निशानेबाज दादी प्रकाशी तोमर के जीवन पर आधारित फिल्म सांड की आंख बन चुकी है, जिसके बाद उनके बारे में पूरी दुनिया ने जाना है। वहीं अब एक और दादी हैं जिन्होंने उम्र को सिर्फ एक आंकड़ा बताते हुए साबित कर दिया है कि मजबूत इच्छाशक्ति से कुछ भी हासिल किया जा सकता है। मजबूत इरादे उपलब्धि हासिल करने के रास्ते में नहीं आ सकते है।
हरियाणा के चरखी दादरी जिले के गांव कादमा से ताल्लुक रखने वाली 106 वर्षीय दादी राम बाई इस बार चर्चा में है। उत्तराखंड के देहरादून में 27 जून को आयोजित किए गए 18वीं नेशनल एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 100 मीटर और 200 मीटर की दौड़ में दादी रामबाई ने भी हिस्सा लिया और ऐसी उपलब्धि हासिल की जिसकी हर कोई तारीफ कर रहा है।
उड़नपरी के नाम से मशहूर 106 वर्षीय दादी राम बाई ने 100 मीटर और 200 मीटर की दौड़ में हिस्सा लेकर गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाया। इस तरह उन्होंने चैंपियनशिप में दो गोल्ड मेडल जीते। इसके अलावा दादी राम बाई ने शॉटपुट इवेंट में हिस्सा लेकर दमदार खेल दिखाया।
दो वर्ष पहले शुरु किया खेलना
रामबाई वर्तमान में 106 वर्षीय धावक हैं, जिन्होंने दो साल पहले एथलेटिक्स में कदम रखा था जब वह 104 साल की थीं। पिछले साल 85 से ऊपर की श्रेणी में 100 मीटर स्प्रिंट का विश्व रिकॉर्ड बनाया था, उन्होंने सोमवार को तीन स्वर्ण पदक जीतकर अपनी झोली में डाले है। चैंपियनशिप में उन्होंने 100 मीटर स्प्रिंट, 200 मीटर स्प्रिंट और शॉट पुट में मेडल जीतने में सफलता हासिल की है। इन सभी मेडल को जीतने के लिए हर प्रतियोगिता में रामबई ने तीन से पांच प्रतियोगियों को मात दी है।
दो वर्ष पहले शुरु किया खेलना
रामबाई वर्तमान में 106 वर्षीय धावक हैं, जिन्होंने दो साल पहले एथलेटिक्स में कदम रखा था जब वह 104 साल की थीं। पिछले साल 85 से ऊपर की श्रेणी में 100 मीटर स्प्रिंट का विश्व रिकॉर्ड बनाया था, उन्होंने सोमवार को तीन स्वर्ण पदक जीतकर अपनी झोली में डाले है। चैंपियनशिप में उन्होंने 100 मीटर स्प्रिंट, 200 मीटर स्प्रिंट और शॉट पुट में मेडल जीतने में सफलता हासिल की है। इन सभी मेडल को जीतने के लिए हर प्रतियोगिता में रामबाई ने तीन से पांच प्रतियोगियों को मात दी है।