अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के अध्यक्ष कल्याण चौबे ने संगठन के पूर्व प्रमुख विधि सलाहकार नीलांजन भट्टाचार्जी को अपने खिलाफ ‘भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप’ लगाने के लिए कानूनी नोटिस भेजा है।
भट्टाचार्जी ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में दावा किया कि चौबे ने गैर-पारदर्शी निविदा प्रक्रिया के तहत भ्रष्टाचार किया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि चौबे ने ‘महासंघ के कोष’ का व्यक्तिगत इस्तेमाल किया।
चौबे ने पहले ही इन आरोपों को निराधार बताते हुए कहा था कि भट्टाचार्जी का मकसद उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना था।
चौबे ने सभी राज्य इकाइयों और कार्यकारी समिति के सदस्यों को संबोधित पत्र में कहा, ‘‘ यह बिल्कुल साफ है कि उनका मकसद मेरी छवि और प्रतिष्ठा को धूमिल करना है। मैंने मानहानि और चरित्र हनन के प्रयासों के संबंध में उन्हें कानूनी नोटिस भेजा है। मैं इस मामले को तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचाऊंगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ इस मामले में मैं व्यक्तिगत रूप से प्रतिक्रिया दे रहा हूं। मेरे खिलाफ लगाए गए आरोपों के माध्यम से हालांकि संस्था को कमजोर करने के प्रयासों के सामने एआईएफएफ की प्रतिष्ठा की रक्षा करना भी मेरा कर्तव्य है।’’
चौबे का पत्र महत्वपूर्ण है क्योंकि एआईएफएफ 10 मार्च को अरुणाचल प्रदेश के ईटानगर में अपनी वार्षिक आम सभा (एजीएम) आयोजित करेगा।
चौबे पर आरोप लगाने के बाद भट्टाचार्जी की सेवा एआईएफएफ ने समाप्त कर दी थीं।
भट्टाचार्जी ने अपने पत्र में लिखा था, ‘‘ चौबे ने अपने प्रभाव और दबाव का इस्तेमाल करते हुए आई-लीग (पिछला सत्र), आईडब्ल्यूएल, संतोष ट्रॉफी के प्रसारण जैसी कई निविदा एक ही कंपनी को आवंटित की दी। यह कंपनी मौजूदा अध्यक्ष के करीबी से जुड़ा हैं।’’
इन आरोपों पर चौबे ने कहा, ‘‘ भट्टाचार्जी निविदा चयन समिति का हिस्सा थे और उन्होंने एक बार भी निविदा चयन और इसे जारी करने पर सवाल नहीं उठाया।’’
उन्होंने महासंघ के कोष के इस्तेमाल पर कहा, ‘‘ एआईएफएफ के अध्यक्ष बिजनेस क्लास से यात्रा करने के हकदार हैं लेकिन मैंने लगभग हर बार इकोनॉमी क्लास से यात्रा की है। एआईएफएफ अध्यक्ष सुइट रूम में रहने के हकदार हैं, लेकिन लगभग हर बार मैं सामान्य कमरों में रुका हूं। एआईएफएफ अध्यक्ष यात्रा/बैठक के दौरान प्रति दिन 10,000/- रुपये प्राप्त करने के हकदार हैं। इस मामले में आज तक मैंने कभी भी एक रुपया भी नहीं लिया है।