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अपने खास कार्यक्रम आस्क दी एक्सपर्ट में इस बार हमने बात की डायबिटीज के बारे में जो आजकल हर दूसरे इंसान को होती है। इस बीमारी पर हमने बात की डॉक्टर फरहान अहमद, जो हैं एमएस जनरल सर्जरी और वर्त्तमान में वाराणसी स्थित हॉस्पिटल में कार्यरत है। डॉक्टर से बात कर हमने जाना की डायबिटीज क्या होती है, यह किस कारण से होती है और अपने खान पान और व्यायाम जैसे कौनसे अन्य बदलाव लाकर पेशेंट इसे मैनेज कर सकता है।
डॉक्टर ने बताया कि डायबिटीज कुछ लोगों में जेनेटिकली भी होता है तो कुछ लोगों में रहन सहन या फिर खान- पान में अधिक बदलाव के कारण भी होता है। अगर हम आलस्य से भरपूर जीवन में रह रहे हैं तो उसमें हमें शुगर होने की सबसे ज्यादा संभावना है। वैसे इसके लिए कोई उम्र नहीं होती लेकिन अक्सर देखा जाता है कि 45 के बाद हमारा लाइफस्टाइल स्ट्रेसफुल होने कि वजह से इसके होने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है। आज कल ज्यादा स्ट्रेस लेने से भी डायबिटीज अक्सर लोगों में हो रही है।
प्रश्न – मधुमेह या डायबिटीज कैसे होती है ?
जवाब – यह बीमारी आजकल शहर हो या गांव हर जगह लगातार बढ़ती जा रही है। इस बीमारी को शुगर, मधुमेह या डायबिटीज के साथ-साथ अन्य नाम से भी जाना जाता है। बीमारी कुछ लोगों को आनुवंशिकता के कारण भी होती है और उनके दैनिक क्रियाकलापों का भी इसमें हाथ होता है।
प्रश्न – शुगर होने के लिए क्या कोई निश्चित उम्र होती है ?
जवाब – नहीं, यह बीमारी होने के लिए कोई खास उम्र को पैमाना नहीं माना गया है, लेकिन आमतौर पर देखा जाता है कि लगभग 45 वर्ष की आयु के बाद के लोगों में तनाव के कारण वह बीमारी आम हो जाती है। मधुमेह दो प्रकार का होता है, टाइप वन में इंसुलिन पेनक्रियाज नहीं बनाता है। तो वहीं, टाइप टू में बॉडी इंसुलिन रेजिस्टेंट हो जाती है।
प्रश्न – यह बीमारी कितने चरणों में फैल सकती है ?
जवाब – प्री डायबिटीज के कुछ लक्षण पहले से ही दिखने लग जाते हैं। जिसमें मरीज जल्दी थकने लगता है। साथ ही साथ उसे पसीना भी पहले की तुलना में अधिक आने लगता है। इसके अलावा उसे पेशाब भी ज्यादा लगने लगती है। पेशाब करने के बाद उस जगह पर चीटियां भी लग जाती हैं। फास्टिंग टेस्ट अगर 90 से 110 तक है, तो वह नॉर्मल है लेकिन इससे अधिक होने पर वह डायबिटीज की कैटेगरी में आती है। साथ ही पी पी को 140 से 190 तक नॉर्मल ही माना जाता है।
प्रश्न – क्या इस रीडिंग में उम्र के अनुसार बदलाव हो सकता है ?
जवाब – नहीं, टेस्ट की रीडिंग में कोई खास अंतर नहीं होता है। बस वह 5 से 10 पॉइंट कम या ज्यादा ही हो सकता है।
प्रश्न – कितनी रीडिंग आने के बाद डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए ?
जवाब – कभी-कभी टेस्ट से ठीक पहले ज्यादा शुगर खाने से रीडिंग अधिक हो सकती है। जिसका मतलब यह नहीं है कि व्यक्ति को शुगर है लेकिन hb1ac, फास्टिंग और पीपी सभी में अधिक शुगर दिखने पर व्यक्ति को बीमार ही समझ जाएगा। इन सबके अलावा भी हमें डायबिटीज के लक्षण लगातार दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। जिससे इस बीमारी को प्रारंभिक चरण में ही रोका जा सके।
प्रश्न – इंसुलिन लेने की आवश्यकता किस स्टेज में महसूस होती है ?
जवाब – टाइप टू डायबिटीज में भी इंसुलिन की जरूरत पड़ती है लेकिन वह क्रॉनिक होने के बाद ज्यादा आवश्यकता पड़ती है। लेकिन टाइप वन में शुरुआत में ही इंसुलिन की जरूरत पड़ सकती है। डायबिटीज के मरीज को दवाई खाने के साथ-साथ अपनी दिनचर्या में भी खास बदलाव करना चाहिए। दवाइयों से शुगर को कंट्रोल करना संभव नहीं है।
प्रश्न – डायबिटीज के मरीज को अपनी दिनचर्या में खाने के साथ-साथ कौन-कौन से नियमों का पालन निश्चित रूप से करना चाहिए ?
जवाब – मरीज को यदि पता है कि वह डायबिटीज से पीड़ित है तो उसे मीठी चीज खाने से परहेज करना चाहिए और उसे भुने हुए चने तथा लौकी जैसी चीजों का अधिक से अधिक सेवन करना चाहिए इसके। अलावा मॉर्निंग वॉक भी इस मामले में लाभकारी साबित होती है। फलों में आम और केले के सेवन से भी बचना चाहिए।
प्रश्न – डायबिटीज के शिकार व्यक्ति को कितना व्यायाम करना चाहिए ?
