शरीर ठंडा और सेहतमंद भी रहेगा। मटके के पानी के अलावा गर्मी को मात देने के लिए लोगों को कमल, गुलाब, खसखस, पुदीना, धनिये का पानी पीना चाहिए। गर्मियों के दिनों में शरीर में पानी का संतुलन बनाने के लिए मौसमी फलों जैसे अंगूर, तरबूज, अनार और प्राकृतिक शीतल पेय जैसे बेल, नारियल पानी, गन्ने का रस, सत्तू, गुलकंद का सेवन करना चाहिए।
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A post shared by Dr Dixa Bhavsar Savaliya (@drdixa_healingsouls)