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महिलाओं को हार्मोन्स कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स तो पुरुषों को हैवी वर्कआउट से होता है माइग्रेन, संबंधों में संतुष्टि से मिलेगी राहत

आमतौर पर किसी को भी सिर दर्द की समस्या हो सकती है। वहीं महिलाएं सिर दर्द होने पर सिर पर दुपट्टा बांध लेती हैं या फिर दवा ले लेती हैं। लेकिन सिरदर्द इतना होता है कि कई बार आपके आंसू और चीख निकल जाती है। अगर आपके सिर के दोनों तरफ हल्का दर्द है और कुछ घंटों बाद ठीक हो गया है तो परेशानी वाली कोई बात नहीं है। लेकिन अगर महीने में कई बार सिर के एक हिस्से में दर्द होता है और यह दर्द लंबे समय तक बना रहता है तो आपको सतर्क होने की जरूरत है। क्योंकि जब माइग्रेन का दर्द होता है तो आपका किसी भी काम में मन नहीं लगता है। इसके अलावा रोशनी और आवाज आपको बर्दाश्त नहीं होती है।
बॉलीवुड स्टार्स ने भी की है इस पर बात
हालांकि महिलाओ और पुरुषों दोनों में यह समस्या देखने को मिलती है। लेकिन माइग्रेन की मरीज महिलाएं ज्यादा होती हैं। कई बॉलीवुड सेलिब्रिटीज सुनील शेट्टी, अमृता राव और शाहिद कपूर की पत्नी मीरा राजपूत माइग्रेग की समस्या पर बात कर चुके हैं। क्योंकि यह स्टार्स भी माइग्रेन की समस्या से परेशान रहते हैं। ऐसे में यह समझना जरूरी है कि माइग्रेन क्यों होता है और क्या यह जड़ से खत्म किया जा सकता है। बता दें कि दुनिया में 15 प्रतिशत लोग माइग्रेन से परेशान हैं।
न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर
बता दें कि माइग्रेन एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है। हालांकि इसके होने का कारण आज तक वैज्ञानिक भी अभी तक नहीं समझ पाए हैं। कुछ लोगों का मानना है कि खानपान, हार्मोन और वातावरण से यह समस्या होती है। करीब 3200 साल पहले प्राचीन मिस्र द्वारा लिखे गए चिकित्सा से जुड़े दस्तावेज Ebers Papyrus में इस बीमारी का जिक्र मिला था। माइग्रेन की सिचुएशन अस्थाई होती है। हालांकि दवा लेने से इस दर्द से राहत मिल जाती है। लेकिन ज्यादा दवा का सेवन भी आपके स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।

