25 जून 1983 की वो तारीख जो भारतीय क्रिकेट इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज है। एक ऐसी तारीख जिसने भारत में क्रिकेट को और क्रिकेट जगत में भारत को एक नई पहचान दी। इंग्लैंड के लॉर्ड्स मैदान पर भारत के 11 खिलाड़ियों दो बार के वर्ल्ड चैपिंयन वेस्टइंडीज को हराकर अपना पहला विश्व कप जीता था। उस विश्व कप ने कप्तान कपिल देव और उनकी पूरी टीम ने वर्ल्ड क्रिकेट को बता दिया था कि क्रिकेट के खेल में भारत के रूप में एक नया चैंपियन आ गया है। कपिल देव ने 1983 में विश्व कप ट्रॉफी में भारत का नेतृत्व करने वाले पहले कप्तान बनने के बाद इतिहास की किताबों में अपना नाम दर्ज कराया। एक ऐसे युग में जब भारत अपने चालाक बल्लेबाजों और मास्टर स्पिनरों के लिए प्रसिद्ध था, देव ने अपनी तेज गेंदबाजी से और बल्लेबाजी कौशल से एक नई इबारत लिखी। उन्हें अपने समय के शीर्ष ऑलराउंडरों में से एक माना जाता था। पूर्व भारतीय कप्तान के शानदार करियर में मैदान के अंदर और बाहर दोनों जगह उतार-चढ़ाव आए हैं।
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शुरुआती जीवन कैसा रहा
कपिल देव का जन्म 6 जनवरी 1959 को चंडीगढ़ में हुआ था। लेकिन उस वक्त भला किसी को क्या पता था कि एक दिन ये बड़ा होकर भारत में क्रिकेट की दिशा-दशा बदल देगा। हरियाणा के इस खिलाड़ी ने 1 अक्टूबर 1978 को चिर-प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया और उसके बाद से पीछे मुड़कर नहीं देखा। मैदान पर किसी भी खिलाड़ी की तरह कपिल देव कभी भी अपनी राय साझा करने से पीछे नहीं हटे, कई बार इसने विवादों को भी जन्म दिया है। आइए उनके 64वें जन्मदिन पर, उनकी कुछ उपलब्धियों पर एक नज़र डालते हैं, उनके पीछे की प्रेरणा और कुछ टिप्पणियां जिन्होंने हाल के दिनों में कुछ बहस छेड़ दी।
‘द लॉन्ग गेम’ शीर्षक वाली मास्टरक्लास श्रृंखला के लिए क्रीड के साथ एक इंटरव्यू में कपिल देव ने साझा किया कि तेज गेंदबाज बनने की उनकी मुख्य प्रेरणा एक वरिष्ठ क्रिकेट अधिकारी को गलत साबित करने की थी। जिनका मानना था कि भारत एक तेज गेंदबाज पैदा नहीं कर सकता। उन्होंने कहा था कि भारत में पिछले 40 साल में कोई तेज गेंदबाज पैदा नहीं हुआ है।
फरवरी 1994 में वह न केवल एक तेज गेंदबाज बने बल्कि टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रिकॉर्ड भी दर्ज कराया। यह रिकॉर्ड केवल छह साल बाद वेस्ट इंडीज के दिग्गज कर्टनी वॉल्श द्वारा तोड़ा जाएगा।
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कई लोग आधुनिक खेल को एक व्यस्त शेड्यूल के रूप में देखते हैं, लेकिन कपिल देव के एक स्टेटमेंट ने दबाव के बारे में शिकायत करने वाले खिलाड़ियों के सामने अलग ही स्थिति पैदा कर दी।
कपिल देव ने कहा कि मत खेलो’। आपसे कौन पूछ रहा है? दबाव होता है, लेकिन अगर आप उस स्तर पर खेल रहे हैं तो आपकी प्रशंसा की जाएगी और आपको गाली दी जाएगी। गालियों से डर लगता है तो मत खेलो…………………. प्रेशर अमेरिकन शब्द है। यदि आप काम नहीं करना चाहते हैं, तो न करें। क्या कोई आपको मजबूर कर रहा है? जा के केले की दुकान लगाओ। अंडे बेचो जा के। (केले का स्टॉल खोलो, जाओ अंडे बेचो)।”