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भारत और श्रीलंका के बीच एशिया कप का शानदार मुकाबला 17 सितंबर को खेला गया। इस दौरान भारतीय गेंदबाज मोहम्मद सिराज की गेंद ने ऐसी फिरकी घुमाई की श्रीलंकाई बल्लेबाज उनके सामने ढह गए। इस मैच में श्रीलंका की टीम महज 50 रन पर ऑलआउट हो गई, जिसमें सिराज ने 21 रन देकर छह विकेट चटकाए।
भारतीय टीम ने सिर्फ 6.1 ओवर में ही टारगेट का पीछा करते हुए बिना विकेट गंवाए मैच के साथ ही एशिया कप की ट्रॉफी को जीत लिया। क्रिकेट विश्व कप से पहले, यह जीत भारतीय क्रिकेट टीम के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन है। बता दें कि दुर्भाग्य वश भारतीय टीम वर्ष 2013 के बाद से अब तक कोई आईसीसी खिताब नहीं जीत सकी है।
भारतीय टीम को एशिया कप में मिली जीत के बाद खिलाड़ियों ने ट्रॉफी के साथ जमकर जश्न मनाया। इस दौरान सबसे पहले एशिया कप की ट्रॉफी 20 वर्षीय तलिक वर्मा को उठाने का मौका दिया गया, जिन्होंने हाल ही में डेब्यू किया है। बता दें कि भारतीय क्रिकेट में ये परंपरा रही है कि सबसे युवा या सबसे नए खिलाड़ी को दूसरों खिलाड़ियों से पहले ट्रॉफी उठाने का मौका दिया जाता है। तिलक वर्मा के बाद एक अन्य व्यक्ति आया जिसने एशिया कप की ट्रॉफी उठाई। हालांकि ये व्यक्ति भारतीय टीम का कोई खिलाड़ी नहीं था, जिसे ट्रॉफी उठाता देखकर फैंस भी आश्चर्यचकित थे।
जानकारी के मुताबिक जिस व्यक्ति ने टीम के साथ मिलकर एशिया कप की ट्रॉफी उठाई है वो भारतीय टीम के एक बहुत ही महत्वपूर्ण सदस्य हैं। इनका नाम रघु राघवेंद्र है, जो ‘थ्रो-डाउन स्पेशलिस्ट’ हैं। उनका काम नेट्स पर भारतीय बल्लेबाजों को स्लिंगर से थ्रो-डाउन देना है। बता दें कि भारतीय टीम के लिए थ्रो-डाउन स्पेशलिस्ट के तौर पर वह अकेले नहीं हैं। भारत ने कथित तौर पर दो अन्य थ्रोडाउन विशेषज्ञों को नियुक्त किया है।
बता दें कि भारतीय टीम के स्टार बल्लेबाज विराट कोहली ने भी इन थ्रो-डाउन स्पेशलिस्ट की जमकर तारीफ की थी। विराट कोहली ने कहा था कि इन लोगों को बहुत सारा श्रेय जाना चाहिए, जिन्होंने हमें नियमित रूप से अभ्यास कराया और उनका योगदान अविश्वसनीय रहा है। आप लोगों को उनके नाम और चेहरे याद रखने चाहिए क्योंकि, हमारी सफलता के पीछे, इन लोगों ने बहुत मेहनत की है। बता दें कि राघवेंद्र भारतीय टीम के पहले थ्रो-डाउन स्पेशलिस्ट हैं जिन्होंने सचिन तेंदुलकर और महेंद्र सिंह धोनी के साथ भी नेट प्रैक्टिस की है।