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Ask the Expert | इस कारण सबसे ज्यादा रहता है हार्ट अटैक होने का ख़तरा

प्रभासाक्षी के खास कार्यक्रम आस्क दी एक्सपर्ट में इस बार हमने बात की डॉक्टर फरहान अहमद से जो एमएस जनरल सर्जरी हैं और वर्त्तमान में वाराणसी स्थित हॉस्पिटल में कार्यरत है। उनसे हमने बातचीत की और जाना बहुत ही जानलेवा और आम होती जा रही बीमारी हार्ट अटैक के बारे में और समझा की क्यों ये समस्या आम होती जा रही है और इसे कैसे कण्ट्रोल करें।
आइये देखते है की इंटरव्यू में क्या सवाल जवाब हुए
इस बीमारी के लक्षण क्या हैं? अगर किसी को हार्ट अटैक आ रहा है उसका पता कैसे लगाएं? 
लक्षण जानने से पहले जानते है कि ये बीमारी होती क्या है? हार्ट अटैक तब आता है जब हार्ट को ऑक्सीजन नहीं पहुँच पाता और ट्रेकलिसाइड और कोलेस्ट्रॉल ज्यादा होने की वजह से ऑक्सीजन पहुँचने में  ब्लॉकेज होती हैं तब हम कहते हैं कि हार्ट अटैक हुआ है। इसके लक्षण कभी कभी 80-90% ब्लॉकेज होने की पर नज़र नहीं आते लेकिन जब ब्लॉकेज 100% होती है तब जाकर उसके लक्षण नज़र आते हैं। इसलिए हम अगर इस कंडीशन का पहले पता लगा लें तो समय रहते उपचार किया जा सकता है।
समय रहते इसका पता कैसे लगायें?
आप ब्लड टेस्ट्स जैसे लिपिड प्रोफाइल करवा कर इसका पता लगा सकते हैं जिसमें ट्रेकलिसाइड और कोलेस्ट्रॉल लेवेल्स का पता चल जाता है। अगर ब्लड टेस्ट्स में कुछ आता है तो कोरोनरी सीटी स्कैन या एंजियोग्राफी करवाई जा सकती है। लेकिन हार्ट अटैक को जानने के लिए सबसे पहली जांच ईसीजी होती है लेकिन उसमे कभी कभी ब्लॉकेज होते हुए भी चंजेस नहीं आते हैं।
कोलेस्ट्रॉल किस कारण बढ़ता है और इसे कैसे कण्ट्रोल कर सकते हैं?
खाने पीने और लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव कर हम कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से रोक सकते हैं जैसे हम कम तेल और मसाले का इस्तेमाल करें। 
एसिडिटी के दर्द और हार्ट अटैक में अन्तर कैसे पता लगायें?
गैस के वजह से और हार्ट अटैक के दर्द में सबसे बड़ा अंतर ये होता है कि गैस का दर्द चुभने वाला होता है और अक्सर छाती के निचले हिस्से में होता है। वहीं हार्ट अटैक के दर्द में अजीब सी जकड़न और भारीपन महसूस होता है। और अगर आपको ऐसा कोई भी दर्द हो तो तुरंत ईसीजी करवा कर उसका कारण पता लगायें।
हार्ट अटैक के दौरान क्या प्राथमिक उपचार क्या किया जा सकता है?
अगर हमें पता लग रहा है कि यह हार्ट अटैक है तो सबसे पहले हम हॉस्पिटल ले जाने से पहले एक डिस्प्रिन पानी में घोल कर मरीज़ को दे सकते हैं। 
हार्ट अटैक के मरीज़ को क्या सावधानी बरतनी चाहिए?
सबसे पहले हमें अपने ट्रेकलिसाइड और कोलेस्ट्रॉल को खानपान और लाइफस्टाइल में बदलाव करके कण्ट्रोल में रखना है। 
