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अदिति कंपाउंड वर्ग में सबसे युवा विश्व चैम्पियन बनीं, देवताले ने पुरुष वर्ग में जीता स्वर्ण

जूनियर विश्व खिताब जीतने के दो महीने से भी कम समय में भारत की 17 साल की अदिति स्वामी विश्व तीरंदाजी चैंपियनशिप के कंपाउंड महिला फाइनल में शनिवार को यहां मैक्सिको की एंड्रिया बेसेरा को हराकर सबसे कम उम्र में सीनियर विश्व चैंपियन बनी। वह इस स्पर्धा में व्यक्तिगत स्वर्ण जीतने वाली देश की पहली खिलाड़ी है।
 ओजस देवताले ने पुरुषों के कंपाउंड वर्ग में 150 के सटीक स्कोर के साथ खिताब जीता जिससे भारत ने अपने अभियान का अंत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के साथ किया। भारत ने इसमें तीन स्वर्ण और एक कांस्य पदक जीता।
महाराष्ट्र के नागपुर के रहने वाले शांत और धैर्यवान देवताले ने रोमांचक फाइनल मुकाबले में पोलैंड के लुकाज प्रिजीबिल्स्की को एक अंक से हराया।
कंपाउंड वर्ग के तीरंदाजों ने जहां शानदार प्रदर्शन किया वहीं ओलंपिक में शामिल रिकर्व वर्ग के तीरंदाज पूरी तरह से असफल रहे और खाली हाथ लौटे।
अदिति और देवताले दोनों सतारा में एक ही अकादमी में कोच प्रवीण सावंत की देखरेख में प्रशिक्षण लेते हैं।
 

सतारा की 12वीं कक्षा की छात्रा अदिति ने जुलाई में लिमरिक में युवा चैंपियनशिप में अंडर-18 का खिताब जीता था। उन्होंने यहां फाइनल में संभावित 150 अंकों में से 149 अंक के साथ मैक्सिको की खिलाड़ी को दो अंक से पछाड़ा।
चैम्पियनशिप की 16वीं वरीयता प्राप्त खिलाड़ी एंड्रिया ने फाइनल में पहुंचने के क्रम में कई दिग्गजों को हराया था जिसमें  प्री-क्वार्टर फाइनल में मौजूदा चैंपियन सारा लोपेज को मात देना भी शामिल है।
एंड्रिया को फाइनल में छठी वरीयता प्राप्त भारतीय खिलाड़ी से शुरुआत से ही कड़ी चुनौती मिली। अदिति के शुरूआती तीनों तीर से निशाने के केंद्र में लगे जिससे उन्होंने पहले दौर में 30-29 की बढ़त बना ली।
उन्होंने लय को जारी रखते हुए अगले तीन दौर में इस प्रदर्शन को दोहराया और तीन अंक की बढ़त बना ली।
आखिरी दौर में उन्होंने एक निशाना नौ अंक का लगाया जबकि बाकी दो से 10-10 अंक बटोर कर कुल 149 अंक जुटाये। एंड्रिया 147 अंक ही बना सकी।
इस प्रतियोगिता में यह उनका दूसरा स्वर्ण पदक है।
अदिति ने परनीत कौर और ज्योति सुरेखा वेन्नम के साथ शुक्रवार को कंपाउंड महिला टीम फाइनल जीतकर भारत के लिए पहली बार विश्व तीरंदाजी चैंपियनशिप का स्वर्ण पदक हासिल किया था।

अदिति ने इससे पहले क्वार्टर फाइनल में नीदरलैंड की सान्ने डी लाट और सेमीफाइनल में ज्योति को 149-145 से शिकस्त दी थी।
अदिति ने इस प्रदर्शन के बाद पीटीआई-से कहा, ‘‘बस भारत के लिए पहला स्वर्ण जीतना था और कुछ सोच दिमाग में नहीं आ रही थी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे पता था कि वह बहुत अनुभवी है और ऐसी तीरंदाज है जिसका मैं अनुसरण करती हूं। मैंने अपना ध्यान सिर्फ अपनी तीरंदाजी पर रखा और बाकी सब ठीक हो गया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे बहुत गर्व है, मैं विश्व चैंपियनशिप में बजने वाले राष्ट्रगान के 52 सेकंड सुनना चाहती थी। यह तो बस शुरुआत है। हमें एशियाई खेलों में भाग लेना है और मैं वहां देश के लिए स्वर्ण जीतना चाहती हूं। मैं टीम स्पर्धा में भी देश के लिए स्वर्ण जीतना चाहती हूं।’’
अदिति ने कहा, ‘‘ यह वाकई बहुत अच्छा है कि मैं 17 साल की उम्र में विश्व चैंपियन बन गयी। मैं अपने सभी समर्थकों और भारत के सभी लोगों को धन्यवाद देना चाहती हूं जिन्होंने मुझे विश्व चैंपियन बनने में मदद की।’’
ज्योति ने हालांकि कांस्य पदक जीता। उन्होंने तीसरे स्थान के प्ले-ऑफ में परफेक्ट 150 अंक जुटाकर तुर्की की इपेक टोमरुक को चार अंकों से हराया।
ज्योति ने कहा, ‘‘ यह ज्यादा निराशा वाली बात नहीं है।

आखिरकार, मैं इस बार टीम स्पर्धा में स्वर्ण जीतने में सफल रही हूं।’’
ज्योति के पास अब विश्व तीरंदाजी चैंपियनशिप के तीन सत्र में एक स्वर्ण, चार रजत और तीन कांस्य पदक हैं।
दोपहर के सत्र में देवताले ने स्वर्ण जीतकर भारत के लिए इस अभियान को और शानदार बना दिया।
देवताले और पोलैंड के उनके प्रतिद्वंद्वी के बीच मुकाबला बेहद करीबी था। शुरूआती तीन दौर के बाद दोनों के एक समान परफेक्ट 90 अंक थे।
देवताले ने इसके बाद भी 10 अंकों वाले सटीक निशाना लगाना जारी रखा और 150 में से 150 अंक बनाये। प्रिजीबिल्स्की दबाव में आ गये और उन्होंने एक निशाना नौ अंक का लगाया। इससे उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा।
भारतीय तीरंदाजी संघ के महासचिव प्रमोद चांदुरकर ने पीटीआई-से कहा, ‘‘यह कोई संयोग नहीं है और यह मजबूत टीम वर्क, खेल विज्ञान पर ध्यान और हमारी तकनीकी टीम पर 100 प्रतिशत भरोसे का नतीजा है।’’
उन्होंने कहा कि दो महीने में एशियाई खेल होने वाले हैं, इससे तीरंदाजी को काफी बढ़ावा मिलेगा।

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