कहा जाता है कि रक्तदान महादान, अर्थात् रक्त दान करना बहुत बड़ा दान है, क्योंकि इसके जरिए आप कई अन्य लोगों की जान बचा रहे हैं। इसलिए हर व्यस्क को यह सलाह दी जाती है कि वह हर तीन महीने में रक्तदान अवश्य करे। रक्त दान करने के बाद व्यक्ति का शरीर उसे खुद ब खुद दोबारा बना लेता है, इसलिए व्यक्ति को बिल्कुल भी चिंतित होने की आवश्यकता नहीं होती है। हालांकि, फिर भी लोग रक्त दान करने से घबराते हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि उनके मन में ब्लड डोनेशन को लेकर तरह-तरह की भ्रांतियां होती है। उन्हें लगता है कि अगर वे अपना ब्लड डोनेट करेंगे तो इससे वे कमजोर हो जाएंगे या फिर उन्हें तरह-तरह की बीमारियां हो जाएंगी। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको ब्लड डोनेशन से जुड़े कुछ मिथ्स और उनकी सच्चाई के बारे में बता रहे हैं-
मिथ 1- रक्तदान करने से कमजोरी आती है।
सच्चाई- यह रक्तदान से जुड़ा सबसे आम मिथ है। बहुत से लोगों को लगता है कि रक्तदान करने से उनके शरीर में रक्त कम हो जाएगा और फिर इससे उन्हें कमजोरी होगी। जबकि यह सच नहीं है। रक्तदान करने के एक या दो दिन में ही शरीर पूरी तरह से ठीक हो जाता है। यहां तक कि शरीर खुद ब खुद दान किए रक्त को दोबारा बना लेता है।
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मिथ 2- रक्तदान करने से वजन बढ़ या घट सकता है।
सच्चाई- कई लोग यह भी मानते हैं कि रक्तदान से वजन बढ़ता या घटता है। जबकि वास्तव में ऐसा नहीं है। दान के दौरान लिए गए रक्त की मात्रा लगभग 450 मिलीलीटर होती है, जिसे शरीर द्वारा जल्द ही पूरा कर लिया जाता है। इसलिए, रक्तदान करने से आपके वजन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
मिथ 3- रक्तदान करने में दर्द होता है।
सच्चाई- कई लोगों को सुई चुभने के दर्द से डर लगता है। इसलिए वे रक्तदान से भी डरते हैं। उन्हें लगता है कि रक्तदान करते हुए उन्हें बहुत देर तक सुई लगानी पड़ेगी और इसी से रक्त निकलेगा, इसलिए उन्हें बहुत देर तक दर्द झेलना पड़ेगा। जबकि वास्तव में ऐसा नहीं है। एक बार जब आप रक्त दान करते हैं तो एक बार सुई लगाते समय हल्का सा दर्द होता है। यह केवल कुछ देर के लिए होता है। इसके बाद आपको दर्द का अहसास नहीं होता है। यह दर्द भी जल्द ही ठीक भी हो जाता है।