हार्ट अटैक होने पर आसान भाषा में समझाएं कि इलाज क्या होता है ताकि ऐसी समस्या होने पर डॉक्टर क्या सुझाव दे रहे हैं उन्हें समझा जा सके?
हार्ट अटैक के शुरूआती इलाज में जांच करके पहले पता लगाया जाता है कि ब्लॉकेज कितनी है और हार्ट की तीनों में से किस ट्यूब में है। उसके बाद इलाज के लिए अगर ब्लॉकेज कम है तो दवा दी जाती है या फिर फ़ौरन एंजियोप्लास्टी की जाती है। और अगर मरीज़ की तीनों ट्यूब्स ब्लॉक हैं तो बाईपास किया जाता है। 
क्या हर हार्टअटैक होने पर एंजियोप्लास्टी जरूरी है? 
ज़रूरी नहीं की एंजियोप्लास्टी हो, ब्लॉकेज कितनी है वो निर्धारित होने पर उसी हिसाब से इलाज किया जाता है।
इलाज शुरू होने पर क्या सुधार नज़र आने लगते हैं?
हार्ट अटैक के बाद देखना पड़ता है कि दवाइयों का कोई नुक्सान तो नहीं हो रहा और मरीज़ को सुधार ये दिखने लगते है कि उनका दर्द कम हो जाता है और सांस फूलनी कम हो जाती है।
हार्ट अटैक के इलाज के बाद घर कब जा सकते हैं? 
एंजियोप्लास्टी के बाद अगर पेशेंट स्टेबल है तो अमूमन  24 घंटे रखा जाता है हॉस्पिटल में और बाईपास के बाद मरीज़ की रिकवरी के हिसाब से उसे डिस्चार्ज किया जाता है।
हार्ट अटैक के बाद लाइफस्टाइल, खान-पान, और शारीरिक गतिविधि क्या होनी चाहिए? 
आप व्यायाम करते हैं या जिम जाते हैं तो शुरुआत में हलके व्यायाम करें या कम वज़न उठायें फिर धीरे धीरे नॉर्मल रूटीन पर आयें। उसके अलावा खान-पान का ध्यान रखें और हर तीन महीने में ट्रेकलिसाइड और कोलेस्ट्रॉल की जाँच करवाएं। खान पान में नॉन-वेज ना खाएं और तेल कम खाएं।
हार्ट अटैक किस वजह से हो सकता है?
सबसे ज्यादा धूम्रपान करने वालों को इसका खतरा रहता है। उसके अलावा मोटापे से ग्रसित,  डायबिटिक और हाइपरटेंशन के मरीजों को भी इसके होने की संभावना रहती है।
हार्ट अटैक होने के बाद और कौनसे रोगों के होने का ख़तरा भी बढ़ जाता है?
हार्ट अटैक के मरीजों को ब्लड थिनर दिया जाता है जिससे उन्हें ब्रेन हेमरेज होने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है।
ओपनहार्ट सर्जरी क्या होता है और इसे किस लिए सबसे ज्यादा जोखिमभरा माना जाता है?
बाईपास को ही ओपन हार्ट सर्जरी कहा जाता है जिसमें छाती को खोल कर ब्लॉक्ड आर्टरी को बाईपास किया जाता है। इसमें जान का खतरा बहुत होता है क्योंकि इसमें कुछ समय के लिए पेशेंट को आर्टिफीशियल हार्ट से ब्लड सप्लाई किया जाता है और बाईपास करने के बाद हार्ट को शुरू किया जाता ही। इसमें बहुत बार पेशेंट का हार्ट सही से काम नहीं कर पाता और उसे वेंटीलेटर पर रखना पड़ता है। कभी कभी पेशेंट को वेंटीलेटेड एसोसिएटेड निमोनिया हो जाने की वजह से उसके लंग्स भी खराब होने का जोखिम रहता है।
 
इस इंटरव्यू की पूरी वीडियो देखने के लिए यहाँ क्लिक करें 

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