जो लोग इन दिनों वेट लॉस करने में जुटे हैं, उन्हें अक्सर यही सलाह दी जाती है कि वे अपने मेटाबॉलिज्म को बूस्ट अप करें। जब मेटाबॉलिज्म बेहतर होता है तो ऐसे में शरीर भोजन को ऊर्जा में परिवर्तित करता है, जिससे बॉडी में फैट कम स्टोर होता है। दरअसल, शरीर खाने को फैट नहीं एनर्जी में बदलता है। वहीं दूसरी ओर, जिन लोगों को मेटाबॉलिज्म स्लो होता है, उनके लिए वजन कम करना एक बेहद ही टफ टास्क बन जाता है। अमूमन मेटाबॉलिज्म स्लो होने पर सिर्फ वजन पर ही फर्क नहीं पड़ता है, बल्कि आपका शरीर अन्य भी कई तरह के संकेत दिखाता है। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको कुछ ऐसे ही संकेतों के बारे में बता रहे हैं, जो स्लो मेटाबॉलिज्म होने पर नजर आ सकते हैं-
वजन कम करने में समस्या होना
यह स्लो मेटाबॉलिज्म का एक मुख्य संकेत है। जिन लोगों का मेटाबॉलिज्म होता है, अक्सर उनका वजन तेजी से बढ़ता है या फिर उन्हें वजन कम करने में बंहुत अधिक कठिनाई होती है। यहां तक कि खान-पान का ध्यान रखने और एक्सरसाइज करने के बाद भी वजन बनाए रखना उनके लिए काफी कठिन हो सकता है।
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थकान का अनुभव होना
अगर किसी व्यक्ति का मेटाबॉलिज्म स्लो होता है, उन्हें अक्सर थकान की शिकायत होती है। दरअसल, जब आपका मेटाबॉलिज्म अच्छा होता है तो ऐसे में आपका शरीर आहार को एनर्जी में बदलता है और आप एक्टिव फील करते हैं। लेकिन मेटाबॉलिज्म स्लो होने पर आहार से एनर्जी नहीं मिल पाती है, जिससे थकान और लो एनर्जी की समस्या हो सकती है।
पाचन में कठिनाई
स्लो मेटाबॉलिज्म आपके पाचन तंत्र को भी प्रभावित कर सकता है। यह देखने में आता है कि मेटाबॉलिज्म स्लो होने पर व्यक्ति का पाचन धीमा हो जाता है। ऐसे में व्यक्ति को कब्ज व पाचन तंत्र से जुड़ी अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं।
हार्मोनल असंतुलन की समस्या होना
मेटाबॉलिज्म हार्मोन रेग्युलेशन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए, जब व्यक्ति का मेटाबॉलिज्म स्लो होता है तो इससे हार्मोनल संतुलन भी गड़बड़ा जाता है। जिसके कारण व्यक्ति को अनियमित पीरियड्स से लेकर अन्य कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।