जवाब – सभी को अपनी शरीर की क्षमता के अनुसार ही व्यायाम और वॉक करनी चाहिए और यही नियम सभी के लिए बेहतर हैं। हालांकि, इस समय भी उसे नियमित रखना बहुत जरूरी है।
प्रश्न – क्या शुरुआती दौर में ही शुगर को रिवर्स किया जा सकता है ?
जवाब – प्री डायबिटीज में व्यक्ति को इसके लक्षण प्रारंभ में ही पता चल जाते हैं। जिसे नियमित खान-पान और अपनी दिनचर्या को बेहतर करके कंट्रोल किया जा सकता है। डायबिटीज की अर्ली या क्रॉनिक अवस्था आ गई है तो फिर मरीज को डॉक्टर से संपर्क करना ही सबसे बेहतर उपाय है।
प्रश्न – क्या लंबे समय तक दवाई खाने से यह गारंटी है कि शुगर खत्म हो ही जाएगा ?
जवाब – नहीं, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है, अगर कोई इंसान सोचता है कि दवाई खाने से उसका शुगर ठीक हो जायेगा है तो यह उसकी बड़ी गलतफहमी है। दवा सिर्फ एक सपोर्टिव ड्रग है लेकिन वह अपने खान-पान की बदौलत बीमारी पर काबू पा सकता है और सीमित मात्रा में वह दवा का सेवन कर रहा है। उसे नियमित करते रहना चाहिए।
प्रश्न – ऐसे क्या बदलाव है जिनके द्वारा शुगर को निश्चित रूप से कंट्रोल किया जा सकता है ?
जवाब – सुबह जल्दी उठना, पोषक तत्वों से भरपूर नाश्ता करना, जल्दी नहाना, दोपहर में खाना खाने के बाद थोड़ा आराम करना और रात में बिल्कुल हल्का खाना खाने जैसी साधारण नियमित प्रक्रियाओं से इस बीमारी पर लगाम लगाई जा सकती है। इस सब में बेहतर डाइट सबसे ज्यादा जरूरी है। इस दौरान मरीज को मटन के सेवन से बचना चाहिए लेकिन वह बीच में कभी-कभी चिकन जरूर खा सकता है।
प्रश्न – क्या भूखे रहने से शुगर बढ़ाने की आशंका रहती है ?
जवाब – बिल्कुल, निश्चित रूप से असर पड़ता है क्योंकि लगातार भूखे रहने से लीवर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और वह शुगर को बढ़ाने में मदद करता है। बहुत ज्यादा देर तक भूखे रहने से शुगर लेवल कम भी हो सकता है। इसीलिए डायबिटीज से पीड़ित मरीज को हर 2 घंटे में कुछ ना कुछ खाते रहना चाहिए।
प्रश्न – मरीज का शुगर लेवल लो होने से उसके स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
जवाब – जिस प्रकार हाइपर ग्लाइसीमिया के कॉम्प्लिकेशन हैं। ठीक उसी प्रकार हाइपोग्लाइसीमिया के भी कॉम्प्लिकेशंस होते हैं। अगर हाइपोग्लाइसीमिया अधिक समय तक रह जाता है तो उसे ब्रेन एडिमा का खतरा बढ़ जाता है। जिससे व्यक्ति के दिमाग के भीतर सूजन आ जाती है और जिसे बहुत ही मुश्किल से ठीक किया जा सकता है। इसलिए शुगर के पीड़ित व्यक्ति को लगातार अपना शुगर चेक करवाते रहना जरूरी है। और शुगर का लेवल लगातार गिरते रहने से उसे कुछ ना कुछ मीठा भोजन खिलाते रहना चाहिए लेकिन मामला गंभीर होने पर उसे तत्काल ही हॉस्पिटलाइज्ड होने की आवश्यकता होती है।
क्या – विटामिन डी की कमी से भी डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है ?
जवाब – ऐसा नहीं कहा जा सकता है कि सिर्फ विटामिन डी की कमी से ही शुगर होता है। हालांकि, कई सारे कारणों में से यह भी एक कारण जरूर है। लंबे समय तक डायबिटीज रहना कोई गंभीर खतरा नहीं है जबकि डायबिटीज का अनकंट्रोल्ड होना सबसे खतरनाक स्थिति होती है। इसके बाद मरीज को डायबिटीज न्यूरोपैथी और रेटिनोपैथी होने के चांस बढ़ जाते हैं। इसके अलावा भी उसे कई अन्य गंभीर समस्याएं हो सकती हैं
प्रश्न – अधिक तनाव लेने के कारण व्यक्ति का शुगर लेवल किस हद तक बढ़ सकता है ?
जवाब – सामान्य तौर पर स्ट्रेस लेने का कोई पैमाना निर्धारित नहीं होता है लेकिन जब भी महसूस हो कि मानसिक तनाव बढ़ रहा है तब सतर्कता जरूरी हो जाती है। अनकंट्रोल्ड डायबिटीज वाले मरीज को विशेष तौर पर यह ध्यान रखना चाहिए कि शरीर पर कोई गंभीर जख्म ना हो। इसके अलावा भी मरीज को ज्यादा पसीना ना आए ऐसी स्थिति आने पर बीमारी और भी घातक हो सकती है।
प्रश्न – डायबीटिक फुट क्या होती है ?
जवाब – डायबीटिक न्यूरोपैथी वाले हिस्से को ही डायबीटिक फुट कहा जाता है। जिसके मुताबिक शरीर में घाव बन जाता है लेकिन उसमें दर्द नहीं होता और वह लगातार बढ़ता चला जाता है जिससे आगे चलकर मरीज को अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
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