स्ट्रोक दिमाक में होने वाली बहुत गंभीर बीमारी है। स्ट्रोक का प्रभाव आपकी सेहत पर लंबे समय तक बना रह सकता है। स्ट्रोक को ब्रेन अटैक भी कहा जाता है। कई बार स्ट्रोक के कारण लोगों की मौत भी हो जाती है। बता दें कि ब्रेन में खून की आपूर्ति करने वाली रक्त वाहिका के फटने से दिमाग की नसों में ब्लॉकेज हो जाता है। न सिर्फ बुजुर्ग बल्कि युवाओं में भी ब्रेन अटैक का खतरा होता है। जो लोग स्ट्रोक के खतरे से बच जाते हैं, उन्हें कई गंभीर बीमारियों से जूझना पड़ता है। ऐसे लोगों को लकवा, पागलपन, सुनने-समझने की क्षमता में कमी आना, और याद्दाश्त का कमजोर होना आदि की समस्याएं होती हैं।
ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, हर साल दुनियाभर में लगभग 15 मिलियन से ज्यादा लोग ब्रेन स्ट्रोक का शिकार होते हैं। ब्रेन स्ट्रोक की चपेट में आए लोगों के अचानक से हाथ और पैर सुन्न पड़ जाते हैं या फिर उन्हें कमजोरी महसूस होती है। ऐसे लोगों को समझने और बोलने में परेशानी होती है। इसके अलावा स्ट्रोक के मरीज की दोनों या फिर एक आंख की रोशनी कम हो जाती है। मरीज के सिर में दर्द या फिर आंख के ऊपरी हिस्से में अचानक से दर्द महसूस होने पर डॉक्टर से चेकअप जरूर कराना चाहिए।
जानिए कैसे बढ़ता है स्ट्रोक का जोखिम
मोटापा
बॉडी में एक्सट्रा फैट जमा होने पर कई गंभीर बीमारियां होती हैं। यह न सिर्फ आपकी सेहत को बिगाड़ता है, बल्कि यह खून की नसों को भी सिकोड़ देती है। एक रिपोर्ट की मानें तो शरीर में बॉडी मास इंडेक्स में बढ़ा हर एक यूनिट 5 प्रतिशत तक स्ट्रोक के खतरे को बढ़ाता है। मोटापे को कंट्रोल में रखने से आप अपने आपको ब्रेन स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारी से बचा सकते हैं।
कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ना
ब्लड में कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ने से हार्ट अटैक और स्ट्रोक आदि का खतरा कई गुना तक बढ़ जाता है। आपको बता दें कि कई बार ज्यादा नमक का सेवन करने या फिर तेलीय चीजों का सेवन करने से हमारे शरीर में कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ जाता है। फैटी फूड खाने, एक्सरसाइज ना करने , ओवरवेट होने, स्मोकिंग आदि से भी कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ता है। शरीर में बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रोल बल्ड नली को ब्लॉक करने का काम करता है। ब्लड कोलेस्ट्रॉल वाले व्यक्ति के शरीर में पर्याप्त सप्लाई नहीं होने पर स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
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ब्लड में शुगर का लेवल हाई होना
कई कारणों से ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है। कई बार डायबिटीज, स्ट्रेस, दवाई की गलत डोज़ लेना, मील के बीच ज्यादा स्नैकिंग और देर-देर तक भूखे रहने के कारण शरीर में शुगर लेवल बढ़ जाता है। ऐसे में अगर आप बार-बार पेशाब जा रहे हैं या फिर आपको अधिक थकान या प्यास महसूस हो रही है तो यह शरीर में शुगर लेवल के बढ़ने का संकेत देता है। बता दें कि डायबिटीज के मरीजों में स्ट्रोक का अधिक खतरा अधिक रहता है।
उम्र
बड़ती उम्र के साथ ही स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ जाता है। बता दें कि 55 साल की उम्र के बाद स्ट्रोक के खतरे की संभावना लगभग दोगुनी हो जाती है। हालांकि आजकल कम उम्र के लोगों में भी स्ट्रोक का खतरा बना रहता है। 35 साल की उम्र में भी ब्रेन स्ट्रोक का खतरा होने के चांसेज होते हैं। इस दौरान अगर मरीज को समय से इलाज नहीं मिलता तो उसकी जान भी जा सकती है। वहीं सर्दी के मौसम में भी स्ट्रोक का खतरा ज्यादा रहता है।
हाई ब्लड प्रेशर
हाई ब्लड प्रेशर को साइलेंट किलर भी कहा जाता है। हाई ब्लड प्रेशर से दिल से जुड़ी बीमारियों के अलावा ब्रेन स्ट्रोक का खतरा भी बना रहता है। इस दौरान दिल का दौरा, पैनिक अटैक की संभावना बनी रहती है। उच्च रक्तचाप होने के कारण ब्लड प्रेशर 140 के ऊपर पहुंच जाता है। इसकी वजह से खून की धमनियों में रुकावट या उसके फटने की स्थित बन सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक, हर 10 में से 4 व्यक्ति जिसका ब्लड प्रेशर नॉर्मल हो, उस व्यक्ति की जान को बचाया जा सकता है।
जानिए कैसे करें इससे बचाव
स्ट्रोक से बचाव का सबसे अच्छा और कारगर उपाय है कि आप अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव करें। खुद को हेल्दी और फिट रखने के लिए आप एक्सरसाइज, संतुलित भोजन, धूम्रपान, फिजिकल एक्टिविटी और शराब आदि के सेवन से बचना चाहिए। इसके अलावा ऊपर बताए गए लक्षणों में से किसी भी बीमारे से य़दि आप ग्रसित हैं तो नियमित चेकअप के साथ समय-समय पर डॉक्टर से परामर्श करते रहें। इसके अलावा डॉक्टर्स की सलाह पर जरूरी दवाएं जरूर लें।