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Baby Massage: बच्चे की मालिश से जुड़ी इन बातों में है कितनी सच्चाई, जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

घर में जब नन्हे मेहमान का आगमन होता है, तो न सिर्फ पेरेंट्स बल्कि दादी-नानी भी बच्चे की मालिश पर विशेष तौर पर जोर देती हैं। जन्म के बाद जब नवजात 20-25 दिन का हो जाता है, तो घर के बड़े-बुजुर्ग बच्चे की रोजाना मालिश किए जाने की सलाह देने लगते हैं। हालांकि कई बार जब बच्चे की मां मालिश नहीं कर पाती है, तो दादी-नानी बच्चे की मालिश करती हैं। वहीं मालिश के लिए कई घरों में तेल बनाया जाता है। 
क्योंकि लोगों का मानना होता है कि मालिश करने से न सिर्फ मांसपेशियां बल्कि बच्चे की हड्डियां भी मजबूत होती हैं। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि इस बात में कितनी सच्चाई है।

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मालिश से जुड़े मिथक
कई लोगों का मानना होता है कि यदि बच्चे की मालिश न की जाए, तो उसके पैर कमजोर होंगे। लेकिन एक्सपर्ट्स की मानें, तो यदि मसाज करने से मसल्स व हड्डियां मजबूत होती, तो लोगों को जिम की जगह मसाज पार्लर जाना चाहिए। एक्सपर्ट की मानें, तो बच्चे की मसाज कनेक्शन बनाने और बच्चे को आराम देने के लिए की जाती है।
कई बार दादी-नानी मालिश करने के दौरान बच्चे की नाक को खींचकर उसको शेप देने की कोशिश करती हैं। लेकिन एक्सपर्ट कहते हैं कि जीन्स के मुताबिक बच्चे को नाक की शेप मिलती है।
कुछ बच्चों का माथा बाहर होता है। ऐसा विटामिन डी की कमी होने होता है। या फिर ऐसा किसी डिसऑर्डर की वजह से हो सकता है। इसके लिए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। क्योंकि मालिश करने से हड्डियां अंदर या बाहर नहीं होती हैं।
मालिश से जुड़ा एक मिथक यह भी है कि मालिश करने से बच्चे के सिर की शेप गोल होती है। जबकि बच्चा जब खुद से उठने या बैठने लगते हैं या फिर सिर पर प्रेशर कम होता है। जिसकी वजह से डिफ्रेंशियल ग्रोथ के कारण सिर अपने आप शेप में आ जाती है।
एक्सपर्ट की मानें, तो इस बात में भी सच्चाई नहीं है कि मसाज करने से बच्चा जल्दी चलने लगता है। बल्कि न्यूट्रिशियन डेवलपमेंट और जेनेटिक पैटर्न के मुताबिक बच्चा चलना सीखते हैं। 

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