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महिलाओं में हार्मोन्स जिम्मेदार
गुरुग्राम के क्लाउडनाइन हॉस्पिटल में गायनाकोलॉजिस्ट डॉ. रितु सेठी के अनुसार, महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन नाम के हॉर्मोंस पाए जाते हैं। यह हार्मोन्स महिलाओं के पीरियड और प्रेग्नेंसी को रेगुलेट करने में मदद करते हैं। उन्होंने बताया कि महिलाओं के शरीर में हार्मोंन्स की अस्थिरता होती रहती है। जब एस्ट्रोजन का फ्लक्चुएशन महिलाओं के शरीर में बढ़ता है तो माइग्रेन की समस्या से जूझना पड़ता है। कई बार यह दर्द इतना ज्यादा बढ़ जाता है कि महिलाएं रो देती हैं या फिर उनकी चीख निकल जाती है। वहीं पीरियड्स शुरू होने से पहले कुछ महिलाओं का सिरदर्द शुरू हो जाता है। इस दौरान महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन का लेवल कम होने के कारण ऐसा होता है। वहीं पीरियड्स खत्म होने के बाद माइग्रेन का दर्द भी खत्म हो जाता है।  
सेक्स से संतुष्ट नहीं 72% महिलाएं
मेडी एंजल्स हेल्थकेयर कंपनी के सर्वे के अनुसार, 72 प्रतिशत भारतीय महिलाएं अपनी सेक्स लाइफ से संतुष्ट नहीं होती हैं। वहीं 12 प्रतिशत महिलाओं ने बताया कि उन्होंने शादी के पहले सेक्स नहीं किया। इस सर्वे में 20 से 65 साल की महिलाओं ने अपनी सेक्स लाइफ के बारे में बताया। कुछ महिलाओं के घर का माहौल, पति का रवैया या फिर बिजी प्रोफेशन इसके पीछे की वजह बनीं। महिलाओं से यह नहीं पूछा जाता कि वह सेक्स लाइफ से संतुष्ट हैं या नहीं। 
वहीं कपल्स परिवार के साथ रहते हुए इस बारे में बात नहीं करते तो कुछ पति खुद इस ओर ज्यादा ध्यान नहीं देते। कई बार ऐसा भी होता है कि पति अपने प्रोफेशन के चलते पत्नी से दूर होता है। इसके अलावा दिन-रात की शिफ्ट के कारण पति-पत्नी ज्यादा समय साथ नहीं बिता पाते। इन कारणों से स्ट्रेस बढ़ता है और फिर माइग्रेन का कारण बनता है।
70% महिलाओं को ऑर्गेज्म नहीं होता
ड्यूरेक्स इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक सेक्स के दौरान 70% महिलाओं को ऑर्गेज्म नहीं होता। बता दें कि माइग्रेन के लिए ऑर्गेज्म का होना दवा का काम करता है। लेकिन महिलाओं को इस दौरान ऑर्गेज्म नहीं होने से उन्हें माइग्रेन की समस्या होती है। असोसिएशन ऑफ माइग्रेन डिसऑर्डर के मुताबिक सेक्स के दौरान एंडॉर्फिन नामक हॉर्मोन निकलता है जो पेन रिलीफ की तरह काम करता है। जब महिलाओं को ऑर्गेज्म होता है तो यह हॉर्मोन भी निकलता है। ऑर्गेज्म होने से महिलाओं को खुशी मिलती है और यह माइग्रेन को दूर करने में सहायक होता है।
शादी में खटपट
अमेरिकन हेडेक सोसायटी के सर्वे में सामने आया है कि 5 में से 4 लोगों को स्ट्रेस के कारण माइग्रेन होता है। माहिलाओं की अनहैप्पी मैरिड लाइफ भी माइग्रेन की वजह बनती है। कई रिसर्च में यह सामने आया है कि अच्छी सेक्स लाइफ माइग्रेन को दूर रखती है। एक स्टडी में अमेरिका की 60% महिलाओं ने स्वीकार किया कि उनकी सेक्स लाइफ अच्छी होने से माइग्रेन की दिक्कत खत्म हो गई। अमेरिका के वेक फॉरेस्ट यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन एंड कॉलेज की रिसर्च की मानें तो जिन महिलाओं सेक्सुअल डिजायर जाता होता है, उन लोगों में माइग्रेन की समस्या ज्यादा देखने को मिलती है। 
कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स और प्रेग्नेंसी
एक्सपर्ट्स की मीनें तो कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स में आर्टिफिशियल हॉर्मोंस पाए जाते हैं। वहीं गर्भनिरोधक दवाओं से भी माइग्रेन हो सकता है। यदि किसी महिला को माइग्रेन की दिक्कत है तो उसे ये पिल्स नहीं खानी चाहिए। इन दवाओं के कारण हॉर्मेंन्स कम-ज्यादा होते हैं, जिससे स्ट्रोजन लेवल भी घटता है और सिरदर्द शुरू हो जाता है। महिलाओं की प्रेग्नेंसी के तीसरे महीने महिलाओं को माइग्रेन होता है, लेकिन बाद में यह धीरे-धीरे कम हो जाता है। लेकिन डिलीवरी के बाद तनाव के कारण माइग्रेन फिर से शुरू हो जाता है। प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को डॉक्टर की सलाह पर दवा लेनी चीहिए। 
मेनोपॉज के बाद खत्म होता है माइग्रेन 
मेनोपॉज होने के आसपास महिलाओं की बॉडी में हॉर्मोंस का स्तर बहुत उतार-चढ़ाव वाला होता है। इस दौरान तेज सिरदर्द होता है। लेकिन मेनोपॉज होने के बाद इस समस्या से भी निजात मिल जाती है। 
मेडिकल प्रोफेशन से जुड़ी महिलाएं 
ऑनलाइन डेटिंग ऐप एशले मेडिसन के सर्वे में सामने आया है कि कई प्रोफेशन के लोग अपनी सेक्स लाइफ से खुश न होने के कारण दूसरा पार्टनर तलाश कर रहे हैं। सर्वे के अनुसार, मेडिकल प्रोफेशन से जुड़ी महिलाओं को अपने पार्टनर से संतुष्टि नहीं मिलती है। वहीं इस प्रोफेशन से जुड़ी महिलाओं में माइग्रेन की समस्या ज्यादा पाई गई। 
पुरुषों में माइग्रेन
पुरुषों में फिजिकल और इमोशनल स्ट्रेस के चलते माइग्रेन होता है। अक्सर पुरूष जब लिमिट से ज्यादा वर्कआउट करता है तो उन्हें थकावट होती है और यही माइग्रेन का कारण बनती है। इसके साथ ही नींद न पूरी होना, समय पर खाना न खाना भी माइग्रेन के कारण होते हैं। नेशनल हेडेक फाउंडेशन ने माइग्रेन का मुख्य कारण पुरुषों में शारीरिक थकावट ही माना है। साथ ही पुरुषों में इस बीमारी को दिल की बामारी से भी जोड़कर देखा जाता है। जिन पुरुषों को माइग्रेन की दिक्कत होती है उन्हें समय-समय पर अपने हार्ट का चेकअप कराते रहना चाहिए।
बोटॉक्स से माइग्रेन का इलाज
स्किन एजिंग को बोटॉक्स से रोका जाता है। यह एक तरह का ड्रग है जो क्लॉस्ट्रीडियम बोटुलिनम नामक बैक्टीरिया बनाने में मदद करता है। इस बैक्टीरिया से फूड पॉइजनिंग का भी काम करता है। लेकिन आजकल इसका इस्तेमाल ब्यूटी ट्रीटमेंट के लिए काफी होता है। यह बैक्टीरिया माइग्रेन दूर करने में कारगर होता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक जिन लोगों को क्रॉनिक माइग्रेन पाया गया था, उनमें इसका असर देखा गया है। बोटॉक्स में न्यूरोटॉक्सिन ड्रग होने के कारण यह नसों को फ्रीज कर देता है। नसों का सिग्नल ब्लॉक होते ही सिर दर्द भी नहीं होता है। 

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